फर्रुखाबाद परिक्रमा- घर से बेघर करा कर बोल रहे हो- हैप्पी बर्थ डे

EDITORIALS FARRUKHABAD NEWS

मुंशी हरदिल अजीज और मियां झानझरोखे आज सुबह उठते ही तैयार होकर सीधे खबरीलाल के यहां पहुंच गए। खबरीलाल घर के बरामदे में बैठे अखबार पढ़ रहे थे। दोनो ने एक स्वर में कहा भैया। खबरीलाल जन्म दिन मुबारक हो। तुम जिओ हजारों साल! हर बरस के दिन हों पचास हजार।

खबरीलाल चौंक कर बोले जन्म दिन किसका जन्मदिन, कैसा जन्मदिन! मैं कुछ समझा नहीं। भैया लोगों आखिर सुबह-सुबह यह मसखरी क्यों की जा रही है। मुंशी और मियां बोले क्या बात है खबरीलाल। क्या निकाय चुनाव की थकान अभी कम नहीं हुई जो ऐसी बहकी-बहकी बातें कर रहे हो। तुम्हीं कहते हो हमारा नाम खबरीलाल कोई ऐसे ही नहीं है। जर्रे जर्रे और पल पल की खबर रखते हैं। तुम्हें नहीं मालूम कि आज अपने प्यारे दुलारे आंखों के तारे सूबे के युवा मुख्यमंत्री अखिलेश भैया का जन्म दिन है। अजी कर लो मुबारक ऐसा मौका फिर कहां मिलेगा।

खबरीलाल कुछ सम्हले। अच्छा-अच्छा अखिलेश भैया का जन्म दिन है। यह भी कोई भूलने की बात है। माफ करना परन्तु तुम दोनो ने चापलूसी की यह जुगलबंदी काहे के लिए प्रारंभ कर दी। ठीक है मुख्यमंत्री के रूप में यह पहिला जन्म दिन है। परन्तु सपा प्रदेश अध्यक्ष के रूप में, मुख्यमंत्री के पुत्र के रूप में, रक्षामंत्री के पुत्र के रूप में, कन्नौज सांसद डिंपल यादव के पति के रूप में, अर्जुन यादव के पिता के रूप में, रामगोपाल, शिवपाल के भतीजे के रूप में, धर्मेन्द्र यादव के भाई के रूप में अखिलेश भैया के अनेक जन्मदिन हुए हैं। आप दोनो ने इससे पहिले इस नाचीज को कभी याद नहीं किया।

मुंशी और मियां बोले क्या बात है खबरीलाल। कैसी दिलजलाने वाली बातें कर रहे हो। तुम्हारी तबियत तो ठीक है। तुम्हें अखिलेश भैया के जन्म दिन पर क्या कोई खुशी नहीं है। क्या हो गया है तुम्हें आज। मौका और मौके की नजाकत भी देखा करो। कोई सुन लेगा क्या कहेगा। अरे कोई और बात हो तो बताओ। परन्तु खुशी के मौके पर भैया खबरीलाल ऐसी बातें मत करो। मियां ने तो खबरीलाल के माथे पर हाथ रखकर कहा। तुम्हारा माथा तप रहा है। गर्मी बहुत है। तुम्हारी तबियत ठीक नहीं लगती। चलो कपड़े पहिन लो बाहर चलते हैं। खुशी का दिन है भैया अखिलेश का जन्म दिन है। छुट्टी का दिन है। अब चलो न खबरीलाल कुछ मस्ती करेंगे, ऐश करेंगे। मियां और मुंशी खबरीलाल को मनाने में लगे थे। परन्तु खबरीलाल ठहरे खबरीलाल। इतनी मान मनुहार के बाद भी टस से मस नहीं हो रहे थे।

