झंडा शरीफ वक्फ कमेटी का नवीनीकरण, फसीह मुजीबी को फिर झटका

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:14 साल से चल रहा है विवाद:

फर्रुखाबाद। यू पी सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड ने दरगाह झंडा शरीफ की कमेटी का  आगामी  ५ सालों  के लिए नवीनीकरण कर दिया है। इस साल ग्यारहवीं  शरीफ  से  पहले  दरगाह  हुसैनिया  मुजीबिया  के  सज्जादानशीन कारी शाह फसीह मुजीबी ने ९ मार्च को कमेटी का कार्यकाल ख़त्म होने पर वक्फ बोर्ड से मांग की थी इस मामले में उन्हें फिर सुन लिया जाये। लेकिन इस दौरान कमेटी के लोग सक्रिय हो गए और कमेटी का नवीनीकरण आगामी ५ सालों के लिए करा लाये। सूत्रों के अनुसार बोर्ड के दो सदस्य फसीह के साथ हो गए थे। इसलिए दरगाह झंडा शरीफ की कमेटी को झटका लगने की सम्भावना हो गयी थी। लेकिन उलटे फसीह को एक बार फिर झटका लग गया। कमेटी का ५ साल के लिए फिर नवीनीकरण हो गया।

२००७ में पहली बार वक्फ बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी शमीम अहमद ने दरगाह शरीफ को वक्फ नम्बर ३०६९ के नाम से अलग वक्फ का दर्ज़ा दिया था। साथ ही इसे १९८५ की सर्वे कमिश्नर की रिपोर्ट में गज़ट नोटीफिकेसन के आधार पर इसे वक्फ नम्बर ४३ का जुज मानने से इंकार कर दिया था। इसमें शराफत खान के नेतृत्व में ११ सदस्यी इंतजामिया कमेटी बनायीं थी। इसके बाद दो बार एक- एक साल के लिए और एक बार तीन साल के लिए कमेटी का नवीनीकरण हो चूका है और चौथी बार कमेटी का ५ साल के नवीनीकरण हो गया है। हालाँकि अभी उच्च न्यालाये में यह मामला अभी विचाराधीन है।

७ अगस्त १९९८ को दरगाह का वक्फ बनाने के लिए आवेदन किया गया था। २२ अप्रैल   २०९९ को दरगाह की १३ सदस्यीय कमेटी बनी। ९ जून १९९९ को बोर्ड ने फसीह मुजीबी की जानकारी के आधार पर कमेटी रद्द करा दी। इस दौरान कमेटी के अध्यक्ष मामले को लेकर उच्च न्यालय ले गए। हाई कोर्ट ने यह कह कहकर याचिका ख़ारिज कर दी कि कमेटी का गठन ३ साल के लिए किया गया था।

२५ मई २००५ को फसीह मुजीबी ने आवश्यक जानकारी उपलब्ध करायी। १७ अक्टोबर २००५ को वक्फ बोर्ड ने मुजीबी को नोटिस देकर कहा कि वक्फ का आडित  सही ढंग  से नहीं  हुआ। वक्फ की आमदनी दरगाह हुसौनिया मुजीविया पर खर्च करने पर भी  आपत्ति उठी। लगभग १४ साल से  चल रहे इस विवाद में वक्फ बोर्ड ने नयी कमेटी जरूर बना दी पर अभी भी मामला हाई कोर्ट में चल रहा  है।  दरगाह हुसैनिया मुजीबिया के सज्जदानासीन फसीह मुजीबी ग्यारहवीं शरीफ को गागर लेकर झंडा शरीफ जाते हैं और वापस आ जाते हैं। दो साल से चिरागी में आई आमदनी भी खर्च नहीं की गयी है।