खबरीलाल का रोजनामचा-“दे बीबी के नाम पर – भगवान तेरा भला करेंगे”

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खबरीलाल आज बहुत खुश थे। आते ही पटिया पर डट गये। बाबा पान वालों की ओर मुखातिब होकर बोले। हलो बाबा दि-ग्रेट, अनार के जूस का एक डीलक्स गिलास बनाओ। बर्फ थोड़ी और काला नमक ठीक ठाक। आज गर्मी ने प्राण ही ले लिये। जो नेता देर रात तक दारू की महफिल जमाये रहते थे, 11 बजे सोकर नहीं उठते थे। बेचारे पत्नीव्रत की अनुपालना में सुबह सबेरे ही चकाचक सफेद कपड़े पहने, सिर के बालों में चश्मा और गले में दुपट्टा सजाये निकल पड़ते हैं। पत्नी के नाम पर गली-गली घर-घर वोट मांगने के लिए “दे बीबी के नाम पर – भगवान तेरा भला करेंगे।” दे बेगम के नाम मालिक नियामतों की बारिस करेंगे।

खबरीलाल के हाथों में अनार के जूस का गिलास आ चुका था। चुस्कियां लेकर जूस पीते जा रहे थे। अपनी आदत के अनुसार बाबा को सुनाते जा रहे थे। बाबा ने अपनी इतनी उम्र में जाने कितने चुनाव और छोटे बड़े नये पुराने नेताओं के जाने कितने चेहरे और मुखौटे देखे थे। बाबा बोले खबरीलाल ये बताओ कि तुम अकेली जान तुम्हारे पास में दुनिया जहांन की खबरें कहां से आ जाती हैं। तुम्हीं बता रहे थे कि मुंशी हरदिल अजीज इस बार कंपिल, कायमगंज व शमशाबाद का चुनाव देखेंगे। मियां झान झरोखे कमालगंज और मोहम्मदाबाद में रहेंगे। फर्रुखाबाद नगर पालिका का इतना बड़ा चुनाव एक से एक धुरंधर, हत्यारोपी, कमीशनखोर, भूमाफिया, धन्नासेठ, तिकड़मी, दंदीफंदी, नोटों के सौदागर मैदान में हैं। कैसे इतनी दौड़ भाग कर पाते हो।

खबरीलाल बोले बाबा आप बहुत भोले हो। हम नेता से मतलब नहीं रखते। उनके चमचों चापलूसों से हमारी दुआ सलाम भी नहीं होती। हम तो सीधे जनता (मतदाता) से मिलते हैं। लोकतंत्र का भगवान मतदाता है। चुनाव दौरान सुबह से शाम तक सारे नेता मतदाताओं की ही हाजिरी देते हैं। वह अपनी अच्छाइयों का कम बखान करते हैं अपने संभावित विरोधी का चिट्ठा पूरी मुस्तैदी से खोलते हैं। हम सीधा सम्बंध जनता से मतदाताओं से रखते हैं। इसलिए हमें इन नेताओं की सारी पोल पट्टी आसानी से मिल जाती है।

बाबा खबरीलाल का यह तरीका सुनकर हंसी के मारे लोटपोट हो गये। जूस का खाली गिलास हाथ में लेकर बोले जबाब नहीं तुम्हारा खबरीलाल। अच्छा बताओ आज की क्या रिपोर्ट है।

खबरीलाल बोले बाबा! भाजपा की राजनीति सेनापति से बाहर आने को छटपटा रही है। भाजपा के जो दिग्गज नेता नाले मछरट्टे और चौक के नजदीक माने जाते थे। इस बार वह भाजपा प्रत्याशी के कार्यालय उदघाटन के दिन से ही नाला मछरट्टा और चौक की जमकर पोल खोल रहे हैं। उन्हें अच्छी तरह पता है कि विधानसभा में जो फजीहत हुई है उसकी भरपाई कमल फूल को खिलाने से ही हो सकती है। वह जानते हैं कि पार्टी जीतेगी, तभी इज्जत बचेगी। अन्यथा सारी सीनआरटी धरी की धरी रह जायेगी।

खबरीलाल बोले भाजपा के पुराने परन्तु अपने-अपने कारणों से शांत बैठ गये दिग्गज घर-घर जाकर मनाये जा रहे हैं। भाजपाई अपने प्रत्याशी की नाले मछरट्टे से कल तक रही दोस्ती को कथित दुश्मनी में बदल जाने के किस्से चटखारे लेकर सुनाते हैं। भाजपाई गहरी मुस्कान के साथ कहते हैं दुश्मन का दुश्मन दोस्त। कुछ सीनियर ज्यादा समझदारी दिखाने के अंदाज में कहते हैं।

किसी को क्या पड़ी सोचे तुझे नीचा दिखाने को
तेरे आमाल काफी हैं तेरी हस्ती मिटाने को।

