फोटो खिचाने के शौक़ीन कांग्रेसी बेनी के लिए ढूंढते रहे मुफ्त का खाना

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congressफर्रुखाबाद: अब सरकार यू पी में कांग्रेस की होती तो और बात थी मगर जब प्रदेश में आपकी सरकार नहीं है तब तो कम से कम नियमो का पालन कांग्रेसियो को करना चाहिए ही था| न मेहमान के खाने की चिंता और न आवभगत की| केवल बेनी बाबू के साथ फोटो में चेहरा आ जाए इसलिए बगलगीर बने रहे कांग्रेसी| बेनी बाबू के खाने का इंतजाम सरकार पर डाल इधर उधर खिसकते नजर आये| वैसे भी मंत्री चाहे केंद्र का जो या राज्य का दौरों का डीए इसी बात का लेते है कि बाहर के दौरों के समय खान पान का इंतजाम खुद कर सके| जिले स्तर पर राज्य अतिथि को छोड़ किसी को भी गेस्ट हाउस में रुकने के दौरान भोजन नाश्ता का फंड सरकार नहीं देती है| बस कुछ लोग जिलाधिकारी या अन्य अफसरों पर दबाब बनाकर ये बेगार तहसीलदार से करना चाहते है जिसका बोझ जनता पर पड़ता है|

मामला गुरूवार को जिले में सियासी (कांग्रेस संगठन समीक्षा और एक निजी कार्यक्रम) दौरे पर आये केंद्र के इस्पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा को रात में गेस्ट हाउस पर रुकने के दौरान भोजन व्यवस्था से दो चार होना पड़ा| न तो निजी कार्यक्रम के आयोजक ने और न ही कांग्रेसियो ने अपने मेहमान के लिए भोजन की व्यवस्था की थी| प्रोटोकॉल के लिए ड्यूटी पर तैनात अफसरों की मुह और ताकते मेजबान मंत्रीजी के लिए भोजन का इंतजाम करने का इन्तजार करते रहे| अब प्रोटोकॉल की ड्यूटी में तैनात अफसर और कर्मचारी इस बात का इन्तजार कर रहे थे कि कोई पैसा दे तो भोजन का इंतजाम करा दे| मगर कांग्रेसी इस भ्रम में रहे कि जैसे ये अफसर सपा के मंत्रियो के आगमन के समय आवभगत अपनी जेब से करते है उनके मंत्री की भी करे|

क्या है नियम-
मगर इस बार अफसर नियमानुसार थे| पैसे दे तो सामान ला दे| बात भी ठीक है| मगर जब सपा के मंत्रीजी आते है तब तो ये अफसर और कर्मचारी काजू बादाम से लेकर पनीर पकौड़ी का भी नाश्ता कराते है| जानते है कहाँ से आता है ये नाश्ता| गरीब जनता से घूस वसूल कर जो कमाई लेखपाल करता है उसी में से डाक बंगले में रुके मंत्रियो और उनके चमचो को नाश्ता करता है| वर्ना असल बात तो ये है कि डाक बंगले में रुकने के दौरान भोजन और नाश्ता सरकार मुफ्त में नहीं देती| न ही कोई बजट होता है| वैसे भी मंत्री जिले के दौरे के लिए अपना डी ए नहीं छोड़ता| लिहाजा उसे अपनी जेब से खर्च करना चाहिए| चूँकि प्रोटोकॉल अफसर नेताजी की आवभगत की जिम्मेदारी सम्बन्धित तहसीलदार को देता है और तहसीलदार लेखपाल को| और आवभगत के खर्चे को वसूलने के लिए ये लेखपाल जनता के काम के बदले घूस वसूलते है| जिसकी शिकायत करने पर अधिकारी नजरअंदाज करते है| बात सीधी है कि नेताजी की वजह से जनता लूटी जाती है| वैसे मेहमान तो कांग्रेस के थे और फोटो में छपने वाले भी कांग्रेसी| अपना नहीं तो कम से कम जिले की बदनामी की चिंता की होती| मंत्री जी के खाने की खबरे मीडिया में न छपती कुछ ऐसा करना चाहिए था|