रहस्य के आवरण के पीछे संचालित आध्यात्मिक केन्द्रों का खेल

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फर्रुखाबाद : किसी जेल की तरह चारों तरफ से बंद मकान के भीतर बनी जीनों, तहखानों और कोठरियों की भूल भुलैया के अंदर रह रही दर्जनों मासूम किशोरियों व युवतियों को रखकर आखिर कौन से अध्यात्म या ज्ञान का खेल चलता है, यह आम आदमी के लिये रहस्य हो सकता है, परंतु आस पड़ोस के लोगों के पास कई कहानियां हैं, जिनको सुनकर घृणा और तिरस्कार के भाव स्वत: ही पैदा होजाते हैं। रविवार को नगर की घनी आबादी के बीच एसे ही एक आध्यात्मिक केंद्र पर पुलिस छापे के दौरान जो कुछ सामने आया वह सबने देखा। यह जिस कंपिल स्थित केंद्र की शाखा है वह भी कम चर्चित नहीं है। इन केंद्रों पर आये दिन युवतियों के घरवाले आकर हंगामा करते रहे हैं। कई बार युवतियां केंद्र संचालकों के प्रभाव के चलते स्वयं अपने माता पिता के साथ जाने से इनकार कर  देती हैं। परंतु जो भी हो, इन केंद्रों का सत्य बाहर आना चाहिये। किसी एक शपथपत्र के आधार पर मासूम किशोरियों व युवतियों से उनके प्राकृतिक बचपन या यौवन सुलभ क्रियकलापों से दूर कर देना कम से कम मानवीय तो नहीं कहा जा सकता।

कंपिल स्थित मुख्य अध्यात्मिक केंद्र के बारो में बर्षो तक स्थानीय लोगों ताक को कानोकान खबर नहीं थी कि यहां कोई अध्यात्मिक केन्द्र है। अचानक एक दिन भारी विशाल इमारत को पुलिस घेर लेती है और वहां अंदर से प्रतिरोध के बावजूद जवान लड़कियों का जमाबड़ा पाया गया। इस रहस्यमय आश्रम के स्वामी बीरेन्द्रदेव को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। तब लागों को पता चला कि बाहर से खामोश किला नुमा इमारत के अन्दर क्या कुछ चलता है।

बताते है कि बीरेन्द्र देव दीक्षित का मूल निवास कंपिल ही है। कम्पिल थाने के एक दारोगा को बाबा बीरेन्द्र पर दया आयी तो उन्होंने उसको आर्थिक मदद दी। जब उस दारोगा का तबादला हुआ तो वह उसे अपने साथ ले गये। वहां से उसका सम्पर्क माउंटआबू स्थित ईश्वरीय विद्यालय में संचालित कथित आध्यात्मिक केन्द्र से हुआ। वहां के आध्यात्म को भगवान शिव का अवतार घोषित किया हुआ है। बड़े पैमाने पर लाखों की संख्या में समर्पित कार्यकर्ता हैं जिनमें महिलाओं की संख्या बहुत है। चर्चा के अनुसार एक खास किस्म का शरबत 15 दिनों तक नये रंगरूट को पिलाया जाता है। इसके बाद वह सबकुछ भूलकर बाबा का हो जाता है। बाबा कई वर्षो से देखे नहीं गये हैं। वह कब आश्रम पहुंचते हैं और कब वहां से बाहर जाते हैं यह किसी को नहीं पता।  इस आध्यात्मिक ज्ञान का रहस्यमय चमत्कार यह है कि बहुत सी विवादित महिलाएं अपने भौतिक संसार के सहचरों को छोड़कर विचित्र दैवीय आनन्द का अनुभव करने के लिए घरबार त्याग देती हैं। इन केन्द्रों में अन्दर क्या होता है इसकी जानकारी लोगों को है। लेकिन इन केंद्रों के सेमीनारों में अधिकारियों की विशेष उपस्थिति उन्हें जबान को बन्द रखने को मजबूर करती है। बुद्धिजीवियों व समाज सेवियों की मांग है कि इन कथित आध्यात्मिक कला केन्द्रों की असलित को उजागर किया जाये।

नगर के एक महिला संगठन गुलाबी गैंग की जिलाध्यक्ष अंजली यादव ने इन अध्यात्मिक केंद्रों की असलियत उजागर किये जाने व इनमें रखी गयी नाबालिग किशोरियों को आजाद कराये जाने के लिये अभियान चलाने की घोषणा की है।