गर्मी से बिल्लाये मरीजों के तीमारदारों ने लोहिया अस्पताल में काटा गदर

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फर्रुखाबाद: राममनोहर लोहिया वैसे तो अपनी कार्यप्रणाली से अक्सर चर्चा में बना रहता है। लेकिन आज उत्पन्न हुए बिजली संकट से जहां पूरे जिले की विद्युत व्यवस्था चरमरा गयी वहीं लोहिया अस्पताल प्रशासन को बिजली खराब होने का बहाना तो मिल ही गया और पुराने ढर्रे की तरह आज भी जनरेटर न चलने से मरीजों के तीमारदारों सब्र टूट गया और उन्होंने लोहिया गेट पर आकर जमकर सीएमएस व सीएमओ के खिलाफ नारेबाजी की।

लोहिया अस्पताल में मरीजों की दशा रात में देखने लायक होती है। मरीज गर्मी और मच्छरों से बेहाल दिखायी पड़ते हैं। कई वयोवृद्व मरीज गर्मी और मच्छरों को मजबूरी में चारपाई पर पड़े हुए ही सहते रहते हैं। क्योंकि किसी मरीज के पैर में प्लास्टर है तो किसी मरीज के हाथों में। जिन मरीजों के तीमारदार साथ में हैं वह तो हाथ वाले पंखे से हवा करके मरीज को थोड़ी राहत दे देते हैं मगर जिन मरीजों के साथ तीमारदार नहीं हैं उनके पास कोई झांकने तक नहीं जाता। मरीज मोमबत्तियों से पूरी- पूरी रात काट देते हैं।

अस्पताल में फिलहाल तीन जनरेटर तो उपलब्ध हैं हीं जिसके तेल में लम्बा गोलमाल होने की बजह से जनरेटर अक्सर नहीं चल पाता है और बहाना बनता है बजट न आने का लेकिन बजट न होने की बात भी लाखों रुपये के पत्थर लोहिया अस्पताल में फर्श उखाड़- उखाड़ कर लगा दिये जाते हैं और बिजली व्यवस्था की स्थिति वैसी की वैसी ही बनी रहती है।

लोहिया अस्पताल में मरीजों का इलाज कराने आये तीमारदार मनोज दुबे ने बताया कि वह 10 दिन से लोहिया अस्पताल में अपने मरीज का इलाज करा रहा है। रात में जनरेटर न चलने से पूरी रात उमश और गर्मी में ही काटनी पड़ती है कोई भी इस बात को सुनने को तैयार नहीं है। सब एक दूसरे पर टालकर बहाना बना देते हैं।

वहीं अपने पति का इलाज करा रही जमुनादेवी ने बताया कि वह आठ दिन से लोहिया अस्पताल में है और लोहिया के कमरों में कहीं से भी हवा न आने से मरीज की तबियत रात में बिगड़ जाती है। लेकिन इसके बावजूद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

श्रीपाल ने बताया कि वह अपने भाई रामप्रकाश का इलाज करा रहा है। उसके अनुसार इस गर्मी से बढ़िया तो वह अपने मरीज को घर पर ही ले जाये। लोहिया अस्पताल तो सफेद हाथी है न दवाइयां मिलतीं हैं न जनरेटर चलता है और न ही कोई डाक्टर है। कहने को तो अस्पताल है लेकिन यह नरक से भी बदतर है। सिर्फ दवाई के नाम पर खड़िया देकर काम चलाते हैं। नहीं तो बाहर से ही लिख देते हैं।

इस सम्बंध में लोहिया अस्पताल के सीएमएस नरेन्द्र बाबू कटियार ने बताया कि बजट न होने की बजह से जनरेटर नहीं चल पा रहा है। टुकड़ों में जनरेटर चलाकर ब्लड बैंक आदि का काम किया जाता है। उसी दौरान बार्डों में लगाये गये इन्वर्टर चार्ज हो जाते हैं। जिससे सीएफएल इत्यादि जलायी जाती है। शीघ्र ही 15 अगस्त तक बजट मिलने की संभावना है। बजट मिलते ही स्थिति सामान्य हो जायेगी।

लाइट न होने की जानकारी देने गये बार्ड व्याय से सीएमएस ने की अभद्रता
बार्डों में बिजली न होने की बजह से गदर काट रहे मरीजों के तीमारदारों ने एक बार्ड व्याय को घेर लिया और उससे लाइट चालू कराने की बात कही। जिस पर बार्ड व्याय ने तीमारदारों से कहा कि वह इस सम्बंध में उनकी कोई मदद नहीं कर सकता। तो लोगों ने इसकी जानकारी सीएमएस को देने की बात कही। जिस पर उसने सीएमएस नरेन्द्रबाबू कटियार से कहा कि मरीज मुझसे जनरेटर न चलाने को लेकर अभद्र भाषा का प्रयोग कर रहे हैं। जिस पर सीएमएस ने बार्ड व्याय से कहा कि इसमें कौन सी नई बात है तुम लोग तो अभद्र भाषा सुनने के लिए ही बने हो।

लोहिया अस्पताल में बदहाल जनरेटर व्यवस्था
लोहिया अस्पताल में लगाये गये 62.5 केवीए के जनरेटरों की स्थिति बिलकुल सफेद हाथी हो गयी है। महिला बार्ड में लगा जनरेटर तो बजट न होने की बजह से बिलकुल ही बंद पड़ा है। जबकि पुरुष बार्ड के लिए लगाया गया जनरेटर टुकड़ों में चलाया जा रहा है। यह स्थिति आज ही की नहीं वल्कि वर्षों पुरानी हो चुकी है। एनआरएचएम घोटाले में फंसने के बाद उसकी जांच के दौरान लोहिया अस्पताल के लिए बजट रोक दिया गया था। जिसकी मुख्य बजह जनरेटर न चल पाना है।

बजट के अभाव से प्रसूताओं को नहीं मिल पा रहा डिलीवरी का पैसा
एनआरएचएम घोटाला बाकई में स्वास्थ्य विभाग को झकझोर गया या यूं मानकर चलिए दीमक लगे सूखे पेड़ की भांति स्वास्थ्य विभाग बिलकुल गिरने की कगार पर आ गया है। कई अधिकारी बदले लेकिन इतना बड़ा घोटाला होने की बजह से स्थिति सामान्य नहीं कर पाये। कुछ तो कमीशनखोरी के चक्कर में स्थिति को स्थिर किये रहे और कुछ प्रयास के बावजूद भी सफलता हासिल नहीं कर पाये। बजट न होने के बजह से प्रसूताओं को डिलवरी तक का पैसा नहीं मिल पा रहा है। जिससे प्रसूताओं में काफी रोष है। करे कोई भुगते कोई। एनआरएचएम घोटाला मात्र कुछ लोगों ने किया और जिसका खामियाजा विभागीय कर्मचारी व अधिकारियों के साथ मरीज व तीमारदारों को भी भुगतना पड़ रहा है।