लखनऊ. अभी ज्यादा समय नहीं बीता, जनवरी में ही आईएएस वीक के दौरान यूपी के मुख्यशमंत्री अखिलेश यादव आईएएस अफसरों को कहते दिखते थे कि अफसरों को आत्म मंथन करना होगा कि उनकी साख आखिर देश में इतनी क्योंक गिर गई है? लेकिन तस्वीथर का दूसरा पहलू ये है कि शायद सीएम अखिलेश के पास खुद अपनी पार्टी के नेताओं का कोई इलाज नहीं, जिनकी हरकतें लगातर यूपी में सरकार की छवि धूमिल कर रही है। जबसे यूपी में सपा सरकार बनी है, शायद ही कोई ऐसा महीना बीता हो, जब मुख्यसमंत्री अपनी ही पार्टी के किसी नेता से परेशान न हुए हों।
कभी उनकी पार्टी के नेता चुनाव में मिली जीत के जश्न में खुलेआम कानून की धज्जियां उड़ाते हुए फायरिंग कराते हैं तो कभी सीएमओ के अपहरण में आरोपी बन जाते हैं। किसी के ऊपर पशु तस्करी का आरोप लग जाता है तो किसी विधायक का बेटा उद्दंडता पर उतारू हो जाता है। रही सही कसर पार्टी के बड़े नेता अपने विवादित बयानों से पूरी कर देते हैं। सीएम अखिलेश के लिए उनके ही नेता रोज नया बखेड़ा खड़ा करते दिखते हैं। ताजा मामला राजा भैया का है।
प्रदेश के खाद्य एवं रसद मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के गृह जनपद प्रतापगढ़ के कुण्डा में प्रधान नन्हे यादव और उनके भाई सुरेश यादव की हत्या की गई। साथ ही नन्हे गुट ने विरोधी कमता पाल के घर पर आगजनी की। मौके पर पहुंचे सीओ जिया उल हक को भीड़ ने घेर कर उनकी ही पिस्तौल से मार डाला। राजा भैया पर हत्या की साजिश मामले में केस दर्ज हुआ। उन्हें मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा। भारी दबाव के बीच सीएम अखिलेश को मामले की जांच सीबीआई को सौंपनी पड़ी।
नवंबर में सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने बाराबंकी में आयोजित एक सभा में कहा कि गांव की महिलाओं में कम आकर्षण होता है। जिसके चलते गांव की महिलाओं को नौकरियों और अन्य क्षेत्रों में लाभ नही मिल पाता है। बाद में सपा प्रमुख ने साफ किया कि उन्हों ने कहा था कि महिला बिल लागू होने से देश की अमीर महिलाएं बहुत आगे बढ़ जाएंगी, जबकि गरीब महिलाएं पीछे रह जाएंगी।
इससे पहले 10 अगस्त को मंत्री शिवपाल यादव को अफसरों की मीटिंग में यह कहते हुए कैमरे ने कैद कर लिया कि अगर आप कड़ी मेहनत करते हैं तो छोटी चोरी कर सकते हैं लेकिन लूटिए नहीं। इस मामले में सपा सुप्रीमो ने शिवपाल के खिलाफ कोई कार्रवाई करने की बजाए एक प्रेस रिलीज जारी कर उलटा लगाया कि साम्प्रपदायिक और जातिवादी ताकतें, जिन्हेंए बड़े कॉर्पोरेट घरानों का सहयोग मिल रहा हैं, राज्यि सरकार के वरिष्ठत मंत्रियों के खिलाफ झूठा और भ्रामक प्रचार कर रही हैं।
अगले ही दिन 11 अगस्त को शिवपाल यादव की जुबां एक बार फिर फिसल गई। उन्होंऔने कुंभ की तैयारियों से जुड़ी एक बैठक में पत्रकारों से कह दिया कि किसी चीज की कमी नहीं होगी चाहे वो कमीशखोरी हो या बिजली, सड़क पानी आर हैंडपम्प हो। बाद में शिवपाल के इस बयान पर सपा नेताओं की सफाई थी कि उनका मतलब यह था कि काम पूरा करने में कोई कमी नहीं रखी जाएगी।
