लखनऊ। मोअल्लिम ए उर्दू और पत्राचार बीटीसी करने वालों को शिक्षक बनने के लिए पात्रता परीक्षा (टीईटी) देनी होगी। शासन स्तर पर उच्चाधिकारियों की हुई बैठक में बनी सहमति के आधार पर बेसिक शिक्षा निदेशालय ने प्रस्ताव भेज दिया है। प्रस्ताव में बीए, बीएससी व बीकॉम के स्थान पर संशोधित करते हुए स्नातक करने का प्रावधान किया गया है। इससे स्नातक स्तर का प्रोफेशनल कोर्स करने वालों के शामिल होने का भी रास्ता साफ हो जाएगा। इस संबंध में संशोधित शासनादेश शीघ्र जारी करने की तैयारी है।
टीईटी कराने के लिए शासनादेश जारी किया जा चुका है। इसमें बीए, बीएससी, बीकॉम के साथ बीएड, बीटीसी, नर्सरी टीचर ट्रेनिंग करने वालों को पात्र माना गया है। बीए, बीएससी व बीकॉम की डिग्री वालों को ही शामिल किए जाने से प्रोफेशनल कोर्स करने के बाद बीएड करने वाले इसकी पात्रता श्रेणी में नहीं आ रहे हैं। इसी तरह मोअल्लिम करने वालों को सरकार ने शिक्षक बनाने का निर्णय किया है। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल विशेष अनुज्ञा याचिका वापस ली जा रही है। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने चूंकि यह स्पष्ट कर दिया है कि कक्षा 8 तक के स्कूलों में वही शिक्षक बन सकेंगे, जो टीईटी पास करेगा।
इसी तरह पत्राचार बीटीसी करने वाले कई सालों से शिक्षक बनाने की मांग कर रहे हैं। स्वामी प्रसाद मौर्या से लेकर बेसिक शिक्षा मंत्री को ज्ञापन दे चुके हैं। इसी लिए पत्राचार बीटीसी करने वालों को भी इसमें शामिल करने की योजना है। सूत्रों का यह भी कहना है कि टीईटी के लिए स्नातक में 50 प्रतिशत की अनिवार्यता को खत्म करते हुए 45 प्रतिशत करने की तैयारी है। स्नातक में 45 प्रतिशत करने के लिए जून में राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा जारी अधिसूचना को आधार बनाया गया है।