बसपा ने जिन दागी मंत्रियों पर कालिख लगाकर पार्टी से निकाल दिया उन्हीं को भाजपा ने तिलक लगाकर पार्टी में शामिल कर लिया। की। मंगलवार को बाबू सिंह कुशवाहा व बादशाह सिंह को पार्टी मे लेने के बाद भाजपा में दो फाड़ हो गये है। हद यह है कि वरिष्ट नेता आडवाणी, सुषमा स्वराज और अरुण जेटली तक इसके सख्त खिलाफ हैं। जबकि गड़करी, विनय कटियार और सूर्य प्रताप शाही ने इसे सही फैसला बताया है।
फिलहाल इस संबंध में भाजपा में मंथन चल रहा है। पार्टी की ओर से कुशवाहा व बादशाह पर फैसला आज शाम तक आ सकता है। दागी मंत्रियों को पार्टी में लेने से भाजपा के बड़े नेता इसलिये नाराज हैं कि इससे बीजेपी की भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई कमजोर पड़ सकती है। बीजेपी उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर मायावती को चुनाव में घेरना चाह रही थी।
उत्तर प्रदेश की चुनावी रणनीति के सारे सूत्र पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी ने संभाल रखे हैं। बसपा और सपा से भाजपा में आ रहे नेताओं के फैसले भी उनके स्तर पर हो रहे है। ऐसे में प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर के अन्य नेता अपनी राय तो रख रहे हैं, लेकिन फैसलों में उनकी नहीं चल पा रही है। सूत्रों के अनुसार दागी मंत्रियों को पार्टी में लेने को लेकर भी पार्टी के अधिकांश केंद्रीय और राज्य स्तरीय नेता खिलाफ थे, लेकिन गडकरी ने पार्टी के अंदरूनी सर्वे और कुशवाह व बादशाह को मायावती के पीडि़त के रूप में पेश करने से इनके समाज के वोटों के लाभ के जोरदार तर्क रखे।
ऐसे में विरोध लाभ-हानि के सुझाव एवं चेतावनी के साथ फैसला अध्यक्ष पर छोड़ दिया। बाबू सिंह और बादशाह सिंह के भाजपा में शामिल होने की घोषणा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विनय कटियार एवं प्रदेश अध्यक्ष सूर्यप्रताप शाही ने की। उन्होंने दोनों नेताओं को निर्दोष करार देते हुए कहा कि उन पर कोई मुकदमा भी नहीं है। उन्होंने कहा कि बाबू सिंह का मायावती ने अपने लाभ के लिए उपयोग किया है। इसलिए उनपर भ्रष्टाचार के आरोपों के लिए जिम्मेदार मायावती है। बादशाह सिंह भाजपा से तीन बार विधायक रह चुके हैं, लेकिन बाद में पार्टी छोड़ बसपा में चले गए थे और वहां मंत्री भी रहे।