बर्खास्त पालिका कर्मियों ने दी परिवार सहित आमरण अनशन की धमकी

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फर्रुखाबाद: डीएम के आदेश पर नगर पालिका परिषद के बर्खास्त 42 कर्मचारियों ने मंगलवार को पालिका कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत में बर्खास्तगी आदेश को जिलाधिकारी के अधिकार क्षेत्र में न होने का आरोप लगाया। कर्मचारियों ने कहा कि उन्हें आरोप पत्र नहीं दिया गया और न ही पक्ष रखने का अवसर मिला। कर्मचारियों ने कहा कि यदि उनको न्‍याय न मिला तो वह परिवार सहित आमरण अनशन को मजबूर होंगे। कर्मचारियों ने स्‍वयं का निर्दोष बताते हुए कहा कि यदि नियुक्‍ति प्रक्रिया त्रुटिपूर्ण थी तो उसके लिये जिम्मेदार तत्‍कालीन अधिकारी थे, कर्मचारी नहीं।

बर्खास्त कर्मचारी शरद बाजपेयी, विजय सिंह वर्मा, मो. उवैश खां, शिवराम सिंह, प्रदीप सिंह यादव आदि ने पत्रकारों को बताया कि दिनांक 4 मई 2001 को उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने कर्मचारियों के वेतन आहरण के निर्देश देकर जिलाधिकारी को म्यूनिस्पल एक्ट 1916 की धारा 34 के अंतर्गत जांच कर अंतिम निर्णय पारित किये जाने से पूर्व याचीगणों (कर्मचारियों) का पक्ष सुनने के निर्देश दिये थे। इसके बाद ही आदेश पारित किया जाना था। लेकिन बर्खास्तगी आदेश जारी करने का अधिकार न होने के बावजूद जिलाधिकारी ने कर्मचारियों पक्ष तक नहीं सुना।

इस आदेश के बाद जिलाधिकारी के मांगने पर 26 नवंबर 2001 को ही सभी पत्रावलियां स्थानीय निकाय लिपिक अतीक अहमद को प्राप्त करा दी गई। इसके बावजूद मात्र दो कर्मचारी सुबोध कुमार गुप्ता व शरद बाजपेयी के ही नोटिस जारी किये गये। दोनों कर्मचारियों ने जवाब भी दिया, लेकिन उस पर सुनवाई नहीं हुई। अन्य कर्मचारियों को नोटिस तक जारी नहीं हुए। कर्मचारियों ने बताया जिलाधिकारी की ओर से जारी बर्खास्तगी आदेश के खिलाफ वह लोग उच्च न्यायालय की शरण में गये हैं। उच्च न्यायालय ने जिलाधिकारी से जवाब मांगा है। विदित है कि जिलाधिकारी ने 42 नगरपालिका कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया था।