विधान सभा चुनाव से पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने बुधवार को प्रदेश में तीन नये जिलों का गठन कर दिया। नये जिलों के नाम प्रबुद्धनगर, पंचशीलनगर व भीमनगर रखा गया। तीनों जिलों के गठन के साथ ही अब यूपी में 75 जिले हो गए। मुख्यमंत्री भले ही जिलों के गठन के पीछे क्षेत्रीय विकास की दलील दे रही हों लेकिन चुनाव से ऐन पहले किए गये इस कार्य को विपक्षी दलों ने चुनावी रणनीति करार दिया। विपक्षियों का कहना है कि बसपा को ऐसा लगता है कि नये जिले बनाने से पार्टी की सीटें बढ़ जाएंगी।
प्रदेश में अगले वर्ष फरवरी में विधान सभा चुनाव की संभावना को देखते हुए लगातार परिवर्ततन हो रहे हैं। विधानसभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर दौरे पर निकली मुख्यमंत्री मायावती ने राज्य के पश्चिम में कुछ बदलाव कर दिये। वोटों की संख्या को देखते हुए उन्होंने तीन नये जिलों के गठन का ऐलान कर दिया। उन्होंने मुजफ्फरनगर से तहसील शामली को अलग कर प्रबुद्धनगर, गाजियाबाद की तहसील हापुड़ को अलग कर पंचशीलनगर, और मुरादाबाद से तहसील संभल को अलग कर भीमनगर जिलों के गठन की घोषणा की। मायावती ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दौरे पर सबसे पहले मुजफ्फरनगर की तहसील कैराना और शामली को मिलाकर नया जिला प्रबुद्धनगर बनाये जाने की घोषणा की। ज्ञात हो कि शामली को लम्बे अर्से से जिला बनाने की मांग हो रही थी। मायावती ने विगत चुनाव के दौरान इन जिलों के गठन को वादा भी किया था।
मायावती ने वर्तमान समय को सबसे उपयुक्त मानते हुए लोगों की मांग को स्वीकार कर लिया। नये जिले की आबादी 13 लाख के करीब है। अब प्रबुद्धनगर राज्य का 73वां जिला बन गया जिसका मुख्यालय शामली में होगा। इसके बाद मायावती गाजियाबाद के हापुड़ तहसील पहुंची और वहां पंचशील नगर नाम से नये जिले की घोषणा कर दी। उनके द्वारा उठाए गये इस कदम को देखते हुए ऐसा माना गया कि सुश्री मायावती ने पहले से ही तय कर लिया था कि नये जिलों का गठन किया जाएगा। उनका अगला पड़ाव मुरादाबाद की संभल तहसील रही जहां पहुंचने के कुछ देर बाद ही उन्होंने 75वें जिले भीमनगर की घोषणा कर दी। भीमनगर नाम बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के नाम पर दिया गया है। भीम नगर का मुख्यालय संभल होगा जबकि पंचशील नगर जिले का मुख्यालय हापुड़ में होगा।
गौरतलब है कि सुश्री मायावती कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र अमेठी को छत्रपतिशाहूजी महाराज नगर और एटा को कांशीराम नगर नाम से जिला बनाने का फैसला पहले ही कर चुकी हैं। जानकार बताते हैं कि इस कदम के पीछे मायावती की इच्छा वोट बढ़ाने तथा विधान सभा में सीटें सुरक्षित करने की हो सकती है। हालांकि इस कदम का लाभ बसपा को आगामी विधान सभा चुनाव में मिल भी सकता है। दूसरी ओर विपक्षी पार्टी सपा के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसे चुनावी हथकंडा करार दिया। उन्होंने कहा कि सुश्री मायावती ने नया जिला बनाने की सिर्फ घोषणा की है लेकिन यह अस्तित्व में नहीं आ पायेगा।