रामदेव पर शिकंजा, सरकार का 58 करोड़ का टैक्‍स बकाया

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आयकर विभाग ने बाबा रामदेव से जुड़े ट्रस्टों की आय वर्ष 2009-10 में 120 करोड़ रुपए आंकी है। इसके आधार पर ट्रस्ट से 58 करोड़ रुपए का कर मांगा है। बाबा से जुड़े ट्रस्टों को मिलने वाली छूट भी समाप्त कर दी गई है। यह छूट ट्रस्टों को कल्याणकारी व धर्मार्थ कार्यों के लिए दी जाती रही है। जून में बाबा रामदेव व समाजसेवी अन्ना हजारे के प्रस्तावित संयुक्त सांकेतिक धरना से पूर्व सरकार ने बाबा रामदेव पर शिकंजा कस दिया है।
अब विभाग का मानना है कि ट्रस्टों से आयुर्वेदिक दवाएं व दूसरी सेवाएं शुल्क लेकर दी जाती हैं, इसलिए ये वाणिज्यिक कार्यों की श्रेणी में आती हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी आयकर विभाग के इस कदम को अपने केस का समर्थन मानते हुए योगगुरु पर अपनी कार्रवाई में तेजी ला दी है।

चार ट्रस्ट 
सूत्रों ने बताया कि ‘हरिद्वार स्थिति पतंजलि योग पीठ ट्रस्ट, दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट तथा भारत स्वाभिमान ट्रस्ट की आय विभाग ने 120 करोड़ रुपए आंकी है। रामदेव के निर्देशन में चल रहे संस्थान ट्रस्टों का संचालन करते हैं जो आयुर्वेदिक दवाएं बनाता और अपने नेटवर्क के जरिए बिकवाता है। रामदेव के प्रवक्ता बाबा तिजारावाला ने बताया कि आयकर विभाग के निर्णय के खिलाफ आयकर आयुक्त अपील के यहां वाद दायर कर दिया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि न्याय मिलेगा। सूत्रों ने बताया कि विभिन्न बैंकों से दस्तावेजों के मिलने के बाद आयकर विभाग द्वारा ट्रस्टों के खिलाफ जांच की गई। स्रोत पर कर कटौती के मामले में रामदेव के एक और ट्रस्ट के खिलाफ जांच अभी जारी है।
क्या है मामला 
जानकार सूत्रों ने बताया कि सरकार पर भ्रष्टाचार तथा कालेधन के मुद्दे पर चौतरफा हमला करने तथा लोकपाल बिल पर अन्ना को सहयोग दे रहे बाबा रामदेव के खिलाफ सरकार की प्रमुख जांच एजेंसी ने दिल्ली में हुए रामलीला कांड के बाद से फंदा कसना शुरू कर दिया था। पहले पासपोर्ट मामले में बालकृष्ण को लपेटने के बाद अब रामदेव के ट्रस्टों के लेन-देन को स्कैनर पर लाया गया है। रामदेव से जुड़े ट्रस्टों को कल्याणकारी गतिविधियों में जुड़े रहने के कारण आयकर से छूट दी गई थी। लेकिन अब नई परिस्थितियों में आयकर विभाग ट्रस्टों की उन्हीं गतिविधियों को वाणिज्यिक मान रहा है।