डीएम के आदेश की धज्जियां, लोहिया में डाक्टरों की गुंडई जारी

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फर्रुखाबाद: बीते दिनों जिलाधिकारी मुथु कुमार स्वामी के लोहिया अस्पताल में औचक निरीक्षण के बाद एक महिला मरीज द्वारा डा0 एच पी श्रीवास्तव के माध्यम से लोहिया गेट के बाहर से दवाइयां लिखने व अल्ट्रासाउंड कराये जाने की बात को लेकर जिलाधिकारी ने सम्बंधित डाक्टर से जबाब तलब किया और सीएमएस को भी निर्देश दिये थे कि दवाइयां बाहर से न मंगाई जायें। इसके बावजूद भी लोहिया अस्पताल के डाक्टर बाहर के मेडिकल स्टोरों से सामंजस्य बिठाकर कमीशनखोरी के चक्कर में मरीजों की जेबें काट रहे हैं।

बिलकुल यही नजारा पूर्व जिलाधिकारी सच्चिदानंद दुबे ने लोहिया अस्पताल के निरीक्षण के दौरान किया था। कार्यभार ग्रहण करने के बाद श्री दुबे ने सीधा लोहिया अस्पताल पर ही आकस्मिक छापा मारकर निरीक्षण किया था। इसी तरीके की शिकायतें तब भी मरीजों ने की थीं। जिस पर जिलाधिकारी ने लोहिया अस्पताल में बने औषधि वितरण कक्ष में जाकर डाक्टरों द्वारा बाहर से लिखी पर्ची पर बिलकुल रोक लगाने के आदेश दिये थे। दो चार दिन तो सब ठीकठाक चला लेकिन फिर गाड़ी पुरानी पटरी पर ही आ गयी और मरीज फिर लुटने लगे।

अब नये जिलाधिकारी मुथुकुमार स्वामी ने भी वही पुरानी कैसिट प्ले की। उन्होंने लोहिया अस्पताल के निरीक्षण के दौरान बाहर से दवाइयां लिखने वाले डाक्टर के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिये हैं। लेकिन इसके बावजूद धड़ल्ले से रोजाना प्रति मरीज हजारों रुपये की दवाइयां बाहर के मेडिकल स्टोरों से आ रही हैं। कुछ मरीज तो ब्याज पर पैसा लेकर इलाज करा रहे हैं।

काहे का सरकारी अस्पताल……..हम लोग तो लुट गये
अभी दो दिन पूर्व जिलाधिकार मुथूकुमार स्वामी के द्वारा जब लोहिया अस्पताल में दौरा किया गया तो लोहिया अस्पताल के अधिकारियों व कर्मचारियों ने मरीजों को इतना भयभीत कर दिया था कि वह डाक्टरों की जुबानें बोलने पर मजबूर हो गये थे।
लोहिया अस्पताल में इलाज करा रहे शेर सिंह निवासी नंदपुर ने बताया कि चार दिन से लोहिया अस्पताल में इलाज करा रहा है। प्रति दिन एक हजार रुपये की दवाई डाक्टर बाहर से लिखते हैं। मजबूरन हमें दवाई बाहर से लानी पड़ती है।
कान का आपरेशन कराकर तीन दिनों से लोहिया अस्पताल के बार्ड नम्बर 16 में भर्ती शमा उर्फ शब्बो पुत्री अंसार ने बताया कि वह तीन दिन से अधिक समय से लोहिया अस्पताल में भर्ती है। प्रति दिन 800 से एक हजार रुपये की दवाई बाहर से लानी पड़ रही है।
गले का इलाज करा रही सावित्रीदेवी तकरीबन 8 दिनों से लोहिया अस्पताल के बार्ड 16 में भर्ती है। जो करीब 6 हजार रुपये से अधिक प्राइवेट मेडिकल स्टोरों से दवाई लाकर खर्च कर चुकी है। ऐसे ही कई मरीज रामप्रकाश, देशराज सिह, कुन्दन आदि ने बताया कि अस्पताल तो सरकारी है लेकिन खर्चा प्राइवेट से भी अधिक। अगर डाक्टर की बात न मानो तो वह मरीज को यहां स ले जाने की धमकी देते हैं।

जिलाधिकारी ने निरीक्षण किया था तो हम लोगों से डाक्टरों व नर्सों ने कह दिया कि अगर किसी ने जिलाधिकारी से शिकायत की तो उसकी खैर नहीं। मजबूरी में हम लोगों ने मुहं नहीं खोला। फिलहाल लोहिया अस्पताल की स्थिति जस की तस है। डीएम के आदेश के बावजूद भी मरीजों की जेंबे काटने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है।

पूरे प्रकरण में जिलाधिकारी के सामने भीगी बिल्ली से खड़े सीएमएस डा. एके पाण्डेय भी उनके पीठ फेरते ही पुराने ढर्रे पर आ गये हैं। मरीजों को मेडिकाल स्टोर मालिकों के हाथों लुटवाने व इसमें कमीशन खाने के विषय में बात करने के लिये डा. पाण्डेय से कई बार फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया गया परंतु उन्होंने फोन उठाने तक की जहमत नहीं उठाई।