यूपी में गुंडाराज : इटावा में ब्राह्मण परिवार पर टूटा सपाइयों का कहर

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sapaa jhandaलखनऊ : मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के गृह जनपद इटावा के गांव संतोषपुर इटगांव में मंगलवार को एक ब्राह्मण परिवार के लोगों को यादवों ने मारा-पीटा, उनके मुंह पर कालिख पोती और जूतों की माला पहनाकर पूरे गांव में घुमाया। पुलिस को मामले की जानकारी समय पर मिल गयी थी लेकिन पुलिस घटनास्थल पर 6 घंटे बाद पहुंची| यही नहीं कानपुर रेंज के डीआईजी आरके चतुर्वेदी इटावा में ही मौजूद थे उसके बाद भी पुलिस समय पर हरकत में नहीं आई| इसकी जानकारी मिलने के बाद से उन पर बालबाइयों को शह देने की बात सामने आ रही है| चश्मदीदों का कहना है की जब पीड़ित थाने पहुंचे तो वहां भी उनको निर्वस्त्र कर पीटा गया| इसके बाद बुधवार को बहुजन समाज पार्टी ने बुधवार को विधान परिषद में इस मुद्दे को उठाया और जमकर हंगामा किया।

शून्यकाल आरंभ होते ही नेता प्रतिपक्ष नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने इटावा की घटना को उठाया तो बसपा के सदस्य वेल में आ गए और सपा सरकार को ब्राह्मण विरोधी कहते हुए नारेबाजी करने लगे। बीजेपी ने भी इस मामले पर अपनी आपत्ति जताई है|

मिली सूचना के मुताबिक गावं के सपा समर्थित यादव प्रधान ने अपने कुछ दबंग साथियों के साथ आपसी खुन्नस के चलते ब्राह्मण परिवार के लोगों को मारा-पीटा, उनके मुंह पर कालिख पोती और जूतों की माला पहनाकर गांव में घुमाया। इनमें महिला और बच्चे भी शामिल हैं|

सूत्रों के मुताबिक इन यादवों को सपा के एक बड़े नेता का संरक्षण प्राप्त है| यही कारण है कि लगभग 6 घंटे ये बालबाई तांडव करते रहे और पुलिस नहीं आई | जब पीड़ित थाने पहुंचे तो वहां उनकी पुलिसकर्मियों ने भी पिटाई की|

यूपी में नहीं थम रही गुंडागर्दी –

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) सरकार के सत्ता में आते ही शुरू हुई गुंडागर्दी एक साल बाद भी थमने का नाम नहीं ले रही है। हर घटना के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव केवल कठोर कारवाई का आश्वासन देते हैं, लेकिन हकीकत में कुछ होता नहीं दिख रहा है।

बीते साल मार्च में सबसे युवा मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने वाले अखिलेश यादव से उत्तर प्रदेश की जनता को ढेरों उम्मीदें थीं कि वह सपा की परंपरागत गुंडा छवि को बदलकर लोगों के भरोसे पर खरा उतरेंगे| लेकिन उनके शपथ ग्रहण समारोह से लेकर आज तक सूबे में सपाईयों की गुंडागर्दी का सिलसिला बदस्तूर जारी है।

प्रतापगढ़ जिले के कुंडा सीओ के तौर पर तैनात रहे पुलिस उपाधीक्षक जिलाउल हक की हत्या कर दी गई। हत्या करवाने का आरोप सपा सरकार में ताकतवर मंत्री और मुलायम सिंह यादव के करीबी कहे जाने वाले पर रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया पर है।

फौरी तौर पर विपक्षी दलों के हंगामे और लोगों की नाराजगी से बचने के लिए राजा भैया का इस्तीफा ले लिया गया। पीड़ित परिवार से मिलने गए मुख्यमंत्री अखिलेश ने पूरे मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से करवाने और दोषियों के खिलाफ कड़ी कारवाई करने की बात तो कह दी लेकिन बड़ा सवाल है कि क्या राजा भैया की गिरफ्तारी होगी और सीओ की परिवार को इंसाफ मिलेगा। सपा पार्टी नेतृत्व की तरफ से संकेत दे दिए गए हैं कि राजा भैया की गिरफ्तारी नहीं होगी।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि विधानसभा चुनाव से पहले दबंग छवि के नेता डी. पी. यादव और मुख्तार अंसारी को पार्टी में शामिल करने से मना करने पर अखिलेश के प्रति लोगों में उम्मीद बंधी थी कि शायद वह सपा की गुंडा छवि को बदलना चाहते हैं।

पाठक कहते हैं कि शायद इसी भरोसे पर लोगों ने उन्हें बहुमत देकर सत्ता सौंपी लेकिन जिस तरह समाजवादी पार्टी नेता और मंत्री सरेआम गुंडागर्दी कर रहे हैं और मुख्यमंत्री अखिलेश चुपचाप तमाशा देख रहे हैं उससे ऐसा लगता है कि चुनाव से पहले डी. पी. यादव और मुख्तार अंसारी को उनकी आपराधिक छवि नहीं, बल्कि किसी और वजह से पार्टी में शामिल नहीं किया गया, लेकिन इसका राजनीतिक लाभ उठाया गया।
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जानकारों का मानना है कि सपा में सत्ता के कई केंद्र होने और पार्टी के अपराधिक छवि के नेताओं की मुलायम से नजदीकी के चलते अखिलेश ऐसे नेताओं पर कारवाई कर पाने के विफल हो जाते हैं। चाहे वह बीते गोंडा जिले में राज्यमंत्री विनोद सिंह उर्फ पंडित सिंह द्वारा मुख्य चिकित्साधिकारी का अपहरण कर उसे पीटने का मामला हो या इसी जिले में पशु तस्करों का संरक्षण देने में फंसे राज्यमंत्री क़े सी़ पांडे की घटना। मुख्यमंत्री ने अपने नेताओं और मंत्रियों पर कार्रवाई के बजाय उल्टे पुलिस अधिकारियों पर गाज गिरा दी।

लगातार बढ़ रही अराजकता की स्थिति से अखिलेश को बड़ी उम्मीदों के साथ सत्ता सौंपनी वाली जनता का राज्य सरकार से भरोसा उठता जा रहा है। सूबे के पूर्व पुलिस महानिदेशक एस़ एम़ नसीम कहते हैं कि राज्य सरकार गुंडागर्दी करने वाले अपने नेताओं और आपराधिक तत्वों के खिलाफ कठोर कारवाई कर उदाहरण पेश करे। जब तक ऐसा नहीं होगा तब तक ऐसी घटनाएं गुंडागर्दी पर लगाम नहीं लगेगी।

उन्होंने कहा कि इस तरह की हर घटना के बाद केवल पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों पर गाज गिराने के बजाय सरकार अफसरों को प्रोत्साहन करे। आज पुलिस अधिकारी सत्तारूढ़ दल के नेताओं पर कार्रवाई करने से डरते हैं क्योंकि उन्हें भय रहता है कि इससे उनके खिलाफ ही कार्रवाई हो जाएगी। जरूरत इस माहौल को बदलने की है।

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव समय समय पर कानून व्यवस्था की बात तो करते हैं लेकिन अपने साथ वालों को ये नहीं समझाते की मुख्यमंत्री अखिलेश यादव हैं न की पूरी यादव जाति| यदि यही हालात रहे तो इन मनबढ़ यादवों के चलते लोकसभा चुनाव में उनकी चुनावी साईकल पंचर होते देर नहीं लगेगी|
साभार- पर्दाफाश
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