सर पर चुनाव और मायावती की मुश्किलें

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उप्र में चुनावी गहमागहमी के बीच सत्तारूढ़ बसपा की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रहीं। बुधवार को लोकायुक्त ने मायावती सरकार के एक और मंत्री चंद्रदेव राम यादव को पद से हटाने की सिफारिश कर दी। वह मंत्री पद के साथ ही एक स्कूल में हेड मास्टर का पद भी सम्भाल रहे थे और वेतन भी ले रहे थे।

लोकायुक्त की सिफारिश के बाद माया सरकार के पांच मंत्रियों को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा है। यह छठे मंत्री होंगे, जिनका इस्तीफा होगा। इस बीच आज विधानसभा सभा अध्यक्ष सुखदेव राजभर के खिलाफ भी लोकायुक्त के यहां शिकायत पहुंच गई हैं। मंत्री सदल प्रसाद के खिलाफ भी जांच शुरू हो गई है। सीबीआइ ने लखनऊ में बसपा एमएलसी रामचंद्र प्रधान सिंह की पत्‍‌नी अनीता सिंह एनआरएचएम घोटाले में पूछताछ की। अनीता की फर्म के नाम पर ही इस योजना में ठेकेदारी होती थी। ऐसे में विपक्ष को मायावती सरकार को ‘भ्रष्ट’ साबित करने का मौका मिल गया है। समाजवादी पार्टी की ओर से केंद्रीय निर्वाचन आयोग को ज्ञापन भी भेजा गया है, जिसमें कहा गया है कि मायावती के मुख्यमंत्री पद पर रहते निष्पक्ष चुनाव सम्भव नहीं है।

उधर, केंद्रीय निर्वाचन आयोग की ओर से राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी उमेश सिन्हा ने सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ बैठक कर उनसे आदर्श आचार संहिता का पालन सुनिश्चित करने की अपील की। साथ ही अधिसूचना जारी होने के सात दिन के अंदर स्टार प्रचारकों की सूची भी मांगी है।

राहुल गांधी का जनसम्पर्क अभियान भी जारी रहा। राहुल ने कहा कि संसद के बाहर भाजपा सपा और बसपा मजबूत लोकपाल लाने की बात करती हैं मगर जब लोकसभा में कांग्रेस मजबूत लोकपाल विधेयक को पारित कराना चाहती थी तो इन पार्टियों ने विरोध जता दिया। सिर्फ कांग्रेस ने ही विधेयक के समर्थन में बटन दबाया। जब अल्पसंख्यकों को आरक्षण दिए जाने की बात होती है तो मुलायम सिंह यादव और मायावती को अपना अस्तित्व खतरे में नजर आने लगता है।

बसपा में टिकटों के फेरबदल का सिलसिला जारी रहा। नूरपुर, धनौरा, कुंदरकी और ठाकुरद्वारा विधानसभा क्षेत्रों के लिए पहले से घोषित उम्मीदवार बदल गए हैं। सपा ने तीन और प्रत्याशी घोषित कर दिए।