सोचने वाली बात यह है कि एनआरएचएम घोटाला मामला में आखिर ऐसा क्या है जिससे लोगो में इतना भय है कि आत्महत्या उनको आसान लगने लगती है। गिरफ्तारी के बाद सीबीआई कोर्ट से जेल पहुंचे डा. एके शुक्ला की तलाशी के दौरान मोजे से सल्फास का पाउडर बरामद हुआ, जिससे पूरे जेल प्रशासन में हड़कंप मच गया। इसके बाद जेल के वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित किया गया। इससे पहले सीएमओ डा. सचान की लाश जेल बैरक के बाथरूम में पायी गयी है, जिससे पूरे प्रशासन की खासा किरकिरी मची थी। अगर एके सिंह भी ऐसा कोई कदम उठाते तो जेल प्रशासन के ऊपर एक मजबूत सवालिया निशान खड़ा हो जाता।
सवालिया निशान तो अब भी खड़े हो रहे है, लेकिन जेल प्रशासन पर नहीं बल्कि सीबीआई पर। एके शुक्ला को रविवार देर रात सीबीआई ने उठाया था और सोमवार शाम तक वह सीबीआई की निगरानी में ही रहे, तो फिर उनकी तलाशी क्यो नहीं ली गयी। कोर्ट से जेल भेजे जाने के बाद डा शुक्ला को करीब सात बजे कैसरबाग स्थित सीबीआई कोर्ट से गोसाईगंज स्थित जिला कारागार पहुंचाया गया। जेल के गेट पर चेकिंग के दौरान उनके मोजे से सल्फास का पाउडर बरामद हुआ। वह 10 ग्राम का था और उसपर खतरे को निशान को इंगित करने वाला लोगो लगा हुआ था।
इसे देख जेल प्रशासन में हड़कंप मच गया और तुरंत इसकी सूचना जेलर डीआर मौर्या व जेल के अन्य अधिकारियों को दी। इसके बाद अधिकारियों के मौजूदगी में शुक्ला की जमकर तलाशी ली गयी और उन्हें महिला बैरक के पास दूसरे बैरक में शिफ्ट किया गया। अभी तक इस केस में किसी भी आरोपी ने कोई खास गवाही नहीं दी है, और ऐसे में डा शुक्ला का यह कदम। डा शुक्ला ऐसा कदम उठाकर सीबीआई या प्रशासन पर दबाव तो नहीं बनाना चाहते।