आइना- 11 लाख की जीप पर चलने वाले मुकेश केवल 11 हजार महीना कमाते हैं|

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फर्रुखाबाद: अगर दुनिया में कोई झूठ और फरेब का ओलम्पिक हो जाए तो बाजी हिन्दुस्तान के नेता के हाथ ही लगेगी| एक नमूना देखिये कि हर रोज 2-4 हजार का पेट्रोल डीजल फूकने वाले नेता की आय केवल 11000 रुपया मासिक ही है| इसी आय में से वो अपने बाल बच्चो की परवरिश करते हैं, नौकर चाकर रखते है और विभिन्न कर भी चुकाते हैं| काले धन को सफ़ेद करने के लिए करोडो फूक चुनाव भी लड़ते हैं| विधायक बनने के लिए चुनाव आयोग के समक्ष पेश किये जाने वाले सम्पत्ति विवरण में तरह तरह के खुलासे हो रहे हैं| फर्रुखाबाद के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष रहे मुकेश राजपूत दो लोकसभा और एक विधानसभा और दो जिला पंचायत अध्यक्षी का चुनाव हार लड़ चुके हैं और वर्तमान चुनाव विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं मगर राजनीति का इतना बड़ा शौक रखने वाले आलीशान बंगले में रहने वाले और दो महगी जीपों के साथ चलने वाले मुकेश की वार्षिक आय आयकर विवरणी के अनुसार केवल 1 लाख 31 हजार सालाना ही है|

मुकेश राजपूत एक बार खुद जिला पंचायत अध्यक्ष रहे तो दूसरी बार उनकी पत्नी जिला पंचायत अध्यक्ष बनी| मुकेश का व्यवसाय कृषि और तम्बाकू का व्यापार है| कृषि पर कोई टैक्स देय नहीं होता है मगर तम्बाकू का व्यापार टैक्स की श्रेणी में आता है| खानदानी विरासत के रूप में मिलने वाली सम्पत्ति केवल 3 एकड़ खेत है उसके बाद मुकेश ने 30 एकड़ कृषि भूमि खरीदी| ये सम्पत्ति मुकेश ने जिला पंचायत अध्यक्षी के कार्यकाल के दौरान खरीदी| मुकेश ने अपनी कमाई से ही ठंडी सड़क पर आलीशान मकान भी अपनी पत्नी के नाम बनबाया जिसकी कीमत उन्होंने केवल 18 लाख बताई है| मुकेश ने चल और अचल सम्पत्ति मिलाकर खुद के पास 73 लाख, पत्नी सौभाग्यवती राजपूत के पास 92 लाख और बेटे के पास 17 लाख दर्शायी है|

वर्ष 2003 तक केवल 3 एकड़ खेत के मालिक मुकेश राजपूत ने वर्ष 2003 के बाद 30 एकड़ कृषि जमीन खरीदी, मगर सवाल ये है कि इतनी जमीन खरीदने के लिए पैसा कहाँ से आया| चुनाव आयोग को दिए शपथ पत्र के अनुसार मुकेश की वर्ष 09-10 की वार्षिक आय केवल 1.31 लाख और पत्नी की 54 हजार थी| इसमें से भी वो 43 हजार से ज्यादा रुपया बीमा की किस्तों में खर्च करते हैं| शुद्ध आय को देख अंदाज लगाना मुश्किल नहीं लगता कि इतना बड़ा साम्राज्य खड़ा करने के लिए मुकेश ने जिला पंचायत अध्यक्षी के दो कार्यकाल के दौरान क्या कुछ किया होगा| उनके घर पर दस साल जिला पंचायत का दफ्तर चल चुका है| सिर्फ बिरादरी की राजनीति करने वाले मुकेश से उनके ही बिरद्दारी के लोग सवाल पूछ सकते हैं कि जिस तरह से वे अमीर हुए उन्होंने अपनी बिरादरी को को क्यूँ नहीं किया?

अभी तक दाखिल सभी प्रत्याशियो की तरह मुकेश राजपूत ने भी व्यापारिक निवेश का खुलासा नहीं किया है| उन्होंने अपने कार्य में कृषि और तम्बाकू का व्यापर दर्शाया है मगर ये नहीं बताया की उनके गोदाम में कितने लाख या करोड़ की तम्बाकू भरी है| व्यापारिक लेन देन कितना है और व्यापर पर कितना टैक्स चुकाते हैं|
मुकेश राजपूत की सम्पत्ति का विस्तृत विवरण देखने के लिए यहाँ क्लिक करें-