मीडिया ने किया खेल ख़राब- विधायक निधि से नहीं मिलेगी गाड़ी

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लखनऊ| उतर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने फैसले से 24 घंटे के अन्दर पलटते हुए विधायकों द्वारा विधायक निधि से 20 लाख तक की महंगी गाड़ी खरीदने के ऐलान को वापस ले लिया है| अखिलेश यादव ने मीडिया को जबाब देते हुए कहा कि इस कदम की जमकर मीडिया में आलोचन हुई है जिसके कारण वे फैसले को पलट रहे है|

मुख्यमंत्री ने मंगलवार को ऐलान किया कि विधायक, विधायक निधि से 20 लाख तक की महंगी गाड़ी खरीद सकते हैं| यह गाडियां सरकारी संपत्ति की रहेंगी जो भी विधायक इसे अपने नाम कराना चाहता है वह पांच साल बाद इसे बाजार मूल्य पर अपने नाम करा सकता है| हालांकि, विपक्षी दलों के द्वारा आलोचना किये जाने के बाद उन्होंने अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं|

बता दें, मुख्यमंत्री ने विधान सभा सत्र के दौरान विधानमण्डल क्षेत्र विकास निधि बढ़ाकर 1 करोड़ 50 लाख रुपये प्रति विधान सभा क्षेत्र करने की घोषणा की थी| उन्होंने इस निधि से 20 लाख रुपये तक का वाहन खरीदने की अनुमति देने की घोषणा करते हुए कहा कि यदि विधायक चाहें तो वे इस निधि से अपने उपयोग हेतु निर्धारित धनराशि की सीमा तक वाहन क्रय कर सकते हैं|

इस पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा), कांग्रेस व राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) ने सरकार की जमकर आलोचना की थी| रालोद ने आलोचना करते हुए फैसले को मानने से साफ़ इनकार कर दिया था| वहीं, बसपा ने मुख्यमंत्री को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि अखिलेश अबतक के सबसे कमजोर मुख्यमंत्री हैं|

सूत्रों का कहना है कि खुद सपा के विधायक भी इस फैसले से खुश नहीं थे, क्योंकि उन्हें भी पता है कि जनता नहीं चाहती है कि क्षेत्र के विकास के लिए मिलने वाली रकम विधायक अपने लिए इस्तमाल करें|

देर से आई लेकिन सुध तो आई

मुख्यमंत्री अखिलेश द्वारा अपने फैसले को वापस लिए जाने के बाद कांग्रेस ने टिप्पणी करते हुए कहा है कि देर से ही सही, सुध तो आ गयी| वहीं, बसपा ने अखिलेश की तुलना मुग़ल शासक मुहम्मद बिन तुगलक से की है|

बसपा ने कटाक्ष किया है कि जिस तरह तुगलक ने 1327 ई. में अपनी मुर्खता के चलते देश की राजधानी को दिल्ली से दौलताबाद कर दिया और कुछ समय बाद पुनः दिल्ली को राजधानी बना दिया, ठीक उसी तरह अखिलेश भी अपने फैसलों से कुछ ऐसा ही व्यक्त कर रहे हैं|

बता दें कि इससे पहले सरकार ने निर्देश जारी किया था कि प्रदेश के मॉल और दुकानों में रात सात बजे के बाद बिजली नहीं दी जाएगी, बाद में सरकार इस फैसले से पलट गई थी| अपने इस फैसले के बाद भी प्रदेश सरकार को आलोचना झेलनी पड़ी थी|

कौन दे रहा मुख्यमंत्री को सलाह

विपक्षी पार्टियों द्वारा लगाए जा रहे आरोपों व आलोचनाओं पर पार्टी के वरिष्ठ नेता मोहन सिंह ने सफाई देते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री अखिलेश के चारों तरफ घुमने वाले चापलूस अफसर उन्हें ऐसे फैसले लेने की सलाह देते हैं, जिससे बाद में पार्टी की किरकिरी होती है|

दूसरी तरफ, सरकार के ताकतवर मंत्री आजम खान ने मुख्यमंत्री का बचाव करते हुए कहा था कि यह फैसला उन ‘गरीब’ विधायकों के लिए हैं, जो कार की कमी के चलते अपने क्षेत्र के विकास का पूरी तरह निरीक्षण नहीं कर पाते हैं|

उठ रहे हैं कई सवाल

प्रदेश की जनता ने एक युवा को मुख्यमंत्री पद पर बेहद उम्मीदों के साथ बिठाया था, ऐसे में अगर सपा की तरफ से बचाव करने जैसे बयान आ रहेंगे तो कई तरह के सवाल उठाना लाजमी है| जिनमें से मुख्य सवाल हैं-

(1) ऐसे कौन से चापलूस अफसर हैं जो मुख्यमंत्री को इस तरह के फैसले लेने का सुझाव देते हैं?
(2) यदि पार्टी की किरकिरी कराने पर आमादा चापलूस अफसर मुख्यमंत्री को बेतुके फैसले लेने के सुझाव देते हैं तो उन्हें बाहर का रास्ता क्यों नहीं दिखा दिया जाता?
(3) क्या मुख्यमंत्री अपने विवेक से फैसले लेने में सक्षम नहीं हैं?
(4) मुख्यमंत्री द्वारा लिया गया कोई भी फैसला 24 घंटे में क्यों बदल दिया जाता है?