फर्रुखाबाद: जनसम्पर्क, मीटिंग और रोड मार्च ये तीनो चुनाव प्रचार के अच्छे माध्यम होते है| ये तुरंत वोटो में तब्दील होने वाले कारक बिकुल नहीं अलबत्ता माहौल जरुर बनाते हैं| इनके माध्यम से चुनाव लड़ने वाला चर्चा में आता है| नेताजी के जाने के बाद जनता चर्चा करती है| ये चर्चा अच्छी और बुरी दोनों प्रकार की हो सकती है| कट्टर समर्थक है तो अपने नेता के खिलाफ कुछ भी सुनना पसंद नहीं करता| और चर्चा समाचीन है तो इसमें मजा आता है| चर्चा करने वाले वोट किसे दोगे इस बात का कोई जिक्र नहीं करते| वे सिर्फ आलोचना या समालोचना करते है| यक़ीनन ये आलोचना और समालोचना नेताजी के लिए माहौल बनाती है जिसका परिणाम चुनाव वाले दिन देखने को मिलता है|
वत्सला के लिए सोमवार को मनोज अग्रवाल बिर्रा बाग़ और कादरी गेट क्षेत्र में निकले| घर घर वोट माँगा| एक घडी पुरुष छूट जाए मगर महिला के पैर छूकर या बातो से समझा कर अपना बनाने का प्रयास जरुर करते हैं| ये अच्छी मार्केटिंग का अनुभव है| निशाना कब और कहाँ मारना है| महिला घर में चर्चा करेगी| मोहल्ले में चार जगह बैठेगी और कहेगी- मनोज आये थे वोट मांगन| वैसे भले आदमी है| अब काम तो ह्म्तुआ बार को कभयु इन बड़े आदमिन से का परिये लेकिन बोल चाल बहुत बढ़िया है|
इसी मोहल्ले में मनोज के जनसम्पर्क काफिले के आगे जाने के बाद बुजुर्ग कहते सुने- लड़का तो बढ़िया है बस गन्त पार्टी में फसो है| वा मायावती ने सब लूट लयो प्रदेश, बाई की पार्टी में तो हैं| अब मतदाता तो मतदाता है| ऊपर से सम्वैधानिक स्वतंत्रता अभिव्यक्ति की| हमने भी बुजुर्ग से उनका नाम व् जात पूछने की हिम्मत नहीं जुटाई| अलबत्ता कुछ एहसास पिछड़ी जात का लगा| इस तरह छोटे छोटे में मुहल्लों में चर्चा सुबह से शाम चलने लगी है| बहुत गर्मी है मनोज का कुरता पसीने से लथपथ है शायद वोट पड़ने तक मानसून की एक आध बूँद पड़ जाए और …..