सूचना न देने पर एडीएम पर 25 हजार का दंड, दो वेतन वृद्धि रुकीं

Uncategorized

फर्रुखाबाद : अधीनस्थ कनिष्ट अधिकारियों द्धारा सूचना के अधिकार अधिनियम के साथ की गयी खिलवाड़ जिलाधिकारी कार्यालय के जनसूचनाधिकारी/ अपर जिलाधिकारी को मंहगी पड़ गयी है। राज्य सूचना आयोग ने उन पर 25 हजार रुपये का अर्थदण्ड व दो वेतन वृद्धियां रोके जाने की संस्तुति कर दी है। तीस दिन के भीतर आदेश का अनुपालन न किये जाने व वादी को सूचना उपलब्ध न कराये जाने पर बेतन से कटौती के आदेश भी किये जाने की चेतावनी दी गयी है। राज्य सूचना आयुक्त ने जिलाधिकारी को जनपद में जनसूचना के अधिकार को सही ढंग से लागू किये जाने हेतु व्यक्तिगत रुचि लेने की भी सलाह दी है।

विदित है कि विकलांग वृद्धा प्रेमलता देवी ने  कांशीराम आवास के लिये आवेदन किया था। उसे हैबतपुर गढिया में एक आवास ब्लाक  62  आवास संख्या 980 आबंटित भी किया गया था। परंतु प्रेम लता ने अपनी विकलांगता व आयु की समस्या के मद्देनजर उसे बंधउआ स्थित कालोनी मे एक आवास दिये जाने की मांग की। परंतु पीओ डूडा ने यह कहते हुए उसका प्रार्थनापत्र निरस्त कर दिया कि अब सभी आबंटन हो चुके हैं, इस लिये अब उसके आवेदन पर विचार संभव नहीं है। प्रेम लता देवी ने आखिर परियोजना अधिकारी डूडा से लिखित रूप से सूचना मांगी कि उसको कांशीराम आवास योजना के आबंटियों की सूची उपलब्ध करादी जाये। साथ ही उसने बंधउआ के 14 व  टाउनहाल के 22 आवासों के नंबरो का उल्लेख करते हुए उनके आबंटियों के आवेदन व उनकी स्वीकृति से पूर्व की गयी जांच आख्याओं की प्रमाणित छाया प्रति मांग ली। प्रेमलता देवी ने दावा किया कि दोनो जगहों पर दर्जनों अपात्र लोगों के नाम पर आवास आबंटित किये गये हैं। उन्होंने कहा कि मैंने अधिकारियों से निवेदन किया मेंरे द्वारा दी गयी सूची के लाभार्थियों को सत्यापन कर कम से कम एक अपात्र को हटाकर या उसे हैबतपुर गढिया स्थानांतरित कर मुझे एक आवास बधउआ में देदें। परंतु किसी ने मुझ विधवा की 80 वर्ष की उम्र, विकलांगता व बीमारियों पर तरस नहीं खाया, उल्टे उपहास ही उड़ाया। प्रेम लता देवी ने इस संबंध में जो शिकायत मुख्य सचिव को भेजी है उसमें उल्लेख किया है कि अनेक ऐसे लाभार्थी हैं जिनके एक ही परिवार में कई कई लोगों को अलग अलग स्थानों पर आवास दिये गये है।

विगत 8 जून 2010 को सूचना के अधिकार के तहत मांगी गयी सूचना पर अनुस्मारकों व अपीलों के बाद आखिर एक वर्ष बाद राज्य सूचना आयोग ने विगत 10 जून 2011 को जिलाधकारी कार्यालय के जनसूचना अधिकारी/ अपर जिलाधिकारी पर 25 हजार रुपये का अर्थदंण्ड लगाते हुए 30 दिनों के भीतर आवेदक को सूचना उपलब्ध कराने का आदेश दिया था। इस पर भी अधिकारियों ने कान नहीं धरा तो फिर दो माह बाद दिनांक 12 अगस्त 2011 को अर्थदण्ड के अतिरिक्त दो वेतन वृद्धियां स्थायी तौर पर रोके जाने की संस्तुति कर दी है।

आयुक्त ने अपने आदेश में जिलाधिकारी को सलाह भी दी है  कि वह अपने जनपद में सूचना के अधिकार अधिनियम को लागू किये जाने में स्वय भी व्यक्तिगत रूप से रुचि लें। आदेश में चेतावनी दी गयी है कि यदि अगले तीस दिनों में वादी को सूचना न मिली और अर्थदंड जमा न किया तो जिलाधिकारी को निर्देशित किया जायेगा कि वह संबंधित अधिकारी के वेतन से तीन बराबर मासिक किस्तों में धनराशि की कटौती कर कोष में जमा करायें।