शीत श्रंखला के नाम पर कुछ यूं हो रहा है लाखों का बंदरबांट

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फर्रुखाबाद: जनपद के स्वास्थ्य विभाग में ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के अलावा भी कई तरह से गोलमाल व घोटाले किये जा रहे हैं। कहीं जनरेटर के लिए आने वाले डीजल में घोटाला तो कहीं दवाई बाहर से खरीदने के नाम पर घोटाला तो कहीं मरीजों को दिये जाने वाले खाने में घोटाला। स्वास्थ्य विभाग में अब घोटाले पर घोटाले सामने आते जा रहे हैं। ऐसा ही घोटाला अब शीत श्रंखला के नाम पर किया जा रहा है। जिस पर अभी तक या तो उच्चाधिकारियों की नजर नहीं गयी है या फिर जानबूझ कर इतना बड़े मामले को टाला जा रहा है।

सूबे के मुखिया मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जहां आज जनपद की स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने के लिए कई स्वास्थ्य केन्द्रों के अलावा अन्य सुविधायें जनपद को उपलब्ध कराने के बाद मन ही मन अपने किये हुए कार्य पर फूले नहीं समा रहे होंगे लेकिन उन्हें यह नहीं मालूम कि स्वास्थ्य विभाग उनके सपनों पर कुछ इस कदर पानी फेर रहा है जैसे दूध के ऊपर से मलाई उतारना। बदहाल हो चुकी जनपद की स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने की तो छोड़िये उसे मरे हुए जानवर की तरह हर कर्मचारी नोचने पर तुला हुआ है। बात की जाये स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों की तो उनके पास एक ही जबाव या तो बजट न होने या डाक्टरों के अभाव से स्वास्थ्य केन्द्रों के बंद रहने की बात के अलावा अन्य कोई जबाव सामने नहीं आता।

जिसे जैसे समझ में आ रहा है अपने-अपने तरीके से जेबें भरने में लगा हुआ है। देश के सबसे खतरनाक बीमारी पोलियो के अलावा अन्य टीकाकरणों के लिए ले जाने वाले वैक्सीन कैरियर के नाम पर स्वास्थ्य विभाग अच्छी खासी कमाई कर रहा है। चित्र देखकर खुद ही समझा जा सकता है कि जिस वैक्सीन कैरियर को ले जाने के लिए सरकार द्वारा कई चार पहिया वाहन लगाये गये लेकिन वह चलाये सिर्फ कागजों में ही जा रहे हैं। हकीकत में तो मामला कुछ और ही है। बाइक द्वारा जगह-जगह कैरियर बाक्स को ले जाने के लिए एक कर्मचारी नियुक्त कर दिया गया है। जो खुद अपनी बाइक पर पूरे क्षेत्र के डब्बों को एक साथ बंाधकर ऐसे ले जा रहा है मानो वैक्सीन कैरियर को यथा स्थान नहीं वल्कि फेरी लगाकर बेचने के लिए निकला हो।

इतना ही नहीं इन वैक्सीन के अलावा स्वास्थ्य कर्मियों को उनके केन्द्रों तक पहुंचाने के लिए भी बुलेरो सहित कई महंगी गाड़ियां कागजों में लगायी गयी हैं। लेकिन ये चार पहिया वाहन न जाने कौन सी फाइलों में लखनऊ से फर्रुखाबाद दौड़ रहे हैं।
धड़ल्ले से हो रही लाखों रुपये की इस कमाई को क्षेत्रीय स्वास्थ्य विभाग अधिकारी जान बूझकर अपनी आंखों पर पट्टी चढ़ाये बैठे हैं। लेकिन कोई इस सम्बंध में बोलने को तैयार नहीं और बोलें भी तो सफाई ऐसे दें जैसे इनके कुर्ते पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने का एक भी धब्बा नहीं।