3 निशान गिरे, अब करनी होगी बिरादरी की दावत

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फर्रुखाबाद: देश में भले ही भारतीय दंड संहिता यानि IPC लागू हो पर फर्रुखाबाद में बाल्मीकि समाज का अपना कानून आज भी लागू है| बाल्मीकि समाज के लोग रक्षाबंधन के दूसरे दिन निशान उठाते हैं| इस बार 60 निशान उठाये गए इनमे से 3 निशान गिर गए| इन्हें उठाने वाले बैलेंस बर्दाश्त न कर सके| इन्हें समाज की इस परम्परा के तहत बिरादरी की दावत करनी होगी| 20 फिट ऊंची बल्ली पर तरह- तरह की साज- सज्जा के साथ सुसज्जित इस निशान को उठाने का खास तरीका है|

आपको बताते चले कि तैयार निशान का बजन 100 किलो तक हो जाता है| इस उठाने वाले घोडा कहलाते हैं| इसे उठाने के लिए कमर में कपडे की खास तरह की बेल्ट बनाकर उस पर निशान की बल्ली का एक छोर टीकाकार खास बैलेंस के साथ इसे उठाया जाता है| हालांकि बैलेंस बिगड़ने पर निशान को साधने के लिए रस्सियाँ बाँधी जाती हैं| फिर भी बैलेंस बिगड़ने पर अगर निशान जमीन से छू जाये, गिर जाये तो उस निशान को अन्य निशानों से बाहर कर दिया जाता है| निशान उठाते समय नज़र रखने के लिए भगत इनकी निगरानी करता है| निशान गिरने पर पूरी बिरादरी कि दावत करनी पड़ती ह| यह रिवाज आज तक लागू है| निशान गिरने पर लोगों को इस्ला पालन करना पड़ता है नहीं तो बिरादरी से बाहर कर दिया जाता है| इस बार समाज के लोगो ने छोटे बड़े हलके भारी 60 निशान उठाये गए इनमे से 3 निशान गिर गए| इन्हें उठाने वाले बैलेंस बर्दाश्त न कर सके| इन्हें समाज की इस परम्परा के तहत बिरादरी की दावत करनी होगी|

बाल्मीकि समाज के लोग सावन में निशान उठाकर गोगा जी महाराज को याद करते हैं| रक्षा बंधन के दूसरे दिन फतेहगढ़ के गोगा जी महाराज मंदिर पर लगने वाले मेले में दूरदराज से आये निशान उठाये गए| गोगा जी महाराज का जन्म राजस्थान के ददरेढ़े में लगभग 5 हज़ार साल पहले हुआ था| इनके पिता राजा बांचल और माता का नाम बान्छल था| माता बान्छल ने 14 साल तक गुरु गोरखनाथ की तपस्या के बाद वरदान में बेटे को पाया था| रक्षाबंधन के दूसरे दिन गोगा जी का विवाह हुआ था उसी कि याद में उनके अनुयायी निशान पर मेहँदी और सेहरा चढाते हैं| निशान को विजय पताका के रूप में बल्ली पर सजाया जाता है| निशानों की पूजा करने वाले भगत कहलाते हैं| करतार सिंह और श्याम बाल्मीकि ने बताया कि निशान उठाने कि परम्परा वर्षों पुरानी है|