जब खबरीलाल को मनाने की मियां और मुंशी की कोशिशें बंद नहीं हुईं तब खबरीलाल बोले भाई लोगों। हमें गलत मत समझो। अखिलेश का जन्मदिन है मुबारक दिन है। खुशी का दिन है। परन्तु अखिलेश आज केवल अखिलेश नहीं हैं। देश के सबसे बड़ प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। उत्तर प्रदेश यदि देश होता तब फिर दुनिया का छठा बड़ा देश होता। तब अखिलेश इसके प्रधानमंत्री होते।

खबरीलाल बोले कभी सोचा है अखिलेश आज के दिन क्या सोच रहे हैं। राहुलगांधी, मायावती जैसे दिग्गजों के जन्मदिनों का हाल देख रहे हो। गा बजाकर नेग वसूलने वाले किन्नरों जैसा हाल मत करो। हम रंग में भंग नहीं चाहते। हम चाहते हैं कि प्रदेश में कुछ नया विधान हो। अभी अखेलेश को मुख्यमंत्री बने केवल साढ़े तीन महिने हुए हैं। उनके पिता ने उन्हें सौ दिन के कार्यकाल में पूरे सौ नंबर  दिए हैं। हम तो आज अखिलेश के जन्मदिन पर परम पिता परमात्मा से यही प्रार्थना करेंगे कि उनके पिता का उनकी सफलता पर विश्वास दिन पर दिन और बढ़ता रहे। अखिलेश के पिता की टिप्पणी पर मुंह बिचकाने वालों का मुहं काला हो। देश और प्रदेश का हर व्यक्ति अखिलेश के पिता की तरह उन्हें उनके कार्यकाल के सम्बंध में बिना किसी मोह पक्षपात और दबाव के सौ में सौ नम्बर दे।

मियां और मुंशी बोले खबरीलाल जी आपकी बात सोलह आने पाव रत्ती सही है। आप कह रहे थे कि अखिलेश आज के दिन अपने जन्म दिन पर क्या सोंच रहे हैं। खबरीलाल बोले ज्यादा विस्तार में नहीं जायेंगे। अखिलेश आज अपने जन्मदिन पर जो सोंच रहे हैं। वह हर नेता को सोंचना विचारना चाहिए। इसी के साथ जन्मदिन पर प्रशंसकों, समर्थकों को अपने नेता की बातों पर अमल करना चाहिए।

खबरीलाल बोले अखिलेश को जैसा जैसा मैने देखा समझा और जाना। उसके हिसाब से अखिलेश के दिल और दिमाग में यही सवाल गूंजता होगा कि देश और प्रदेश के करोड़ों लोगों ने उनसे जो आशायें और अपेक्षायें लगाई हुई हैं। वह कैसे पूरी हों। कांटों भरी राह है। कदम कदम पर अवरोध हैं। विरोधी तो विरोधी है ही। अपने कहे जाने वाले भी स्वार्थ पूरे न होने पर कब तक अपने रहेंगे। यह सवाल भी मन मस्तिष्क में आता होगा। युवा हैं छोटे हैं। हर बड़ा पुराना और अपना सुझावों सलाहों के लंबे काफिले के पीछे कुछ अपनी निजी बात भी कहने को तैयार बैठा है। इनमें अपनी निजी बात ही प्रमुख है। बांकी सब भूमिकायें मात्र हैं।

खबरीलाल बोले अखिलेश उतने भोले भी नहीं हैं जितना लोग मान बैठे हैं। वह सोच लेते हैं कि उनके युवा समर्थक गांव-गांव फैले उनके, उनके पिता जी के और पार्टी के समर्थक कब उन्हें कमीशन और लूट से मुक्त गेहूं खरीद का उपहार देंगे। अखिलेश सोचते होंगे कि कब उनकी पार्टी के कार्यकर्ता डा0 लोहिया जैसे समाजवादियों को अपना आदर्श मानकर जाति विरादरी के बंधनों को तोड़कर, छोड़कर वैचारिक और सैद्धान्तिक आधार पर समाजवादी की अलख जगायेंगे। विश्व बंधुत्व और विश्व विरादरी के सपने को साकार करने की ओर कदम बढ़ायेंगे।