बाबा बोले खबरीलाल यह तो ठीक है। परन्तु यह सपाई, बसपाई और कांग्रेसी इस चुनाव में क्या कर रहे हैं। खबरीलाल बोले बाबा विधानसभा चुनाव में केन्द्रीय विधि मंत्री की पत्नी सहित जिले में कांग्रेसियों की जो दुर्दशा हुई है। उसके बाद कांग्रेसियों के पास करने को क्या रह जाता है। जैसे-तैसे एक बंदा अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने को तैयार हुआ। उसे सिम्बंल भी दे दिया गया। परन्तु जिला और शहर कांग्रेस अध्यक्षों की तकरार तथा दिल्ली में मंत्री जी और मैडम जी की कभी न खत्म होने वाली व्यस्तता ने उस बेचारे को भी पैर पीछे खींचने को मजबूर कर दिया। रही सही कसर पूर्व ओएसडी मदर टेरेसा के अनुयायी शुक्ला साहब ने पूरी कर दी। हाल यह है कि पूरे जिले में कांग्रेस का चुनाव निशान पूरी तरह से गायब है। अब जिस कांग्रेसी के जो मन में आ रहा है वह कर रहा है। किसी पर किसी का जोर नहीं।

सपा वालों की बाबा आपसे क्या कहें। पार्टी ने फरमाया कि सिंवल से कोई चुनाव स्थानीय निकाय को नहीं लड़ा जाएगा। परन्तु वह सपाई ही क्या जो मान जाए। एक और 1963 के ऐतिहासिक चुनाव में डा0 लोहिया का नामांकन करने वाले कट्टर समाजवादी श्यामा गुप्ता के भतीजे की पत्नी चुनाव मैदान में हैं। दूसरी ओर विगत विधान सभा चुनाव में बसपा प्रत्याशी का नामांकन कराने वाले हाजी जी अपनी पत्नी को सपा समर्थित प्रत्याशी बता रहे हैं। सिंवल न सही नेता जी का नाम और फोटो है। एक ओर पुराने दिग्गज नेता हैं। सक्रिय कार्यकर्ता और डिंपल यादव की जीत पर जश्न मनाने वाले हैं। वहीं दूसरी ओर धन, वैभव, विरादरी का खेल है। चुनाव में जमानत जप्त करा चुके नेता और उनके उपकृत समर्थक अपनी आगे की रणनीति के नाम पर हाईकमान के निर्देशों की खुली अवहेलना कर रहे हैं। इन लोगों का साफ कहना है कि जब नेता जी के मुकाबले चुनाव लड़ने वाले का कुछ नहीं हुआ। अपना स्वयं का वोट भी पार्टी को न देने वालों का कुछ नहीं हुआ। तब हाईकमान हमारा कौन सा वेतन भत्ता बंद कर देगा। जिलाध्यक्ष बेचारे नई नई नौकरी के कारण असहाय हैं। वहीं नए नगर अध्यक्ष कुछ करिश्मा दिखाना चाहते हैं। आखिर संग साथ का कुछ असर पड़ना चाहिए।

खबरीलाल पानी पीने के बाद वोले कल रात कहीं से पुराने हाथी वाले और साइकिल पर चढ़ने को बेताब के लिए पार्टी के कथित समर्थन की बात हवायें गूंजी। पिछली बार भी यही हुआ था। नाम किसी और का तय हुआ। समर्थन किसी और को दिया गया। सपा हाई कमान लोहिया कर्मभूमि में लंबे समय से प्रयोग कर रहा है। कोई प्रयोग अभी तक कामयाब नहीं हुआ। परन्तु प्रयास जारी है लगे रहो मुन्नाभाई की तर्ज पर। दो एक दिन में हालात सामने आ जायेंगे। सपा में भगदड़ है। पार्टी सूबे में सत्ता में है। परन्तु चुनाव में सिंबल नहीं है। सभी को खुली छूट है। जहां जिसका सींग समा रहा है वह वहीं रुख कर रहा है।

बाबा बोले भइया! खबरीलाल कल तक हाथी पर चिंघाड़ने वाले कहां है। खबरीलाल बोले कहां हो सकते हैं। यह आप अच्छी तरह जानते हो बाबा। जिस फौज का कमांडर ही दिल्ली भाग जाए तब फिर सेना का क्या होगा। बसपा के टूटे दिल की तरह कई टुकड़े हुए हैं। कोई नाले मछरट्टे पर गिरा, कोई चौक में। कोई भाजपा और अन्य निर्दलीयों के साथ अपनी सुविधा और सेहत के हिसाब से लगा हुआ है। बसपा जिला पंचायत अध्यक्ष तथा ब्लाक प्रमुखों की कुर्सी खतरे में है। सभी अपनी-अपनी जान पहिचान के हिसाब से सपाइयों की हां हुजूरी कर रहे हैं। बसपाइयों का एक हिस्सा पुराने बसपाई और जबर्दस्ती के नए सपाई के साथ लगा है। सदस्यता भर्ती बंद है परन्तु समर्थन और सहानुभूति जारी है। क्योंकि सभी जानते हैं कि चांदी के जूते में बहुत ताकत होती है। भारतीय राजनीति के वर्तमान दौर में केवल कुछ अपवादों के साथ चांदी का जूता मखमल के रूमाल में लपेट कर खाने के लिए बड़े से बड़ा नेता और बड़े से बड़ा मीडियाकर्मी खाने को तैयार है। – आज वस इतना ही।

सतीश दीक्षित
एडवोकेट