हमें अनार वालो कागज़ देओं…

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फर्रुखाबाद: यह कोई कहावत या चुटकुला नहीं यह है नारी सशक्तीकरण व् जागरूकता का एक छोटी सी सच्ची झलक.

कल १४ नबम्बर को हुए शमसाबाद व् कायमगंज के ब्लाकों में दूसरे चरण के मतदान के दौरान हमारी जेएनआई टीम को सर्वे के दौरान काफी कुछ ऐसा देखने को मिला जिसकी कोई उम्मीद भी नहीं की जा सकती.

ब्लाक शमसाबाद ग्राम सभा नगला सेठ सुबह के समय मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर उम्मीदवारों की किस्मत मतपेटिका में डाल रहे थे. लोग लाइन में लगे अपनी बारी का इन्तजार कर रहे थे. तभी एक आवाज घूंघट की ओट से निकली ,” अरे दैया कित्ती देर लगे हम घर पर लौड़े अकेले छोंड आये पता नाही का कत्त हुये, भैंस भी सानी लगाने को है और हेन तौ इत्ती लम्बी लाईन लगी कि ख़त्म नहीं होत दिखात. पदधानी जे लड़ रै हैंगे, पैसा जे खै. चुप घर मै बैठ जे और हियाँ हम लाइन मे लगे लगे मरे जात.

महिला की बात सुनकर मैंने भी धीरे से मन में मुस्करा लिया कि देखो महिला जागरूकता ऐसे जाग जाए तो प्रधान भी लाइन में आ जायेंगे. हमसे १ नंबर आगे जा रही महिला जब उंगली में स्याही लगवाने के बाद मतदान कर्मी से बोली कि हमै अनार वालो कागज़ दिओ दूसरो नाहीं लम्बरदार ने जै कही.” सभी उपस्थित मतदान कर्मी हंस पड़े.

वहीं नावालिग़ बच्चों को जो कि मतदान के नाम का सही मतलव भी नहीं जानते वो भी लाइन में खड़े दिखाई दिए उनसे पूंछने पर वोले कि मेरो वोट बनि गौ है. दद्दा ने भेजो है. एक बोट डालने के बाद दूसरा बोट डालने आ गए दूसरी भेष-भूसा में पहले थे केवल नेकर पहने अब गए साहब पैंट शर्ट पहनकर. एसे कई नज़ारे देखने को मिले. पहले बताया कि वह ८ में पढ़ते हैं अब बता रहे १२ में पढ़ रहे हैं.