प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल एक्ट (पीसीएसओ) में पहली बार इस बात की पहचान की गई है कि एक लड़के के साथ एक लड़की या एक महिला भी बलात्कार कर सकती है।बच्चों के यौन शोषण को लेकर जिस कानून को लाने की कवायद चल रही है उससे लड़कों का बलात्कार भी साबित किया जा सकेगा। इस कानून में यह भी प्रावधान है कि 18 साल से कम उम्र में सहमति के बावजूद सेक्स करना गैरकानूनी होगा। पहले यह उम्र सीमा 16 साल थी।
1860 में बनी आईपीसी के अनुसार एक पुरूष ही बलात्कार करता सकता है लेकिन पीसीएसओए के तहत इसे पेनेट्रेटिव सेक्सुअल एसॉल्ट कहा जाएगा। इसका मतलब यह हुआ कि जब वयस्कों का मामला होगा तो केवल महिला के साथ ही बलात्कार हो सकता है। नये कानून के प्रावधानों में पेनेट्रेशन की नई परिभाषा तय की गई है। अब 18 साल के किसी बच्चे के साथ “ओरल सेक्स” भी रेप की परिभाषा के तहत आएगा।
आईपीसी के अनुसार बलात्कार की परिभाषा में पेनेट्रेशन एक आवश्यकक शर्त है और परंपरागत रूप से इसे पेनाइल वेजिना इंटरकोर्स तक सीमित रखा गया है। इसके उलटे पीसीएसओए के प्रावधानों में पेनाइल पेनेट्रेशन केवल योनि तक सीमित नहीं होकर बच्चे के मुख और गुदा भी शामिल है। इसके तहत उन परिस्थितियों को भी शामिल किया गया है जहां आरोपी किसी बच्चे के शरीर के किसी हिस्से में किसी हद तक कोई वस्तु या शरीर का कोई हिस्सा पेनेट्रेट करता है।