ग्राम पंचायतों की भूमि पर बने डिग्री कालेजों की मान्यता पर लटकी डीएम की तलवार

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फर्रुखाबाद: लेखपालों से साठगांठ कर ग्राम पंचायतों की भूमि पर खड़े ‘शिक्षा माफियाओं के आलीशान डिग्री कालेजों की मान्यता पत्रावलियां जिलाधिकारी कार्यालय में आकर लटक गयीं हैं। इस सम्बंध में मण्डलीय उच्च शिक्षा अधिकारी भी कई बार जिलाधिकारी कार्यालय के चक्कर काटकर बैरंग लौट चुके हैं।

विदित है कि शिक्षा माफिया ने अपने धन बल और बाहुबाल से प्रभावित कर लेखपालों की साठगांठ से ग्राम पंचायतों की जमीनों पर अतिक्रमण कर धीरे-धीरे आलीशान महाविद्यालय स्थापित कर लिये हैं। अधिकांश मामले मोहम्मदाबाद के हैं जोकि विगत कई दशकों से चकबंदी में चला आ रहा है। बाद में इन जमीनों के विषय में जानकारी होने पर तत्कालीन अपर जिलाधिकारी हीरालाल ने चकबंदी अधिकारियों के पेंच कसे तो हड़कंप मच गया था। बाद में शिक्षा माफिया न्यायालय से स्थगनादेश ले आये और एडीएम हीरालाल के ट्रांसफर के बाद तो मामला जैसे ठंडे बस्ते में ही चला गया।

इन महाविद्यालयों की मान्यता  नवीनीकरण को लेकर जिलाधिकारी मुथुकुमार स्वामी एक बार फिर गंभीर दिख रहे हैं। लगभग आधा दर्जन महाविद्यालयों की मान्यता पत्रावलियां जिलाधिकारी कार्यालय में लंबित हैं। जिनपर उच्च शिक्षा अधिकारी व जिलाधिकारी के संयुक्त हस्ताक्षर से ही अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी होना है। जिलाधिकारी मुथुकुमार स्वामी द्वारा भू स्वामित्व सम्बंधी अभिलेखों की पड़ताल से एक बार फिर शिक्षा माफियाओं में खलबली मच गयी है। जिलाधिकारी ने अब भू-स्वामित्व के लिये 1306 फसली का खसरा मांग लिया है। इस सम्बंध में क्षेत्रीय उच्य शिक्षा अधिकारी अखिलेश गुप्ता भी कई बार जिलाधिकारी कार्यालय के चक्कर काटकर बैरंग वापस लौट चुके हैं।

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार शिक्षा माफिया जिलाधिकारी का स्थानांतरण कराने में असफल रहने के बाद अब उस शासनादेश में ही परिवर्तन के लिए लग गये हैं जिसमें अनापत्ति प्रमाणपत्र पर जिलाधिकारी के हस्ताक्षरों की अनिवार्यता है। ऐसे ही एक महाविद्यालय की प्रबंध समिति से जुड़े सूत्रों के अनुसार शासनादेश में शीघ्र परिवर्तन होने की संभावना है।