JNI खुलासा: घोटाले की भरपाई होने तक अंधेरे में रहेंगे लोहिया अस्पताल के मरीज

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फर्रुखाबादः लगभग दो वर्ष पूर्व हुए NRHM में दो करोड़ के घोटाले की पूर्ति करना अब स्वास्थ्य विभाग के कंधों पर है। सीएमओ डा0 कमलेश कुमार ने बताया कि जब तक घोटाले की धनराशि के बराबर स्वास्थ्य विभाग अपने पास से पैसा नहीं खर्च कर देता तब तक लोहिया अस्पताल का जनरेटर सफेद हाथी बना रहेगा।
लोहिया अस्पताल समाजवादी पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव के कार्यकाल में डा0 राममनोहर लोहिया के नाम पर खोला गया था। सारी मूलभूत सुविधायें लोहिया अस्पताल को उपलब्ध करायी गयीं। लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों की चपेट में आकर लोहिया अस्पताल दुर्दशा की कगार पर पहुंच गया।
दो वर्ष पूर्व तैनात मुख्य चिकित्साधिकारी डा0 हसीन खां व एन आर एच एम के वरिष्ठ बाबू जगदीश कटियार के द्वारा दो करोड़ का घोटाला प्रकाश में आया। जिस पर सीएमओ हसीन खां व बाबू जगदीश कटियार को निलंबित कर मुकदमा दर्ज कराया गया था। दो वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद भी सीएमओ द्वारा किये गये घोटाले के वायरस आज भी गरीब जनता की जान से खेल रहे हैं।

लाखों रुपये लगाकर लोहिया अस्पताल में सरकार द्वारा जनरेटर इसलिए लगाया गया कि जिससे गरीब जनता का इलाज विद्युत आपूर्ति के न होने पर बाधित न हो परन्तु स्वास्थ्य विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों के गोलमाल के चलते लोहिया अस्पताल का जनरेटर न चलने से प्रति दिन दर्जनों मरीज बैरंग मायूस होकर लौट जाते हैं। जब इस बारे में लोहिया अस्पताल के चिकित्साधिकारियों से बात की जाती है तो उनका कहना होता है कि मुझे इस बात की जानकारी नहीं है।
बीते दिनों डी जी के दौरे के दौरान उनका केन्द्र बिन्दु मात्र जनरेटर पर ही था। सीएमओ डा0 कमलेश कुमार को हड़काकर उन्होंने लोहिया अस्पताल को तत्काल बजट उपलब्ध कराने की बात कही। जिस पर सीएमओ ने एक दो दिन का टाइम मांगा। एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी अभी जनरेटर की स्थिति जस की तस है। अभी भी लोहिया अस्पताल में डाक्टर आपातकालीन बार्ड में लाइट न होने पर मोमबत्ती से गुजारा करते हैं। यहां तक कि लाइट न होने से नेत्र चिकित्सक टार्च की रोशनी में मरीजों की आंखों का आपरेशन कर देते हैं। लेकिन स्वास्थ्य विभाग इसके प्रति बिल्कुल निश्चिंत है। लोहिया अस्पताल में किये जाने वाले एक्स-रे मरीज के भाग्य पर निर्भर होते हैं। अगर उसके लोहिया अस्पताल पहुंचने तक बिजली गुल नहीं होती है तो शायद उसका एक्स-रे हो भी जाये। अगर बिजली चली गयी तो उसे कई दिनों तक अस्पताल के चक्कर काटने पड़ते हैं। लाखों रुपये के इस गोलमाल में छोटे अधिकारी से लेकर बड़े अधिकारी तक का पूरा हाथ है। कहते हैं कि दाल में कुछ काला, लेकिन यहां तो पूरी दाल ही काली है। इनके ऊपर ऐसा काला रंग चढ़ चुका है कि अब इन अधिकारियों पर किसी भी बात का कोई फर्क नहीं पड़ता। दबाव बनाकर अगर किसी बात को जानना भी चाहो तो अधिकारियों का सीधा जबाव है कि हमें जानकारी नहीं है। जब सम्बंधित अधिकारी को बीमार मरीजों की समस्याओं की जानकारी नही ंतो फिर यह भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि डाक्टर और अधिकारी अस्पताल में कितनी ईमानदारी से अपना फर्ज अदा कर रहे हैं।

इस सम्बन्ध में सीएमओ डा0 कमलेश कुमार ने जे एन आई को फोन पर बताया कि पिछले एन आर एच एम घोटाले की गाज हम लोगों पर गिर रही है। ऊपर से आदेश हैं कि जब तक उस घोटाले के बराबर धनराशि विभाग स्वतः खर्च नहीं करता तब तक एन आर एच एम में पैसा नहीं मिलेगा। बताते चलें कि डीजी के सामने सीएमओ ने स्पष्ट रूप से इस बात को बखूबी कबूला था कि जनरेटर के डीजल के लिए आया पैसा मेरे पास है। एक दो दिन मंे अस्पताल को उपलब्ध करा दिया जायेगा। लेकिन एक सप्ताह बाद सीएमओ का कहने का तरीका बिलकुल अलग था। जिससे यह लग रहा था कि शायद अब जनरेटर कई वर्षों तक जस का तस ही रहेगा।