डीआईजी की शहर में मौजूदगी और पुलिस टेस्ट रिपोर्ट का मतलब?

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फर्रुखाबाद: जहां आम तौर पर लूट की एफआईआर लिखाने के लिए घंटों पीड़ितों को गिड़गिड़ाना पड़ता है वहीं एक फोन पर पूरी कोतवाली की पुलिस होटल हिन्दुस्तान पहुंच गयी। यह ड्रामा जनपद पुलिस द्वारा निरीक्षण पर आये आई जी को पुलिस की सक्रियता दिखाने के लिए किया गया। जिसमें पुलिस को तो 100 में पूरे 100 नम्बर मिल गये लेकिन मीडियाकर्मी तपती दोपहरी में दौड़ते नजर आये।

वाकया दोपहर के कुछ बाद का है जब तेज धूप होने की बजह से ज्यादातर लोग अपने घरों में दुबके टीवी देख रहे थे। लगभग सड़कें सूनसान सी नजर आ रहीं थीं। पेड़ों के पत्ते तक नहीं हिल रहे थे। तभी अचानक लोगों को पुलिस के हूटर की आवाज ने चौंका दिया। अचानक ही आवास विकास स्थित हिन्दुस्तान होटल के सामने पुलिस की दो गाड़ियां आकर रुक जाती हैं। देखते ही देखते उसमें से आठ दस पुलिसकर्मी कोतवाल के नेतृत्व में आ धमके। फोर्स के साथ में आईटीआई चौकी इंचार्ज अनूप तिवारी, घटियाघाट चौकी इंचार्ज त्रिभुवन सिंह पूरी फुर्ती के साथ आ धमके और इधर उधर फोन लगाकर पूछने लगे कि किसके साथ लूट हुई।

इसी बीच कोतवाल विजय बहादुर सिहं ने आदेश दिया कि तत्काल वायरलेस से लूट की सूचना प्रसारित की जाये। कोई भी यह नहीं जान पा रहा था कि आखिर लूट की घटना का फोन किसने किया और वह भी पुलिस कन्ट्रोल रूम पर। पुलिस फोर्स को इतना सक्रिय देखकर लोगों की भीड़ भी जीपों के आस पास एकत्र हो गयी। सभी पुलिसकर्मियों के शरीर में फुर्ती दिखायी पड़ रही थी। तभी किसी ने कहा कि एस के सिंह नाम के किसी व्यक्ति ने लूट की सूचना दी है। पुलिस ने उस नम्बर पर बात भी की लेकिन वह नम्बर शाहजहांपुर के किसी व्यक्ति का निकला।

आये दिन होने वाली शहर में लूट की घटनाओं पर यदि पुलिस इतनी ही सक्रिय हो तो शायद लुटेरे दोबारा लूट जैसी किसी घटना को अंजाम देने की जुर्रत भी न करें। असल बात तो यह है कि असली लूट की घटना हो जाने के बाद पुलिस वाकायदा पीड़ित द्वारा तहरीर का इंतजार करते हुए टांग पर टांग रखकर बैठी रहती है और इस बारदात में पुलिस इतनी सक्रिय क्यों रही।

शहर कोतवाल विजय बहादुर सिंह ने बताया कि शहर में आईजी की मौजूदगी होने की बजह से पुलिस पहले से ही सक्रिय थी। कोतवाल ने बताया कि आईजी के आदेश पर यह टेस्ट रिपोर्ट देखने के लिए पुलिस को वायरलेस द्वारा लूट की घटना की सूचना दी गयी।