कार्यकत्रियों के घरों पर नहीं चल सकेंगे आंगनबाड़ी केंद्र

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आंगनबाड़ी केंद्र खोलकर लाखों रुपये के चल रहे वारे-न्यारे पर रोक लगाने के लिए सूबे की नई सरकार ने निजी भवनों में इन केंद्रों के चलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस आदेश के बाद निजी भवनों में चलने वाले सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को सरकारी भवनों में शिफ्ट किया जाएगा। इसके बाद भी निजी भवनों में केंद्र चलता हुआ मिलने पर संबंधित जिले के अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जिन जिलों में सरकारी भवन उपलब्ध नहीं हैं वहां विभागीय अधिकारियों को इस संबंध में जिलाधिकारियों से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेकर देना होगा।

हाल ही में बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार निदेशालय की ओर से कराए गए एक सर्वे में यह बात सामने आई कि निजी भवनों में चलने वाले यह आंगनबाड़ी केंद्र केवल दिखावे के लिए ही चल रहे हैं। इसका लाभ बच्चों को नहीं मिल पा रहा है। इसके बाद निजी भवनों में आंगनबाड़ी केंद्र चलाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। आदेश में जिन जिलों में निजी भवनों में ये केंद्र चल रहे हैं, उसे सरकारी भवनों में शिफ्ट करने का भी निर्देश दिया गया है।

महिला एवं बाल विकास विभाग की देखरेख में 6 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए आंगनबाड़ी केंद्र खोला जाता है। इन केंद्रों पर बच्चों को रखने की व्यवस्था के साथ पुष्टाहार दिया जाता है। जरूरत के आधार पर खोले जाने वाले इन केंद्रों को खोलने की पहली प्राथमिकता बेसिक शिक्षा विभाग के प्राइमरी स्कूलों में दी जाती है। इसके अलावा सरकारी भवनों में इसे खोला जाना चाहिए। सरकारी भवन न मिलने पर निजी भवनों में इसे खोलने की अनुमति पूर्व में दे दी जाती थी। अब विभाग को जानकारी मिली है कि सरकारी भवनों के बजाय अधिकतर जिलों में निजी भवनों में आंगनबाड़ी केंद्र खोल दिए गए हैं। प्रदेश में मौजूदा समय में एक लाख 88 हजार आंगनबाड़ी केंद्र हैं और इनकी देखरेख के लिए 4 लाख कार्यकर्ता और सहायिकाएं हैं।