घूस के दम पर अध्यापिका के ठसके, हराम का वेतन और बच्चों की पढाई चौपट

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फर्रुखाबाद : बेसिक शिक्षा विभाग में घूंस के कारोबार को मनो अब विधानिकता ही मिल गयी है| विकासखण्ड मोहम्मदाबाद क्षेत्र के ग्राम गोसरपुर में प्राइमरी विद्यालय में तैनात सहायक अध्यापिका रुचि के विद्यालय में न आने से नौनिहालों की पढ़ाई चौपट है। ग्राम प्रधान विनोद कुमार व प्रधानाध्यापक नेत्रपाल सिंह के बार-बार उच्चाधिकारियों से शिकायत करने के बावजूद भी सहायक अध्यापिका रुचि पर कोई कार्यवाही आज तक नहीं की गयी। वहीं उच्च प्राथमिक विद्यालय में कबाड़ व कन्डे भरे हैं। वहां भी प्रधानाध्यापक जगदीश कभी-कभार ही आते हैं।

ग्राम पंचायत गोसरपुर के प्रधान विनोद कुमार व प्रधानाध्यापक नेत्रपाल सिंह ने बताया कि सहायक अध्यापिका श्रीमती रुची  महीने में एक दो बार ही स्कूल कभी  आतीं हैं। रजिस्टर में एक बार अनुपस्थित होने पर प्रधान द्वारा उनका अवकाश लगाया गया और जब प्रधानाध्यापक नहीं थे तो उन्होंने व्हाइटनर लगाकर उसके ऊपर अपने हस्ताक्षर कर दिये।

प्रधानाध्यापक नेत्रपाल सिंह ने बताया कि उच्चाधिकारियों से भी कई बार शिकायत की लेकिन शिकायत की कोई रिसीविंग नहीं देता है और न ही उस पर कोई कार्यवाही होती है। सहायक अध्यापिका रुचि के पति यतेन्द्र बद्री विशाल कालेज में प्रोफेसर हैं। सहायक अध्यापिका आवास विकास फर्रुखाबाद में रहतीं हैं।

प्रधान विनोद कुमार व प्रधानाध्यापक नेत्रपाल ने आरोप लगाया है कि सहायक अध्यापिका रुचि के पति उच्चाधिकारियों को पैसे ले दे कर व्यवस्था बनाये रखते है। सहायक अध्यापिका कभी-कभी तो तीन चार दिन के फेर से आती हैं और सभी हस्ताक्षर एक बार में ही कर देती हैं।

 

उच्च प्राथमिक विद्यालय के विज्ञान कक्ष में कन्डे भरे

उच्च प्राथमिक विद्यालय नगला अखई में पहुंचने पर केवल सहायक अध्यापक यदुराज पाल उपस्थित मिले। 106 बच्चों में से मात्र 17 बच्चे ही उपस्थित थे। मिड डे मील नहीं बना था। पूछने पर बताया कि बच्चों ने दलिया खाने से मना कर दिया था। इसलिए नहीं बना।

गांव के प्रधान विनोद कुमार ने बताया कि विद्यालय के प्रधानाध्यापक जगदीश चन्द्र विद्यालय कभी-कबार ही आते हैं। जब आते हैं तो लेट आते हैं। एक मात्र सहायक अध्यापक यदुराज पाल को कभी बीआरसी भेज दिया जाता है या कभी डायट पर भेज दिया जाता है। जिसके कारण विद्य़ालय अधिकांशतः बंद रहता है। विद्यालय में विज्ञान कक्ष में कन्डे भरे हुए हैं। कक्षा 7 के कक्ष में ताला लगा हुआ है तथा खिड़की से झांकने पर देखा कि फर्नीचर भरा हुआ है। कक्षा 6 के कक्ष में सारे बच्चे फर्नीचर होने के बावजूद भी टाट पट्टी पर बैठकर पढ़ाई करते मिले।

विद्यालय में गंदगी का साम्राज्य है। कहीं भी बैठने तक को जगह नहीं है। विद्यालय में बाउंड्रीबाल नहीं बनवायी गयी है। शौचालय के पास झाड़ी उगी हुई है। जिससे बच्चे उसमें कभी भी शौच के लिए नहीं जाते।