फर्रुखाबाद: शहर के किसी भी होटल या चाय की दुकान पर चले जाइये, आपको छोटू जरूर मिल जायेगा। यदि जिज्ञासा कुछ अधिक हो तो शहर के पास के ट्रेंचिंग ग्रउंड्स या कूड़ों के ढेर के पास आपको यह छोटू गंदगी से पालीथीन और प्लास्टिक बीनते नजर आजायेंगे। इन छोटुओं का स्कूल से वही नाता है जो सूरज का रात से। परंतु अफसोस हमारे बेसिक शिक्षा विभाग और उसके कारिंदों यह नजर नहीं आते। विभाग द्वारा कराये गये हाउस होल्ड सर्वे के ताजा आंकड़ों में सिर्फ 708 बच्चों को आउट आफ स्कूल दिखाया गया है। हालिया सर्वे में जुटाए गए यह आंकड़े हकीकत से कितनी दूर हैं, इसका अंदाजा लगाया जाना मुश्किल नहीं है।
सर्व शिक्षा अभियान के तहत बेसिक शिक्षा विभाग को जिम्मेदारी दी गई है कि वह इस बात का आंकलन करे कि जिले में चौदह साल तक के सभी बच्चे किसी न किसी विद्यालय में पढ़ाई कर रहे हैं। गरीबों व श्रमिक वर्ग के बच्चों के लिए विशेष बाल श्रमिक विद्यालय खोलना भी इसी के संतृप्तीकरण का अंग है। विद्यालय न जाने वाले बच्चों की संख्या का आंकलन करने के लिए विभाग हर साल हाउस होल्ड सर्वे कराता है।
जिला समन्वयक सामुदायिक सहभागिता सुनील आर्या ने बताया कि इस सत्र के सर्वे में स्कूल न जाने वाले बच्चों की संख्या 708 आई है। बीते वर्षो के मुकाबले कम आई इस संख्या से अधिकारी खुश हैं। वह इसे जिले में सर्व शिक्षा अभियान की उपलब्धि मान रहे हैं।
हकीकत से दूर आंकड़े
बेसिक शिक्षा विभाग के यह आंकड़े हकीकत से काफी दूर हैं। सूत्रों की मानें तो जिले में आउट आफ स्कूल दिखाए गए बच्चों की संख्या का जो आंकड़ा विभागीय सर्वे में पेश किया गया है इससे ज्यादा बच्चे शहर में ही मिल जाएंगे जो किसी न किसी वजह से स्कूल नहीं जा पाए। जिले में यह संख्या कई गुनी हो सकती है पर आंकड़ों की बाजीगरी इस पर भारी पड़ी है।