दो दशक बाद दिखा मतदाताओं में पहले सा जुनून, पर नहीं टूटा रिकार्ड

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फर्रुखाबादः लगभग दो दशक पूर्व 6 दिसम्बर 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद 1993 के विधानसभा चुनाव के बाद जनपद में मतदान के प्रति वोटरों में वही जुनून एक बार फिर नजर आया। मगर फिर भी तब के 60 प्रतिशत मतदान के आंकड़े का रिकार्ड टूट नहीं पाया।

चूंकि परिसीमन के बाद विधानसभा क्षेत्रों के पुर्नगठन के कारण इनका स्वरूप लगभग पूरी तरह बदल चुका है। इसलिए हम फिलहाल जनपद के मतदानप्रतिशत के आंकड़ों पर ही केद्रित करेंगे। विधानसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत के आंकड़ों पर यदि नजर डालें तो सर्वाधिक 60 प्रतिशत मतदान वर्ष 1993 में रिकार्ड किया गया था। यह वह समय था जब 6 दिसम्बर 1992 के अयोध्या काण्ड का मुद्दा राजनीति पर बुरी तरह हावी था। इसके दो दशक बाद हुए वर्तमान विधानसभा चुनाव में भी वोटरों में वही जुनून देखने को मिला। इसके बावजूद मतदान का प्रतिशत मात्र 58.23 प्रतिशत के आस पास ही आकर अटक गया। सर्वाधिक 60 प्रतिशत मतदान भोजपुर में रिकार्ड किया गया। उसके बाद 58.86 प्रतिशत कायमगंज में व 58.60 प्रतिशत अमृतपुर में रिकार्ड किया गया। सदर विधानसभा क्षेत्र में सबसे कम 55.3 प्रतिशत मतदान ही दर्ज हो सका।

इतिहास के आंकड़ों पर यदि नजर डालें तो वर्ष 1980 के विधानसभा चुनाव में 50 प्रतिशत मतदाता वोट डालने निकले थे। उसके पांच साल बाद वर्ष 1985 में हुए आम चुनाव में मतदान का प्रतिशत कुछ घटकर 49 प्रतिशत तक आया। परन्तु इसके बाद वर्ष 1989 के विधानसभा चुनाव में यह मत प्रतिशत बढ़कर 55 प्रतिशत तक पहुंच गया। वर्ष 1991 में हुए विधानसभा चुनाव में जनपद का मत प्रतिशत फिर 50 पर ही अटक गया। परन्तु इसके बाद हुए मध्यावधि चुनाव में मत प्रतिशत 10 प्रतिशत तक बढ़कर 60 का आंकड़ा छू गया। जो अभी तक जनपद के राजनैतिक इतिहास में एक रिकार्ड है।
वर्ष 1996 के चुनाव में वोटों का प्रतिशत फिर गिरकर 55 प्रतिशत पर आया परन्तु इसके पांच साल बाद वर्ष 2002 में हुए चुनाव में मतदान का प्रतिशत 57 हो गया। विगत विधानसभा चुनाव वर्ष 2007 का मत प्रतिशत मात्र 45 रहा था यह भी अपने आप में एक रिकार्ड है। वर्तमान विधानसभा चुनाव में 58 प्रतिशत मतदान रिकार्ड किया गया है।