लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने वाले डीआईजी फायर डीडी मिश्रा अस्पताल के डिस्चार्ज होने के बाद गायब हैं। उनके विभागीय अधीनस्थ भी नहीं बता पा रहे हैं कि डीडी मिश्रा अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद वो कहां गये। उधर विपक्षी दलों ने यह आरोप लगाया है कि श्री मिश्रा को उन्हीं के घर में नजरबंद कर दिया गया है। उनकी सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मी मिश्रा को व उनके परिजनों को किसी से मिलने नहीं दे रहे। फिलहाल उनके घर में किसी के आने-जाने पर प्रतिबंध है।
डीआईजी फायर ने गत सप्ताह मुख्यमंत्री मायावती पर भ्रष्टïचार के कई आरोप लगाये थे, उन्होंने यहां तक कहा था कि मुख्यमंत्री मायवती उनकी हत्या करवा सकती है। इसके बाद राज्य सरकार ने उन्हें मानसिक रोग अस्पताल में भर्ती करा दिया था। डॉक्टरों के मुताबिक उन्हें दस दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहना था लेकिन अचानक तीन दिन बाद ही उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। ऐसा क्यों कि गया इस बारे में अस्पताल के डॉक्टर भी कुछ कहने को तैयार नहीं हैं।
वहीं अस्पताल से छुट्टी होने के बाद डीडी मिश्र कहां और कैसे हैं, इस बारे में उनके विभाग में भी कोई कुछ बताने को तैयार नहीं है विपक्षी दल इसे सरकार की कारगुजारी बताते हुए आरोप लगा रहे हैं कि मिश्र को सरकार के आदेश पर उनके ही घर में नजरबंद कर दिया गया है ताकि वह आगे सरकार के भ्रष्टचार का और खुलासा न कर पाएं। समाजवादी पार्टी प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने बुधवार कहा कि जब से मिश्रा को अस्पताल से छुट्टी दी गई है तब से न उन्हें किसी से बात नहीं करने दिया जा रहा है। उन्हें पुलिस की कड़ी निगरानी के बीच उनके ही घर में कैद कर दिया गया है।
सपा ने मांग की है कि मिश्रा द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच उच्च न्यायालय के किसी न्यायमूर्ति या केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराई जाये। वहीं कांग्रेस ने कहा है कि ऐसा लगता है कि मिश्रा राज्य सरकार के भ्रष्टाचार के कई सारे राज जानते हैं, जिनका खुलासा होने पर हड़कम्प मच सकता है। ह राज जाहिर न कर दें इसलिए उन्हें घर में नजरबंद किया गया है। भाजपा ने कहा है कि मिश्रा के आरोपों को झूठ करार देने के हर सम्भव प्रयास किए जा रहे हैं, इसी कारण सरकार उन्हें किसी से मिलने नहीं दे रही है। भाजपा प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि जब भी कोई अधिकारी मायावती सरकार के खिलाफ आवाज उठाता है तो उसके साथ यह सरकार ऐसा ही करती है।