ये इश्क-विश्क नहीं, बस पागल लड़कियों की दिमागी फैंटेसी है

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शाहिद-वास्तविकता की ये रियल कहानी हो या ‘प्यार तूने क्या किया’ फिल्म में मॉडलिंग फोटोग्राफर बने फरदीन के प्यार में पागल मॉडल उर्मिला मातोंडकर की फिल्मी कहानी।

लड़कों से एकतरफा प्यार करने वाली ऐसी लड़कियों के किस्से शहर में भी पिछले दिनों में सामने आए हैं। इसके पीछे वजह लड़कियों का ऑबसेसिव पर्सनालिटी का होना है। ये समस्या लड़कों में भी होती है।

इंद्रपुरी इलाके में रहने वाली ऋचा वर्मा (परिवर्तित नाम) के पिता की मृत्यु के बाद अतिरिक्त आय के लिए उनकी मां ने घर के कुछ कमरे स्टूडेंट्स को किराए पर दे दिए। उनमें से एक होम्योपैथी का स्टूडेंट था। एक ही घर में रहते हुए ऋचा का उससे आमना-सामना हुआ और ऋचा उसे दिल दे बैठी। आलम यह हुआ कि वह उस लड़के से शादी की बात करने अपनी मां पर दबाव बनाने लगी, यहां तक कि छत से कूदने की कोशिश भी की।

साकेत नगर में रहने निशी गर्ग (परिवर्तित नाम) ने निजी बैंक में जॉब के साथ कॅरियर की शुरुआत की। बेहद रिजर्व नेचर वाली निशी का ऑफिस में गेटटूगेदर के दौरान एक सीनियर से इंट्रैक्शन हुआ। सीनियर को खुद में इंट्रेस्ट लेते और अपनी केयर करते देख उसने मना किया कि मेरी फैमिली इस सबको अलाऊ नहीं करती। इसके बाद उस सीनियर ने उससे कांटेक्ट खत्म कर दिए और कुछ दिन बाद उसकी शादी तय हो गई। अब निशी उसे एसएमएस, फोन कर परेशान करती है।

एसे केस पर्सनेलिटी डिस्ऑर्डर के कारण होते हैं। रिलेशनशिप काउंसलर एवं मनोचिकित्सक डॉ. रूमा भट्टाचार्य कहती हैं कि इस डिस्ऑर्डर से ग्रस्त व्यक्ति किसी भी बात को मन में बैठा लेता है और उसे पाने या वैसा करने के लिए अड़ जाता है। मसलन सफाई को लेकर जुनूनी हो जाना, फूल खरीदने को लेकर जुनूनी होना या किसी के प्यार में किसी भी हद तक चले जाना, भले ही सामने वाला उसे प्यार न करे। इसकी एक्सट्रीम पोजीशन में व्यक्ति खुद को भी नुकसान पहुंचा लेता है बल्कि पार्टनर को भी चोट पहुंचाने में गुरेज नहीं करता। हालांकि कई बार ये रिएक्टिव होता है।

भ्रम में भी हो जाता है प्यार
गांधी मेडिकल कॉलेज में मनोरोग डिपार्टमेंट के हेड डॉ. आरएन साहू कहते हैं कि कई बार कल्पना की दुनिया में भी किसी से प्यार हो जाता है। इसमें व्यक्ति काल्पनिक लवर के साथ जिंदगी भी जीने लगता है। कई बार उनके ये लवर असली भी होते हैं और कई बार काल्पनिक भी। इस तरह का एक मामला कुछ दिनों पहले ही सामने आया था। इसमें मेडिकल कॉलेज की एक फस्र्ट ईयर की स्टूडेंट अपने डेमोंस्ट्रेटर को लाइक करने लगी। यहां तक की वह खुद को उनके साथ जोड़कर रोज नई कहानियां भी गढ़ने लगी।

3 साल बाद उसने घर में बताया कि हम दोनों एक-दूसरे को बहुत प्यार करते हैं और शादी करना चाहते हैं। परिजनों ने जब बात की तो उसके टीचर ने बताया कि मैं तो उसे ठीक से जानता भी नहीं और मैं शादीशुदा हूं।

लड़की का जब ट्रीटमेंट हुआ पता चला कि टीचर को प्यार करना उसका भ्रम था, क्योंकि असल में तो उस टीचर से बमुश्किल 6 महीने ही इंट्रैक्शन हुआ और वह उसे ठीक से जानता तक नहीं था। इसे ‘डिल्यूजन ऑफ लव’ कहते हैं जो एक तरह का डिस्ऑर्डर है। यह ब्रेन के लिम्बक सिस्टम में डोपामिन के असामान्य होने से होता है। कई बार इसके पीछे कारण जेनेटिक होते हैं तो कई बार एन्वायरनमेंट या अन्य।

शहर में ऐसा है
15 से 28 साल की लड़कियों में : 100 में 5 लड़कियां होती हैं जुनूनी।
रिएक्टिव होती हैं
बमुश्किल 25 फीसदी लड़कियां ही अपनी इन फीलिंग्स को किसी के सामने जाहिर करती हैं।