कांग्रेस खोखला लोकपाल लायी है- जेटली

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नई दिल्ली। मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने गुरुवार को लोकपाल विधेयक को खोखला और संविधान की दृष्टि से बेहद कमजोर करार देते हुए कहा कि इसके जरिए राज्यों के अधिकारों पर अतिक्रमण किया जा रहा है। पार्टी ने विधेयक के दायरे में निजी ट्रस्टों और गैर सरकारी संगठनों को लाए जाने का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि इससे लोगों के निजी जीवन में घुसपैठ होगी।

विपक्ष के नेता अरूण जेटली ने लोकपाल विधेयक पर चर्चा शुरू करते हुए कहा कि सरकार इस विधेयक के माध्यम से एक खोखला लोकपाल कायम करने जा रही है। जेटली ने कहा कि लोकपाल विधेयक के जरिए केवल विपक्ष ही नहीं सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल दलों की भी परीक्षा होगी। उन्होंने कहा कि देश जानना चाहता है कि सरकार क्या भ्रष्टाचार के खिलाफ केवल प्रवचन ही करना चाहती है या उस पर प्रहार भी करना चाहती है।

लोकपाल विधेयक के बारे में उन्होंने कहा कि आप एक खोखला लोकपाल बनाना चाहते हैं और इस बात का भ्रम पैदा करना चाहते हैं कि आप उसे संवैधानिक दर्जा दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार सीबीआई को अपने पास रखकर लोकपाल को कमजोर बना रही है। आप एक खिलौना बनाना चाहते है और उसके बाद आप कह रहे हैं कि उसके पास संवैधानिक दर्जा होना चाहिए।

जेटली ने कहा कि सदन को आज लोकपाल को मजबूत करने के लिए विपक्ष द्वारा लाए गए संशोधनों को स्वीकार करने के बाद ही लोकपाल विधेयक पारित करना चाहिए। विपक्ष के नेता ने कहा, यह कानून पारित कर हमें यह फैसला करना होगा कि क्या हम इतिहास से टकराते हैं या नया इतिहास लिखते हैं। लोकायुक्तों की नियुक्ति के लिए राज्यों पर कानून थोपे जाने का विरोध करते हुए जेटली ने कहा कि संविधान में राज्यों और केंद्रों के अधिकारों का स्पष्ट तौर पर वर्गीकरण किया गया है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए संघीय ढाचे को नष्ट करने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी को विधेयक के तीन बेतुके और अर्थहीन प्रावधानों पर आपत्ति है। पहला, लोकपाल की नियुक्ति करने वाले पांच सदस्यीय पैनल में बहुमत सरकार का है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए व्यक्ति को सरकार को शिकायत करनी पड़ेगी। लिहाजा लोकपाल के सर पर हमेशा सरकार की तलवार लटकती रहेगी। जेटली ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि जिसने भी यह विधेयक बनाया है, उसे आपराधिक जाच प्रक्रिया के बारे में जरा भी जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि जाच प्रक्रिया इतनी लंबी एवं जटिल है कि कुछ लोग कह रहे हैं कि इसमें जाच प्रक्रिया की जलेबी बना दी गई है। उन्होंने कहा कि आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ कि जाच करने वाली एजेंसी को जाच का अधिकार न हो।

विपक्ष के नेता ने कहा कि एक केंद्रीय कानून के जरिए राज्यों के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कैसे की जा सकती है। क्या यह संवैधानिक ढाचे के साथ छेड़छाड़ नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई का अधिकार केंद्र के पास क्यों होना चाहिए। यह अधिकार राज्यों को दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस कानून के जरिए सरकार ने कॉन्स्टीट्यूशनल कॉकटेल [असंबद्ध संवैधानिक प्रावधानों की खिचड़ी] बनाने की कोशिश की है।

जेटली ने निजी पक्षों को लोकपाल के दायरे में लाए जाने का कड़ा विरोध करते हुए इसे लोगों की निजता में घुसपैठ बताया। उन्होंने कहा कि इस कानून के लागू होने के बाद मंदिर, मस्जिद, गुरद्वारे तथा अन्य कई संगठन भी जाच के दायरे में आ गए हैं जिनका सार्वजनिक प्रतिनिधियों या सरकार से कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार को यदि इन संस्थानों को जाच के दायरे में लाना है तो उसे भ्रष्टाचार निरोधक कानून में उपयुक्त प्रावधान करने चाहिए न कि लोकपाल कानून में।

जेटली ने कहा कि सरकार के प्रावधानों को देख कर लगता है कि वह किसी संस्था को बनाने से पहले ही उसे नष्ट करना चाहती है। उन्होंने कहा, हमें गलत इतिहास स्थापित नहीं होने देना चाहिए। उन्होंने कहा, हम एक नई संस्था बनाने जा रहे हैं। यह चुनौती भरा काम है। इस संस्था की सत्यनिष्ठा पर भरोसा किया जाएगा। इसे कमजोर क्यों बनाना चाहिए। ऐसी लचीली जाच एजेंसी क्यों होना चाहिए जो लोकपाल के नहीं बल्कि सरकार के नियंत्रण में हो। इसलिए हम सरकार के लोकपाल को पारित नहीं करेंगे बल्कि हमें अपने संशोधनों के साथ इसे पारित करेंगे।