अखिलेश सरकार की बेरोजगारी भत्ता योजना फिसड्डी

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यूपी की अखिलेश सरकार की बेरोजगारी भत्ता योजना फिसड्डी साबित हो रही है। सरकार को उम्मीद थी की नौ लाख बेरोजगार भत्ता लेगें लेकिन अब सिर्फ 61 हजार बेरोजगार भत्ता लेने के लिए आगे आये है। योजना की नियम शर्तो व सरकार के रवैये से बेरोजगारों ने भत्ता लेने की योजना से मुंह मोड़ लिया है। अब संख्या बढ़ाने के लिए नियम शर्तो में एक बार फिर बदलाव की तैयारी है। राज्य में 32 लाख बेरोजगार सेवा योजना कार्यालय में दर्ज है।

राज्य में अखिलेश यादव की सरकार बनने के बाद 1000 रूपये प्रतिमाह भत्ता लेने के लिए रोजगार कार्यालय पर पंजीकरण के लंबी लंबी कतार लग गई थी। जिसमें 18 साल से लेकर 55 साल तक के अधेड़ भी देखे जा रहे थे। कई जगह बेराजगारों ने भत्ते की चाह में पुलिस की लाठी भी खायी। अब भत्ता लेने के लिए न भीड़ है न चाह। प्रदेश के श्रम व सेवा योजन मंत्री डा.वकार अहमद शाह ने कहा कि हम 01 सितंबर से बेराजगारी भत्ता देगें। नौ लाख के लक्ष्य के मुताबिक महज 61 हजार आवेदन के सवाल पर डा.शाह ने कहा कि भत्ते के लिए आवेदन की शर्तो में कुछ छूट देने पर विचार हो रहा है। उन्होने उम्मीद जताई की सितंबर के पहले काफी संख्या में बेरोजगार भत्ते की शर्तो को पूरा कर लेगें। हालांकि इस बातचीत उन्होने यह नही बताया कि बेराजगारों को क्या छूट देने जा रहें है। जबकि विभगीय सूत्रों का कहना है कि नए संशोधन में बेरोजगारों की आय प्रमाण पत्र बनवाने की छूट देने के साथ ही न्यूनतम आयु सीमा 30 से घटाकर 25 वर्ष और ऊपरी आयु सीमा 40 से बढ़ाकर 45 करने पर विचार किया जा रहा है।

 

बेरोजगारी भत्ता देने के फैसले को लेकर समाजवादी पार्टी और सरकार लगातार अपनी पीठ ठोंक रही है। जबकि हकीकत इससे परे है। हालात यह है कि भत्ते के लिए पंजीकरण करने के लिए बनी बेव साइट ठप हो गई। भत्ता देने में तमाम नुक्ताचीनी से परेशान बेरोजगार भत्ता लेने से कतरा रहें है। बेरोजगारों की यह नाराजगी सरकार के रणनीतिकारों पर भारी पड़ रही है। लिहाजा भत्ता देने के नियम शर्तो में तीसरी बार बदलाव की तैयारी की जा रही है। सरकार ने मई में कैबिनेट के फैसले से बेरोजगारी भत्ता योजना-2012 को लागू करने का निर्णय लिया था। इसके लिए बजट में 1105 करोड़ की व्यवस्था भी कर दी थी।

 

प्रदेश संसाधनों के इंतजाम को देखते हुए सरकार वर्ष 2012-13 में नौ लाख बेरोजगारों को भत्ता देना चाहती है। 16 मई को शासनादेश जारी होने के साथ ही भत्ते के आवेदन जमा करने की प्रRिया शुरू हुई। भत्ते के लिए आवेदन के लिए तमाम शर्ते जोड़ दी गई। शर्ते ऐसी की परेशान बेराजगार और हैरान हो जाए। सेवायोजन कार्यालयों से भत्ते के लिए आवेदन करने वाले नदारत हो गए। भत्ता लेने के लिए बेरोजगारों को लुभाने के लिए 16 जून को संशोधित शासनादेश जारी किया गया। इसके बाद भी प्रदेश में बेरोजगारी भत्ते के लिए आवेदन करने वालों की सं या 61 हजार से कुछ अधिक ही पहुंच सकी है। आवेदन बढ़ाने के लिए एक बार फिर शासनादेश में संशोधन की संभावना है।

क्या कहता है विपक्ष
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डा.लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने कहा कि सरकार ने बेरोजगारी भत्ता दिए जाने के लिए जो मानक तय किए गए हैं उससे युवा अपने आपको ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। सपा ने अपने घोषणापत्र में प्रदेश के युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देने का वादा करते समय शर्ते नही बताई थी। सरकार की नियमावली प्रदेश के युवाओं को हताश करने वाली है।

 

कांग्रेस के प्रवक्ता द्विजेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि सरकार बेरोजगारों के साथ छल कर रही है। कभी शर्ते थोपती है खबर आती है कि भत्ते के लिए बेराजगारों को काम भी करना पड़ेगा। काम करने पर तो न्यूनतम मजदूरी मिलनी चाहिए जो 120 रूपये प्रतिदिन है।