चर्चित आईएएस प्रदीप शुक्ला पर तीन नए मामले, गिरफ्तारी तय

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राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) घोटाले में उत्तर प्रदेश के पूर्व स्वास्थ्य सचिव प्रदीप शुक्ला के खिलाफ सीबीआइ का शिकंजा कस गया है। गुरुवार को घोटाले में तीन नई एफआइआर दर्ज करते हुए जांच एजेंसी ने शुक्ला को मुख्य आरोपी बनाया है।

 

सीबीआइ ने गुरुवार को लखनऊ में प्रदीप शुक्ला, पैडक्सफेड के एमडी वीके चौधरी, कारोबारी राजू पंजाबी, यूपीपीसीएल के पूर्व सीएमडी देवेंद्र मोहन के आवास व दफ्तर के अलावा कानपुर, जेपीनगर, वाराणसी, मुजफ्फरनगर, नोएडा और दिल्ली में ठेकेदारों और आपूर्तिकर्ताओं समेत सात शहरों के 44 ठिकानों पर छापा मारा। सीबीआइ ने छापेमारी के दौरान अधिकारियों, ठेकेदारों और निजी फर्मो के निदेशकों के यहां से कंप्यूटर, हार्ड डिस्क, लैपटाप कई महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किए हैं।

हर सरकार में रहे हैं खास

हर मुख्यमंत्री का पंसदीदा अफसर बन जाना आइएएस प्रदीप शुक्ला की सबसे बड़ी खासियत मानी जाती है। शायद यही वजह है कि सरकार चाहे जिस भी दल की रही हो, प्रदीप शुक्ला महत्वपूर्ण पदों पर तैनाती पाते रहे हैं। मायावती से लेकर मुलायम सिंह यादव, राजनाथ सिंह, कल्याण सिंह तक उन्हें भरोसे का अफसर मानते रहे। प्रदीप शुक्ला उस वक्त लखनऊ के डीएम बने थे जब बसपा पहली बार सरकार में आई थी। वह कांशीराम के सबसे प्रिय अफसर बन गए थे। उनकी पत्‍‌नी भी उप्र काडर की आइएएस हैं।

नई एफआइआर के बाद शुक्ला की गिरफ्तारी तय मानी जा रही है। राजू पंजाबी समेत कई लोगों को सीबीआइ अपने कार्यालय में लाकर पूछताछ की। जांच से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि निजी कंपनियों को दिए गए ठेकों में नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई गई और इनमें प्रदीप शुक्ला की सक्रिय भूमिका रही है। उनके अनुसार शुक्ला को इस मामले में कभी भी गिरफ्तार किया जा सकता है। माना जा रहा है कि उन्हें अगले कुछ दिनों में पूछताछ के लिए दिल्ली मुख्यालय बुलाया जाएगा और उसी दौरान गिरफ्तारी का फैसला किया जाएगा। सीबीआइ ने छापेमारी से पहले जो मुकदमा दर्ज किया है, वह स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग व पैकफेड के अधिकारियों के अलावा ठेकेदारों के खिलाफ है। आरोप है कि दोनों विभागों के अधिकारियों ने षड्यंत्र कर जेपीनगर के गजरौला के तीन निजी कंपनियों के निदेशकों से मिलीभगत कर करोड़ों का चूना लगाया। 89 अस्पतालों के उच्चीकरण के लिए 89 करोड़ की परियोजना स्वीकृत हुई थीं। इस मामले में करीब छह करोड़ रुपये की हेराफेरी पकड़ी गई है।

 

सीबीआइ सूत्रों के मुताबिक इसी मामले में पूर्व प्रमुख सचिव प्रदीप शुक्ला के बटलर पैलेस स्थित आवास समेत दो ठिकानों पर छापा मारकर सीबीआइ ने कंप्यूटर, लैपटाप समेत कई चीजें बरामद की हैं। इस मामले में पैकफेड के प्रबंध निदेशक वीके चौधरी के आवास और दफ्तर पर भी छापा मारा गया। कथित बिचौलिए राजू पंजाबी के आवास से सीबीआइ को अहम दस्तावेज मिले हैं। दूसरा मामला उत्तर प्रदेश परियोजना निगम लिमिटेड (यूपीपीसीएल) और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण के अधिकारियों के खिलाफ है। आरोप है कि जाली और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर गाजियाबाद, कानपुर और नोएडा के तीन निजी कंपनियों के साथ मिलकर जाली कागजातों के आधार पर धोखाधड़ी की गई है। मामला 40 अस्पतालों के अपग्रेडेशन का था, जिसके लिए 160 करोड़ रुपये की परियोजना स्वीकृत की गई। मामले में वैसे तो करीब 60 करोड़ रुपये का घालमेल है, लेकिन सीबीआइ की पकड़ में 5.84 करोड़ रुपये की तात्कालिक क्षति आई है। इस मामले में यूपीपीसीएल के पूर्व सीएमडी देवेंद्र मोहन समेत कई लोगों के यहां सीबीआइ ने छापेमारी की। आरोप यह भी है कि इसमें प्रति अस्पताल 25 लाख रुपये की रकम ली गई। तीसरा मामला निर्माण कार्य से संबंधित है। विभिन्न अस्पतालों में शौचालयों के निर्माण कार्य में हेराफेरी की गई है। इसमें स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अलावा उत्तर प्रदेश लघु उद्योग निगम (यूपीएसआइसी) के अधिकारियों पर आरोप है। कानपुर स्थित इस दफ्तर और तीन निजी कंपनियों ने मिलकर करीब चार करोड़ रुपये की हेराफेरी की है। एमडी अभय कुमार वाजपेयी पहले ही गिरफ्तार किये जा चुके हैं। कानपुर में इस विभाग के अभियंताओं के यहां छापेमारी की गई, जहां कई प्रमुख दस्तावेज मिले हैं। मामले में आठ आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।