एसडीएम ने तबादले के बाद रातों रात कर दिये पट्टे स्वीकृत

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कमालगंज (फर्रुखाबाद) : उपजिलाधिकारी सदर एके लाल जाते जाते एक नया कारनाम कर गये। लगभग दस वर्ष से जांच में फंसे ग्राम पंचायत की भूमि के पट्टे रातोंरात स्वीकृत हो गए। ग्राम प्रधान ने अपात्रों को दिये गये पट्टे निरस्त कराने के लिये जिलाधिकारी को शिकायती पत्र दिया है।

ग्राम पंचायत भड़ौसा के प्रधान सगीर अहमद ने जिलाधिकारी को शिकायती पत्र दिया कि वर्ष 2000 से 2005 तक वसीम उर्फ शफीक गांव के प्रधान रहे थे। उन्होंने बगैर एजेंडा मुनादी आदि कराये 87 अपात्रों को पट्टे कर तत्कालीन तहसीलदार से कुछ आवंटन स्वीकृत करा लिए। आवंटन पत्रावली में अधिकतर पट्टे अपने पारिवारिक व रिश्तेदारों को किये गए थे। जांच में कुछ आवंटन स्वीकृत नहीं किए तथा कुछ निरस्त कर दिये गए। पूर्व प्रधान ने पारिवारिक लोगों व रिश्तेदारों को पट्टे दिलाने के लिए आयुक्त कानपुर के यहां निगरानी प्रस्तुत की। सफलता न मिलने पर राजस्व परिषद इलाहाबाद में निगरानी प्रस्तुत की गई। राजस्व परिषद ने 13 सितंबर 2011 को पुन: तथ्यों की जांच कर पात्रता को दृष्टिगत रखते हुए मामले का समाधान करने के निर्देश उपजिलाधिकारी को दिये। पूर्व प्रधान राजस्व परिषद के आदेश को दबाये रहे तथा 4 अप्रैल 2012 को उपजिलाधिकारी के यहां आदेश प्रस्तुत किया। उपजिलाधिकारी ने पत्रावली तलब की, लेकिन पत्रावली तहसील से नहीं आ सकी। 13 अप्रैल को उपजिलाधिकारी का स्थानांतरण हो गया। इसी दिन उपजिलाधिकारी ने पत्रावली मंगवाकर रातोंरात दस अपात्रों के पट्टे स्वीकृत कर दिए। प्रधान ने पूर्व प्रधान पर एसडीएम से सांठगांठ कर अपात्रों को स्वीकृत किए गये पट्टे निरस्त कराने की मांग की।

प्रधान ने आरोप लगाया कि जिन दस लोगों के पट्टे स्वीकृत किये गए हैं वह पूर्व प्रधान के परिजन व रिश्तेदार हैं। इन लोगों के आलीशान मकान, अहमदाबाद में गाड़ियां चल रही हैं। पुत्र पीएसी में नौकरी करता है। इसके बावजूद ग्राम पंचायत की जमीन के पट्टे कर दिये गये थे।