सर्राफा व्यापारियों का 1962 के बाद का सबसे लंबा बंद!

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फर्रुखाबाद : स्वर्णाभूषणों पर एक प्रतिशत उत्पाद कर लगाए जाने से गुस्साए सर्राफा कारोबारियों का कामकाज पहली बार इतना लंबा खिंचा।  इससे पहले 1962 में सर्राफा बाजार का सबसे लंबा देशव्यापी कामकाज बंद रहा था। इस दौरान सर्राफा व्यवसायी अपनी मांगों पर अड़े रहे।  अपनी मांगें मनवाने के लिए सर्राफा व्यवसायी नित नए जतन किये।
नेहरू रोड स्थित भोलानाथ सर्राफ के मालिक दिनेश टण्डन ने बताया कि विगत 21 दिनों की हड़ताल ने सन 62 में हुई गोल्ड कन्ट्रोल एक्ट के विरोध में की गयी हड़ताल की याद दिला दी है। जोकि मोरार जी देशाई के कार्यकाल में हुई थी। परन्तु उस समय लगभग 27 साल बाद 1989 में बीपी सिंह ने अपने कार्यकाल में गोल्ड कन्ट्रोल एक्ट को वापस ले लिया था।
सर्राफा कारोबारियों की हड़ताल के चलते बाजार पर दिनोंदिन दबाव बढ़ता गया।  बंद के दौरान पिछले 21 दिनों में जिले में सवा अरब से ज्यादा का कारोबार प्रभावित हो चुका है। वहीं कारोबारियों के ग्राहक भी परेशान हुए। ग्राहक भी बेसब्री से हड़ताल टूटने का इंतजार करने लगे थे।

सरकार द्वारा कर लगाए जाने के विरोध में सर्राफा कारोबारियों का 21 दिनों का बंद 1962 के बाद अब तक का सबसे लंबा बंद साबित हुआ है।  इससे पहले 1962 में मोरारजी देसाई की सरकार में गोल्ड कंट्रोल एक्ट लागू किए जाने पर चालीस दिनों का देशव्यापी बंद रहा है।