वोट लेते समय सलमान खुर्शीद ने वर्तमान लोकपाल बिल के बारे में नहीं बताया था

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आखिर केंद्र की कांग्रेस सरकार देश की जड़ो में फैले भ्रष्टाचार को क्यूँ नहीं ख़त्म करना चाहती? अन्ना का लोकपाल बनाम कांग्रेस का लोकपाल आखिर बहस का मुद्दा क्यूँ बन गया| क्या इसलिए कि अन्ना आम जनता है और सलमान, कपिल सिब्बल और प्रणव ख़ास आदमी| और आम आदमी द्वारा चुने हुए ख़ास आदमी आम आदमी की बात मान लेंगे तो उनकी तौहीन हो जाएगी| या फिर अन्ना के ड्राफ्ट वाले लोकपाल से अगर देश की जड़ो में फैले भर्ष्टाचार से मुक्ति मिलने लगेगी तो इसका श्रेय कांग्रेस को नहीं मिल पायेगा| या फिर असल में भ्रष्टाचार को जिन्दा रख कांग्रेस गैर कांग्रेसी शासित राज्यों में मुद्दा नहीं खोना चाहती|

चुनाव में सलमान ने कांग्रेस के वर्तमान लोकपाल प्रारूप पर वोट नहीं लिया?

केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद लोकसभा से चुन कर आये है| लगभग 12 लाख वोटरों में से लगभग 1.25 वोट पाने वाले खुद की आवाज को जनता की आवाज कहते हैं| 12 लाख वोट में से लगभग 4-5 लाख वोट पड़े उसमे से उन्हें 1.25 के लगभग मिले तो बहुमत तो उनके विरोध में ही रहा| ये बात और है कि लोकतान्त्रिक प्रक्रिया में उन्हें चुना हुआ माना गया| मगर जब सलमान ने चुनाव लड़ा था तब उन्होंने वर्तमान लोकपाल विधेयक की चर्चा नहीं की थी| अगर की होती और उस समय अन्ना बनाम कांग्रेस के लोकपाल को लेकर वोट पड़ते तो क्या माननीय मंत्री जी चुनाव में जीत पाते?

क्यूंकि कांग्रेस के वर्तमान लोकपाल विधयेक में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है जिससे वो कोटेदार के भ्रष्टाचार से निजाद दिला कर गरीबो को उनके हक़ का राशन दिला सके| उत्तर प्रदेश में सरकारी स्कूलों में शिक्षको को समय से पढ़ाने के लिए स्कूल भेज सके| लेखपाल से बिना घूस के खसरा खतौनी या कोई अन्य प्रमाण पत्र दिला सके| कांग्रेस का लोकपाल कोर्ट कचहरी से लेकर सामान्य दफ्तरों में बाबुओ द्वारा वसूली जा रही घूस पर अंकुश नहीं लगा पायेगा| मतलब साफ़ है आम आदमी की जेब में जो दो चार कौड़ी होगी उसकी सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है| फिर क्यूँ हम कांग्रेस के उस लोकपाल का समर्थन करें जो आम समस्या हल नहीं करने जा रहा|

जेएनआई ये सवाल सलमान खुर्शीद के लोकसभा चुनाव चुनाव वाले क्षेत्र यानी फर्रुखाबाद की जनता से पूछने जा रहा है कि क्या सलमान को वर्तमान लोकपाल को पास कराने से पहले कम से कम फर्रुखाबाद की जनता यानि हम वोटर से राय मशविरा नहीं करना चाहिए था? क्यूंकि चुनाव में उन्होंने इस पर कोई बात नहीं की थी?

आम जनता अपनी प्रतिक्रिया जरूर लिखे क्यूंकि फर्रुखाबाद के अखबार भले ही जनता की आवाज दिल्ली में बैठे देश के केंद्रीय कानून मंत्री और फर्रुखाबाद के सांसद सलमान तक आवाज न पंहुचा सके मगर आज इंटरनेट के दौर में ये काम जेएनआई जरुर कर रहा है|