नागपुर: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ठिकानों को तबाह करने वाले लक्षित हमलों के लिए आज भारतीय सेना की प्रशंसा की और कहा कि इससे दुनिया में देश की प्रतिष्ठा बढ़ी है और अशांति फैलाने वालों को संदेश गया है कि सहन करने की एक सीमा होती है ।
नागपुर में आरएसएस प्रमुख का वाषिर्क दशहरा संबोधन कश्मीर में जारी अशांति, सीमा पर तनाव और गौ-संरक्षण जैसे मुद्दों पर केंद्रित रहा। भागवत ने इसके साथ ही सामाजिक भेदभाव के उन्मूलन का भी संकल्प लिया। जम्मू कश्मीर का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वहां की स्थिति चिंता की बात है। उन्होंने कहा कि हमारे नेताओं की यह प्रतिबद्धता अच्छी है कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर सहित समूचा राज्य भारत का है।
उन्होंने कहा कि जिस चीज की आवश्यकता है, वह यह है कि वक्तव्य की यह शक्ति कार्रवाई में भी दिखनी चाहिए। हमारी सरकार के तहत सेना ने हाल में मुंहतोड़ जवाब दिया है। सेना और भारत की प्रतिष्ठा विश्व में बढ़ी है । अशांति फैलाने वालों को यह संदेश गया है कि सहन करने की एक सीमा होती है। हमारे प्रति दुश्मनी रखता आ रहा पाकिस्तान अलग-थलग हो रहा है। हम सेना द्वारा दिखाई गई वीरता से प्रसन्न हैं। उन्होंने कहा कि सारी दुनिया जानती है कि सीमा पार से लगातार भड़काई जा रहीं विध्वंसक गतिविधियां ही कश्मीर घाटी में अशांति के लिए जिम्मेदार हैं ।
भागवत ने कहा कि हमारे नेताओं की सोच स्पष्ट है कि कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है, गिलगित-बाल्टिस्तान भी भारत का ही हिस्सा है। कश्मीर का अधिकांश हिस्सा तनावमुक्त है। जो भी हिंसा की गतिविधियों में लिप्त हैं, हमें उनके खिलाफ कार्रवाई करनी होगी। सख्त एक्शन लेना होगा। सीमा पार से लगातार उपद्रव से हो रहा है। भागवत ने कश्मीरी पंडितों को न्याय दिए जाने की भी वकालत की। भागवत ने पाकिस्तान को निशाने पर लेते हुए कहा कि वह कश्मीर में अलगाववादी ताकतों को बढ़ावा दे रहा है। भागवत ने सेना की सराहना की और दुश्मन को माकूल जवाब देने के लिए उसे बधाई दी। उन्होंने मोदी सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि सरकार के नेतृत्व ने एक सराहनीय कार्य किया है। यशस्वी नेतृत्व ने पाकिस्तान को अलग-थलग कर दिया। सेना ने भी हिम्मत का काम किया है। लेकिन हमारी सीमाओं की हिफाजत पूरी तरह से होनी चाहिए, घुसपैठ कैसे हो जाती है? इसे रोकना होगा।
भागवत ने कहा कि दुनिया में ऐसी भी ताकतें हैं जो भारत को आगे बढ़ने नहीं देना चाहती हैं। हमारे यहां के स्वार्थ के कारण ऐसे लोगों को यहां समर्थन भी मिल जाता है। उन्होंने कहा कि प्रजातंत्र में विरोधी दल सरकार की नीतियों की आलोचना करते हैं, जो गलत नहीं है लेकिन कभी कभी ऐसी घटनाएं घटती हैं जो नहीं होनी चाहिए। भागवत ने कहा कि स्वार्थी शक्तियां उसको लाभ लेती हैं। हमें अपने समाज को इतना सजग बनाना होगा ताकि वो ऐसी शक्तियों को लाभ न लेने दे। इनका प्रयास रहता है कि जैसे ब्रिटिश राज में हम अपने को कमतर मानते थे वही फिर से न होने लगे। गौरक्षा पर भागवत ने कहा कि इसे लेकर काम करने वाले सारे भले लोग हैं। चूंकि देश में गौरक्षा कानून है इसीलिए उसका अमल हो। कभी कभी गौरक्षकों को आंदोलन भी करना पड़ता है लेकिन वो भी शांति से करते हैं।
संघ प्रमुख ने कहा कि शासन को ध्यान देने होगा कि जो लोग उपद्रव का काम करते है उनके साथ गोरक्षकों को न जोड़ा जाए। भ्रम और अफवाह फैलाने वालों से जागृत करना पड़ेगा और प्रशासन में इसकी बुद्धि जगानी पड़ेगी।