खतरे में आचार संहिता- जिला प्रशासन खर्राटे में, चुनाव प्रचार फर्राटे से

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फर्रुखाबाद: यूं तो नेताओ ने विधायक बनने के लिए कई कई करोड़ का बजट बनाया है मगर आचार संहिता में कहीं फस न जाए इसलिए पिछले 6 महीने से धीरे धीरे चुनाव प्रचार पर पैसा खर्च कर रहा था| लेकिन अब जबकि आचार संहिता को लागू हुए 5 दिन बीत चुके हैं इस दौरान उसका हर खर्च चुनाव खर्च की सीमा में दर्ज होना आवश्यक है| भारत निर्वाचन आयोग द्वारा सभी जिलों में इस आशय के आदेश भी भेजे जा चुके हैं| मगर फर्रुखाबाद जनपद में जिला प्रशासन लगता है खर्राटे ले रहा है| हर रोज लगभग सभी सक्रिय नेता एक से डेढ़ दर्जन वाहनों के काफिले जनसम्पर्क के लिए निकाल रहे है| मगर प्रशासन के पास इस बात की कोई खबर तक नहीं है|

50 दिन का समय है चुनाव प्रचार के लिए-
ये काफिले फर्रुखाबाद विधानसभा, भोजपुर विधानसभा और अमृतपुर विधानसभा के लिए निकल रहे हैं| कन्फर्म टिकेट वाले प्रत्याशी अपने काले पैसे को सफ़ेद करने में लग गए है और प्रशासन को शायद शिकायत का इन्तजार है| केवल नगर क्षेत्रो से झंडे, बैनर और होल्डिंग हटाकर खानापूर्ति की जा रही है| फर्रुखाबाद जनपद में पाचवे चरण में 19 फरबरी को वोट पड़ने है और प्रत्याशी के पास 50 से ज्यादा दिन है चुनाव प्रचार के लिए|

चारो विधानसभा में 50 करोड़ से ज्यादा फूकेंगे|
जीतने की उम्मीद वाले प्रत्याशी अपना चुनावी बजट 50 लाख से लेकर 5 करोड़ का बना चुके हैं| सबसे ज्यादा धन फर्रुखाबाद, अमृतपुर और भोजपुर विधानसभा में खर्च होगा| जनक्रांति पार्टी के मोहन अग्रवाल, समाजवादी पार्टी की उर्मिला राजपूत, कांग्रेस की लुईस खुर्शीद, बसपा से नागेन्द्र शाक्य और भाजपा से प्रांशु या मेजर सुनील भारी भरकम बजट के साथ चुनाव लड़ेंगे| कमालगंज में भाजपा से पूर्व एम् पी मुन्नू बाबू के पुत्र सौरभ सिंह, समाजवादी पार्टी से जमालुदीन सिद्दीकी, कांग्रेस से रामसेवक यादव, जनक्रांति पार्टी से मुकेश राजपूत और बसपा से पूर्व स्वास्थ्य अनंत मिश्र के विभाग की ठेकेदारी करने वाले महेश सिंह राठौर का बजट भी कमतर नहीं आँका जाना चाहिए|

इस बार भी बटेगी शराब, साड़ी और नगद नारायण
हर चुनाव की तरह इस बार भी चुनाव में शराब बटेगी, साड़ियाँ बटेंगी और नगद नारायण भी मतदाताओ को मिलेंगे| मजे की बात ये है कि ये सब स्थानीय दरोगा को मालूम होने के बाबजूद न तो इस माल की जब्ती होगी और न ही कोई कारवाही| भ्रष्टाचार की गंगा में दरोगा से लेकर लोकल चुनावी अधिकारी भी अपने हाथ काले करेंगे| जिले स्तर के कई टॉप घूसखोर अफसर निर्वाचन कामो में भूमिका निभाएंगे और घूसखोरी का मौका चुनाव में भी नहीं चूकेंगे|
और इन्ही सब कारनामो से चुनाव आचार संहिता का “अचार” बन जायेगा|

चुनाव आयोग के आदेशो के मुताबिक अचार संहिता लागू होने के बाद प्रत्याशियो द्वारा किया गया खर्च, जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा निर्गत सभी आदेश नियमित रूप से वेबसाइट पर दाल दिए जाने चाहिए| मगर यहाँ ऐसा नहीं हो पाया है| जब खर्चा ही नहीं मालूम तो ऑनलाइन होगा कैसे| देखें आयोग के ये आदेश/नियमवाली-