गोण्डा में राजस्व राज्यमंत्री विनोद कुमार सिंह उर्फ पंडित सिंह पर राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन घोटाले में आयुष डॉक्टरों की नियुक्ति के मसले पर सीएमओ पर दबाव डालने और उनका अपहरण करने का आरोप लगा। मामले में पंडित सिंह का मंत्रिमंडल से इस्तीफा हुआ और सरकार की खूब किरकिरी हुई। यही नहीं सीएम अखिलेश को एसपी, डीएम व सीएमओ के खिलाफ भी कार्रवाई करनी पड़ी। पंडित सिंह कुछ समय बाहर रहने के बाद एक बार फिर सरकार में मंत्री बना दिए गए हैं। पिछले दिनों उन्होंसने एक बार फिर अपना रंग दिखाते हुए डीएम को ही धमकी दे डाली।
वैसे पार्टी को परेशानी में डालने में आजम खां का नाम सबसे ऊपर आता है। सरकार बनने के फौरन बाद उनके और दिल्लीम की जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी के बीच जमकर बयानबाजी हुई। बुखारी अपने दामाद उमर अली खां को सपा से राज्यदसभा सदस्यच बनवाना चाहते थे, जिसके आजम खां विरोध कर रहे थे। आखिरकार दोनों को शांत करने के लिए मुलायम सिंह यादव को हस्तजक्षेप करना पड़ा।इसी दौरान आजम खां को मेरठ के प्रभारी पद से हटाने का फरमान सुना दिया गया। बस फिर क्याइ था आजम ने अपने इस्तीपफे की पेशकश कर दी, आलाकमान झुके और आजम दोबारा मेरठ के प्रभारी बना दिए गए।
29 जून को आजम खां का एक और विवादास्पद बयान आया। उन्होंने कहा कि जो भी अफसर भ्रष्टारचार में लिप्तक पाए जाएं उन्हेंद पहले जेल भेजा जाना चाहिए, उसके बाद उनके खिलाफ नौकरी से निलंबन की कार्रवाई होनी चाहिए। बाद में इस बयान के पीछे उन्होंिने कारण बताया कि अगर अधिकारी को पहले निलंबित किया जाता है तो वह अदालत में अपील कर देता है कि एक ही अपराध में दो सजाएं नहीं दी जानी चाहिए। यही नहीं जुलाई में आजम खां ने प्रदेश के राज्य पाल पर यह आरोप मढ़ दिया कि राजभवन नहीं चाहता कि मौलाना जौहर विश्वकविद्यालय बने। खुद मुख्यामंत्री अखिलेश यादव को डैमेज कंट्रोल के लिए राजभवन से संपर्क साधना पड़ा।
अलीगढ़ के डिबाई विधानसभा क्षेत्र के सपा विधायक भगवान शर्मा उर्फ गुड्डू पंडित ने 25 फरवरी को उर्दू शिक्षकों के प्रतिनिमंडल से बदसलूकी और मारपीट की। मामले में सभापति गणेश शंकर पाण्डेरय ने सरकार को निर्देश दिया है कि घटना की उच्च स्तरीय जांच की जाए और जांच रिपोर्ट मौजूदा बजट सत्र में ही विधान परिषद के पटल पर रखी जाएगी।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय कार्य समिति के सदस्य केसी पाण्डेय पशु तस्करी में फंसे। उनके करीबी माने जाने वाले आशुतोष पाण्डेय का गोण्डा के एसपी नवनीत राणा ने स्टिंग आपरेशन कर डाला। केसी पाण्डेय टेप में आशुतोष पाण्डेय की पैरवी करते सुने गए और आशुतोष एसपी को घूस की पेशकश करते हुए। सरकार की फजीहत हुई। पुलिस ने उन्हें आपराधिक षडय़ंत्र के तहत नामजद किया।
