पश्चिम की तरफ चेहरा कर ही क्यों अदा करते हैं नमाज?

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इस्लाम धर्म की नींव है – नमाज। इस्लाम धर्म को मानने वाले हर इंसान के लिए जरूरी पांच फर्ज में से नमाज भी एक है। जिसके लिये पांव वक्त की नमाज जरूरी बताई गई है। इस्लाम धर्मग्रंथों के मुताबिक पांच वक्त की नमाज से जाने-अनजाने हुए सभी गुनाह मिट जाते हैं। साथ ही उस नमाजी के लिए जन्नत यानी स्वर्ग के दरवाजे खुल जाते हैं। इस तरह नमाज खुदा की रहमत पाने का पवित्र कर्म है और फ़र्ज भी।

क्या आप जानते हैं कि खुदा की रहमत पाने के लिए की जाने वाली नमाज खासतौर पर भारत में पश्चिम दिशा की ओर चेहरा कर क्यों अदा की जाती है? जानते हैं इससे जुड़ी खास वजह –

दरअसल इस्लाम धर्म में नमाज अदायगी की भी कुछ अहम शर्ते बताई गई हैं। जिनके पालन के बिना नमाज पवित्र नहीं मानी जाती। इनमे से एक शर्त है – इस्तकबाल किब्ला। जिसका अर्थ है – किब्ले की तरफ मुंह करना। इसको सरल शब्दों में समझें तो हर नमाजी के लिये यह जरूरी है कि नमाज के वक्त उसका मुंह काबा की ओर रखे। अन्यथा नमाज सही नहीं मानी जाती।

इसके मुताबिक ही हिन्दुस्तान से काबा की स्थिति पश्चिम दिशा की ओर होने से इस दिशा में मुंह कर नमाज पढ़ी जाती है। वहीं दुनिया के हर देश में काबा की स्थिति के मुताबिक ही उस दिशा में मुंह कर नमाज अदा की जाती है। इस्लामी धर्मग्रंथों में किसी विशेष हालात, दिशा की अज्ञानता या शारीरिक विवशता में नमाज की इस शर्त के पालन के लिए जरूरी समाधान भी बताए गए हैं।