रामगंगा लाल निशान से आधा मीटर ऊपर, हजारों ग्रामीण फंसे

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फर्रुखाबाद: तीन माह पूर्व से बाढ़ राहत की योजनाओं का ब्लू प्रिंट तेयार कर रहे प्रशासन की योजनायें मुसीबत के समय केवल कागजी व किताबी साबित हुईं। रामगंगा खतरे के निशान से 60 सेंटीमीटर ऊपर उफना रही है। वहीं गंगा भी खतरे के निशान से मात्र 10 सेंटीमीटर नीचे ही रह गयी है। जाहिर है ऐसे में रामगंगा का पानी भी गंगा की ओर उफान मारने लगा है। गंगा व रामगंगा की बाढ़ के बीच दर्जनों गांवों के हजारों ग्रामीण चूहेदान में फंसे चूहों की तरह फंसे मौत को पल पल अपनी ओर बढ़ते देख रहे हैं व भगवान से पानी कम होने की दुआ मांग रहे है। स्थित यह है कि प्रशासन इन ग्रामीणों को बाहर निकलने के लिये नावें तक मुहैय्या नहीं करा पा रहा है। उपजिलाधिकारी अमृतपुर अपने नये होने का बहाना बना कर  पल्ला झाड़ रहे हैं तो तहसीलदार ने तो हाथ ही खड़े कर दिये हैं।

विदित है कि विगत वर्ष बाढ़ में हुई तबाही के मद्देनजर प्रशासन ने इस वर्ष जून से ही बाढ़ की स्थिति से निबटने के लिये योजनायें बनाने के नाम पर बैठकें कर कागजी ब्लूप्रिंट बनाने शुरू कर दिये थे। सर्वे और स्त्यापन के नाम पर लाखों रूपये का पेट्रोल खर्च हो गया। बाढ़ से क्षतिग्रस्त परिसम्पत्तयों की मरम्मत के नाम पर निर्णाण एजेंसियों व ठेकेदारों ने खूब वारे के न्यारे किये। बाढ़ की स्थिति में राहत कार्यों के लिये बाकायदा बाढ़ चौकियां बनी व न्यायपंचायत स्तर पर नोडल अधिकारी भी नियुक्त किये गये। परंतु जमीनी हकीकत बाढ़ के पहले हल्ले में हीं खुल कर सामने आ गयी।

स्थिति यह है कि रामगंगा खतरे के निशान से 60 सेंटीमीटर ऊपर 137.70 मीटर पर उफना रही है। जबकि गंगा भी खतरे के निशान से मात्र 10 सेंटीमीटर नीचे है। नरौरा बांध से 3,41,936 क्यूसेक पानी छोड़े जाने की सूचना है। इससे गंगा का जल स्तर शाम तक और बढ़ने की आशंका से प्रशासन इनकार नहीं कर रहा है। अमैयापुर पुलिया के ऊपर कई मीटर पानी आ जाने से लगभग एक दर्जन ग्रामों का संपर्क शेष जनपद से कट गया है। इन ग्रामों में हजारों ग्रामीणों का हाल चूहेदान में फंसे चूहों जैसा है। बाढ़ का पानी हर घंटे बढ़ने से ग्रामीण भयभीत हैं। प्रशासन की ओर से नावों की व्यवस्था न हो पाने के कारण ग्रामीण भागने की स्थिति में भी नहीं हैं। आपातकालीन व्यवस्था के ध्वस्त हो जाने के विषय में नये आये एसडीएम अरुण कुमार इसी सप्ताह चार्ज लेने की बात कह कर पल्ला झाड़ते दिखते हैं, स्थिति के बारे में पूछे जाने पर उनहोंने बताया कि लेखपाल को नाव की व्यवस्थता के लिये भेजा गया है। उसके लौट कर आने के बाद ही जानकारी मिल पायेगी। जबकि कई वर्षों से यहां जमे तहसीलदार अशोक कुमार सिंह चंद्रौल नावों की व्यवस्था के लिये लेखपालों को लगाये जाने की बात कह कर बात घुमा देते हैं।

कमलगंज के ग्राम चाचूपुर व देवरान गढिया में पानी करीब आ गया है। गांव से बीस मीटर दूर है। जंजाली नगला, नथुआपुर, भोजपुर व धारा नगला भी बाढ़ से प्रभावित होने लगे हैं।