लेकिन सीएम अखिलेश ने स्टिंग ऑपरेशन करने वाले गोण्डा एसपी पर ही गाज गिरा दी और पूरी जांच सीबीसीआईडी के पास चली गई।
लखनऊ में खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के उपाध्यक्ष नटवर गोयल जमीन पर कब्जे के विवाद में फंस गए। उन्होंने प्रेस फोटोग्राफर की पिटाई की और सरकार की खूब किरकिरी हुई। आखिरकार मुख्यमंत्री ने उनकी लालबत्ती छीनने का फैसला किया। विधूना के विधायक प्रमोद गुप्ता के बेटे ने अपने लखनऊ के एमिटी कॉलेज में पूरी क्ला।स के सामने महिला टीचर पर तमाचा जड़ दिया। मामला विधानसभा और विधान परिषद में भी उठा। आखिरकार विधायक के बेटे के खिलाफ केस दर्ज हुआ और अदालत से जमानत हो गई। प्रदेश सरकार को गंभीर शिकायतें मिलने पर राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष वसीम अहमद की छुट्टी करनी पड़ी। व़ह जामा मस्जिद के शाही इमाम मौलाना अहमद बुखारी के खास थे। उनकी लालबत्तीर के लिए शाही इमाम और आजम खां के बीच काफी बयानबाजियां हुई थीं।
13 अगस्तत को प्रदेश सरकार में मंत्री राज किशोर सिंह ने अलीगढ़ में एक कार्यक्रम के दौरान अफसरों को धमकाते हुए कह डाला कि अगर कोई अफसर भ्रष्टाचार करता पकड़ा गया तो उसे मार डालेंगे नहीं तो इस्ती फा दे देंगे। राज किशोर को बस्ती जिले का बाहुबली नेता माना जाता है।
इससे पहले सपा के नेता शाहिद सिद्दीकी ने समाजवादी पार्टी को पशोपेश में उस समय डाल दिया, जब शाहिद ने बतौर पत्रकार गुजरात के मुख्यकमंत्री नरेंद्र मोदी का इंटरव्यू ले लिया, जिसमें उन्होंहने गुजरात दंगों के लिए क्षमा मांगने की बात को सिरे से नकार दिया था। इस इंटरव्यूइ के बाद पार्टी ने शाहिद सिद्दीकी को बाहर का रास्ताे दिखा दिया। कुण्डा में सीओ की हत्या का विवाद थमा भी नहीं था कि इलाहाबाद में सपा विधायक विजमा यादव के बेटे के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का मामला सामने आया है। पुलिस मामले में लीपापोती में जुटी है।
अम्बेरडकरनगर के टांडा में हिन्दू जागरण मंच के नेता राम बाबू गुप्ताए की हत्याव के बाद वहां साम्प्रददायिक हिंसा भड़क उठी। उनके परिवारवालों ने हत्या करवाने का आरोप सपा विधायक अजीमुलहक पहलवान पर लगाया है। राम बाबू गुप्ताव की पत्नी ने कहा कि विधायक उन्हेंर देखना नहीं चाहते थे। हत्या के वक्त कुछ दूरी से विधायक की गाड़ी गुजरी थी।
पिछले साल अक्टूबर में मेरठ में समाजवादी पार्टी के नेता ओमकार यादव पर आरोप है कि उन्होंने एक ज्वैलरी हाउस के मालिक के एक प्लॉट पर काम रुकवाने की धमकी दी और उनसे एक करोड़ रुपये की मांग की। व्यापारी का आरोप है कि इस मामले में पुलिस ने भी उनकी कोई मदद नहीं की। वहीं जब इस मामले में पुलिस अधिकारियों से सवाल किया गया, तो उन्होंने चुप्पी साधे रखी।