सेन्ट्रल जेल अधीक्षक के आवास से चल रहा ठगी का गोरख धंधा

Uncategorized

फर्रुखाबाद: फतेहगढ़ सेन्ट्रल जेल के नव निर्मित अधीक्षक आवास में गृह प्रवेश से पूर्व ही ठगी का गोरख धंधा शुरू हो गया है। स्वयं को असम से आया बताने वाले एक तथाकथित स्वामी जी ने चेलों सहित आजकल यहां डेरा डाल रखा है। शहर के धन्नासेठों के साथ-साथ जेल में बंद अपराधियों व उनके परिजनों तक को यहां पर ठगा जा रहा है। स्टिंग आपरेशन में गच्चा खाये स्वामी जी ने जेएनआई के अविवाहित रिपोर्टर की पत्नी तक के चरित्र पर आरोप लगा दिये। इस सम्बंध में जेल अधीक्षक ने स्वामी जी को एक अधिष्ठान के लिए बुलाये जाने की पुष्टि की है।

अधीक्षक आवास के पीछे पड़ी खाली जमीन पर हाल ही में लाखों रुपये की लागत से जेल अधीक्षक के नये आवास का निर्माण कराया गया है। नव निर्मित आवास में अधीक्षक के गृह प्रवेश से पूर्व ही यहां पर एक तथाकथित स्वामी जी ने विगत लगभग डेढ़ माह से डेरा जमा रखा है। जेल अधीक्षक यादवेन्द्र शुक्ला व बिहार के माफिया शाहबुद्दीन और पप्पू यादव तक को अपना चेला बताने वाले स्वामी जी ने इस नवनिर्मित अधीक्षक आवास में ठगी का गोरख धंधा चला रखा है। इस गोरख धंधे में उनके चंद चेले भी बराबर के भागीदार हैं। गेट के भीतर घुसते ही लकलकाते कुर्ते पहने चेले दूर से ही यजमान की चालढाल, भाव भंगिमा से उसकी आस्था और हैसियत का अंदाजा लगा लेते हैं। फिर चेलों का एक गुट यजमान को घेरकर बैठ जाता है। सबसे पहले भेंट और दक्षिणा पर सवाल जबाव होते हैं। ये भी यजमान की आस्था और हैसियत को परखने का दूसरा पैमाना होता है। इसके बाद उनमें से एक चेला यजमान का हाथ थामकर हस्त रेखायें देखने का उपक्रम करता है। इस दौरान चेलों और स्वामी जी के फोन खुले रखे रहते हैं ताकि इधर की बात उधर आसानी से पहुंचती रहे। बाहर हो रही वार्ता के आधार पर अंदर बैठे चतुर स्वामी जी यजमान की जन्मपत्री पहले ही तैयार किये बैठे होते हैं।

हस्तरेखा देखने के दौरान चेला यजमान के विषय में कच्ची पक्की जानकारियां घुमा फिराकर पूछ लेता है। बीच-बीच में ये भी कहता जाता है कि वह तो प्रशिक्षु है, अभी सीख रहा है। जिससे यदि कोई बात चेला गलत भी बता दे तो यजमान उसे प्रशिक्षु मानकर सही बात बता दे और उधर अंदर बैठे स्वामी जी की गणित में कोई गलती न हो पाये। इस दौरान बाकी अन्य चेले लगातार अंदर से बाहर आते जाते रहते हैं। यजमान की पीठ के पीछे से चेलों के बीच आंखों ही आंखों में वार्तालाप भी चलता रहता है। स्वामी जी के संतुष्ट होने के बाद अंदर से आने वाला चेला यजमान के बुलावे की सूचना देता है और उसको अपने साथ ले जाकर स्वामी जी के चरणों में प्रस्तुत कर देता है। जाहिर है स्वामी जी को यजमान के बारे में सारी जानकारी पहले ही होती है। ऐसे में अंदर बैठे क्लीन शेव चिकने चुपड़े से स्वामी जी केवल एक मैग्नीफाइंग ग्लास (लेंस) से यजमान के ललाट पर एक उड़ती हुई सी नजर डालते हैं और आंखें मूंदकर ध्यान मग्न हो जाते हैं। आंखें मूंदे-मूंदे ही स्वामी जी यजमान का पूरा इतिहास भूगोल मानो रटी रटाई किताब की तरह पढ़ना शुरू कर देते हैं। ऐसी स्थिति में भोले-भाले यजमान के सामने स्वामी जी के पैर पकड़ लेने के अलावा और कोई रास्ता ही नहीं बचता। स्वामी जी से मिलने आने वालों में पुरुषों से अधिक संख्या महिलाओं की रहती है।

इस गोरख धंधे को समझने के लिए पहुंचे जेएनआई के अविवाहित रिपोर्टर ने अपनी पत्नी के मायके बैठ रहने व माता पिता की मृत्यु के सम्बंध में कई गलत सूचनायें चेलों को बातचीत को दौरान घुट्टी की तरह पिलायीं, तो अंदर बैठे स्वामी जी भी गच्चा खा गये। अंदर पहुंचते ही अविवाहित रिपोर्टर की पत्नी के चरित्र पर ही आरोप जड़ने बैठ गये। अपनी मृत माता जी को जीवित बताने पर स्वामी जी रिपोर्टर से माता जी को अवश्य लाने का अग्रह भी कर बैठे। उसके बाद स्वामी जी ने रिपोर्टर को सुबह उठकर अपने दोनो हाथों के दर्शन करने, किसी मित्र पर विश्वास न करने, किसी की जमानत गारंटी न लेने और धरती माता को नित्य प्रति नमस्कार करने जैसी ढेरों सलाहें भी दे डालीं। वार्ता के बाद रिपोर्टर ने कैमरा निकाला तो स्वामी जी थोड़ा सकपकाये। काफी दिलासा देने के बाद फोटो तो खिंचा ली परन्तु नाम बताने से कतरा गये।

तेजी से फैल रही उनकी ख्याति के विषय में बताते ही स्वामी जी अपने रजिस्टर व बहीखाते हमारे रिपोर्टर के सामने खोलकर बैठ गये, जिनमें देश के कई धन्नासेठों व माफियाओं के नाम अंकित थे। इनमें जनपद के एक शिक्षा माफिया के तो परिवार के लगभग आधा दर्जन सदस्यों के नाम दर्ज थे। सूत्रों की मानें तो जेल अधीक्षक के आवास पर काम करने आने वाले ’पक्के’ कैदियों के माध्यम से जेल के भीतर बैठे कई अपराधी भी स्वामी जी के सीधे सम्पर्क में रहते हैं।

जेल अधीक्षक यादवेन्द्र शुक्ला ने इस सम्बंध में पूछे जाने पर बताया कि स्वामी जी को एक धार्मिक अनुष्ठान के लिए बुलाया गया है। अनुष्ठान पूर्ण होने में अभी तीन चार दिन लगेंगे। इसके बाद स्वामी जी यहां से प्रस्थान कर जायेंगे।