खबरीलाल बोले अखिलेश यह भी सोंचते और चाहते होंगे कि उनके लोग उनके किस जन्मदिन पर दूसरों के आचरण व्यवहार पर व्यर्थ वेमतलब की टिप्पणी करने के स्थान पर सार्वजनिक जीवन में सादगी और ईमानदारी का पाठ पढने और उस पर चलने का उपहार उन्हें देंगे।

खबरीलाल यहीं पर नहीं रुके। बोले बिजली चोरी रुके। भ्रष्टाचार पर नकेल कसी जाये। प्रदेश विकास के रास्ते पर चले यह कौन नहीं चाहता। परन्तु अखिलेश जानते हैं कि जिन्होंने राजनीतिकों, शीघ्र और बडे लाभ का व्यवसाय बना लिया है। उनके बल पर जो सपने वह देख रे हैं। वह पूरे नहीं होंगे। स्वयं उनके द्वारा पहल करने के बाद भी उनके अधिकांश मंत्रिमण्डलीय सहयोगियों ने अभी तक अपनी सम्पत्ति की घोषणा नहीं की। अखिलेश जानते हैं कि जल्मदिन की बधाइयों, जिम्मेदारियों, आशाओं, अपेक्षाओं और उम्मीदों का सपनों का भारी बोझ है। जिन्हें वह अपनों के सच्चे और निस्वार्थ सहयोग से वही पूरा कर सकते हैं।

खबरीलाल बोले आपको हमारी बातें कैसी लगीं, यह आप जानें। अखिलेश को जन्मदिन की बधाई के साथ उनके सपनों को पूरा करने में सच्चे सहयोग देने के संकल्प के साथ कौन आगे आता है। इसकी हमें भी प्रतीक्षा रहेगी और अखिलेश को भी। एक बार फिर युवाओं को ललकार – किस ओर चलेगा जमाना, किस ओर चलेगी जवानी, उत्तर प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री के जन्मदिन पर बधाइयों के साथ उसे बताओ –

हमको मिटा सके यह जमाने में दम नहीं,
हमसे जमाना खुद है जमाने से हम नहीं।

मुंशी मियां और खबरीलाल ने नेहरू रोड पर आकर जमकर गोलगप्पे (पानी पूरी) का आनंद लिया। जन्मदिन अपनी स्टाइल में धूमधाम से मनाया।

और अंत में ……………….
चापलूसी और जन्म दिन का पुराना नाता है। जून के महीने में 1975 में इमरजेंसी लगी थी। सारा विपक्ष जेल में था। पूरा देश दहशत में था। परन्तु कांग्रेस के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष बरुआ साहब ने नारा दिया था- इन्दिरा इज इण्डिया, इण्डिया इज इंदिरा। इन्दिरा भारत है और भारत इन्दिरा है। आपातकाल के बाद लोक सभा चुनाव हुए। इन्दिरा गांधी सहित पूरी कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया। बरुआ साहब ने जरा भी देर नहीं लगाई। सारी कमियों, ज्यादतियों और प्रतिकूल चुनाव परिणामों, असफलताओं का ठीकरा इन्दिरागांधी पर फोड़ दिया। सही ही कहा है अपनी प्रशंसा पर प्रसन्न और आलोचना पर गुस्सा करने वाले लोग मूर्ख होते हैं।

चलते-चलते …………………..
पालिका चुनाव हो गए। सात जुलाई को परिणाम भी आ जायेंगे। पूरे जिले में जनसेवकों और जनप्रतिनिधियों के बीच रस्सा कसी जारी है। अपने को श्रेष्ठ और सही तथा दूसरे को गलत और अहंकारी बताने की होड़ लगी है। कोई पीछे हटने को तैयार नहीं है। जिले का अवरुद्ध है। जानकारों का कहना है कि दुतरफा लूट भी मची है। इस पर अगले हफ्ते विस्तार से। आपके पास कोई जानकारी हो तो हमें अवश्य बतायें। आज बस इतना ही। जय हिन्द।

सतीश दीक्षित
एडवोकेट