लेखपाल चंद रुपयों के लिए तहसीलदार तक को फंसाने से नहीं चूक रहे

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फर्रुखाबाद: जिलाधिकारी मुथुकुमार स्वामी ने मुहं क्या मोड़ा कि लेखपाल और अधीनस्थ अधिकारियों ने खुलकर खेलना शुरू कर दिया। जाति, आय और मूल निवास प्रमाणपत्रों में धांधली के नाम पर कलम तो क्या गर्दन तक फंसाने से नहीं चूक रहे। चंद रुपयों के लिए लेखपालों ने एक ही व्यक्ति के कई-कई प्रमाणपत्र अलग-अलग विवरण से जारी करवा दिये। मैनुअल पद्धति में आसानी के नाम पर फर्जी प्रमाणपत्रों की बाढ़ आ गयी। बेचारे भुक्तभोगी अभ्यर्थी लेखपालों को मुहं मांगी घूस देने के बावजूद फर्जी प्रमाणपत्र लिये दर दर भटक रहे हैं। स्थिति यह है कि तहसीलदार के हस्ताक्षर से जारी प्रमाणपत्र के सीरियल नम्बर पर किसी दूसरे का प्रमाणपत्र चढ़ा मिल रहा है। जाहिर है कि आन लाइन सत्यापन के दौरान इन लाभार्थियों के आवेदन पत्र निरस्त हो जाना तय है।

मुहंमांगी घूस देने के बाद तहसील से मैनुअल प्रमाणपत्र जारी कराने के बाद जन सुविधा केन्द्रों पर इनका आन लाइन सत्यापन कराने के लिए भटक रहे ऐसे ही एक अभ्यर्थी प्रदीप गुप्ता पुत्र सुरेशचन्द्र गुप्ता ने जब अपने आय प्रमाण पत्र संख्या 29310101757 दिनांकित 24 फरवरी 2011 का आन लाइन सत्यापन कराया तो पता चला कि यह तो अबधेश सिंह पुत्र रामनाथ के नाम 10 फरवरी 2010 को ही जारी हो चुका है। बेचारे प्रदीप गुप्ता पुत्र सुरेशचन्द्र गुप्ता का मुहं खुला का खुला ही रह गया।

इसी प्रकार शिवलेश चौहान पत्नी राजू चौहान निवासी घारमपुर ने अपने प्रमाणपत्र संख्या 29312152185 दिनांकित 15 सितम्बर 2012 का सत्यापन कराया तो पता चला कि यह तो किसी गौरव दुबे पुत्र महेन्द्र बाबू के नाम पर उसी तारीख में जारी हो चुका है। यह दो प्रकरण तो केवल बानगी मात्र हैं। इन जैसे सैकड़ों नहीं हजारों अभ्यर्थी लेखपालों के हाथों ठगे जा चुके हैं। जिन्होंने इन प्रमाणपत्रों के आधार पर बेरोजगारी भत्ता और कन्या विद्या धन जैसी योजनाओं में आवेदन भी किये हैं। स्पष्ट है कि आन लाइन सत्यापन में इन सभी अभ्यर्थियों के आवेदन इन फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर निरस्त हो जाना लगभग तय है।

कन्या विद्या धन के लिए बनवाये गये आय प्रमाणपत्रों में पहले तो लेखपाल बगैर घूस के कोई कलम तक नहीं हिलाता। जिसमें कुछ हद तक आवेदकों की भी गलत नीति शामिल होती है। कन्या विद्या धन के लिये बनवाये गये आय प्रमाणपत्र संख्या 29112115021 जिसमें आय प्रमाणपत्र शकुंतलादेवी के नाम जारी हुआ, इसी संख्या पर दोबारा फर्जी प्रमाणपत्र प्रियंका पुत्री अमरेन्द्र के नाम से मैनुअल जारी कर दिया गया। वहीं आय प्रमाणपत्र संख्या 29112103137  इंटरनेट पर दिनेश कुमार पुत्र भगवानदीन के नाम 30 हजार रुपये वार्षिक इनकम पर जारी हुआ है लेकिन इसी नम्बर से निशाकुमारी पुत्री ओमपाल निवासी बरझाला कायमगंज के नाम से फर्जी प्रमाणपत्र मैनुअल जारी कर दिया गया। आय प्रमाणपत्र संख्या 29312105357 संजय पुत्र श्यामनरायण दुबे के नाम चढ़ाया गया है वहीं इसी संख्या से दूसरा फर्जी प्रमाणपत्र शब्बुल खां पुत्र सलीम के नाम जारी कर दिया गया।

जाहिर है कि लेखपाल चंद रुपयों के लालच में अपने उच्चाधिकारियों तहसीलदार व एसडीएम तक को फंसाने से नहीं चूक रहे हैं। सवाल यह उठता है कि क्या यह सब इन अधिकारियों की अनभिज्ञता के कारण हो रहा है और यदि ऐसा है तो क्या इन अभिलेखीय साक्ष्यों के बावजूद इन भ्रष्ट लेखपालों के विरुद्व कोई कार्यवाही होगी और यदि नही ंतो क्या यह अधिकारी भी इन लेखपालों की काली करतूतों को कतिपय कारणों से मौन स्वीकृति दिये हुए हैं।