हम क्यों तोड़ते हैं नियम ?

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आप हमारे किसी भी छोटे या बड़े शहर में जाएं, सभी जगह आपको सार्वजनिक अव्यवस्था या अराजकता की एक-सी तस्वीर दिखाई देगी। सड़कों पर नियम तोड़कर मनचाहे तरीके से बेतरतीब चलते वाहन। फुटपाथ पर जगह-जगह दुकानें। सड़कों पर फैला कचरा और कई जगह कचरे का ढेर।

सड़कों पर गड्ढ़े और गड्ढों में भरा पानी। अधबनी इमारतें और उनके सामने आधी सड़क को घेरकर बिखरी रेत या ईंटों का ढेर। आपका सामना बहुत सारी चीजों से होगा जो सड़क पर चलना कष्टदायक और मुश्किल बना देती हैं। इनमें से ज्यादातर दिक्कतें इसलिए होती हैं, क्योंकि कहीं न कहीं कोई न कोई नियमों या कानूनों का पालन नहीं कर रहा है।

नियम तोड़ना

हममें से ज्यादातर लोग अपने आसपास ऐसे लोगों को जानते हैं, जो नियम तोड़ते हुए रत्ती भर संकोच नहीं करते। हम जानते हैं कि चौराहों पर रेड लाइट होने पर वाहन को रुक जाना चाहिए। लेकिन हम ऐसे लोगों को भी जानते हैं जो रेड लाइट होने पर आंख चुराकर गाड़ी निकाल लेने की ताक में रहते हैं और निकाल भी लेते हैं। हम जानते हैं कि चौराहों पर पैदल सड़क पार करने वालों के लिए बने जेबरा क्रासिंग से पहले वाहनों को रुकना चाहिए। लेकिन ज्यादातर क्रासिंग पर आप सफेद धारियों पर वाहनों को खड़ा देखेंगे।

हम जानते हैं कि गाड़ी चलाते हुए मोबाइल फोन पर बात करना न सिर्फ दुर्घटना को दावत देना है, कानूनन जुर्म भी है। लेकिन हम ऐसे लोगों को भी जानते हैं जो बेहिचक मोबाइल पर बात करते हुए ड्राइव करते हैं और कानून या दुर्घटना की जरा परवाह नहीं करते। हम जानते हैं कि नशे में गाड़ी चलाना भी अपराध है। लेकिन हर शहर में बड़ी संख्या में लोग शराब पीकर गाड़ी चलाते पकड़े जाते हैं और उससे भी ज्यादा बड़ी संख्या उन लोगों की है जो ऐसा करते हुए बच निकलते हैं।

हम जानते हैं कि हमें झूठे मेडिकल या एलटीए के बिल नहीं देना चाहिए। लेकिन हम जानते हैं कि ऐसा करने वालों की बड़ी तादाद ने झूठे बिलों के धंधे को बाकायदा उद्योग में बदल दिया है। हम जानते हैं कि कोई भी खरीद करते समय हमें उसके बिल की मांग करनी चाहिए। लेकिन हम जानते हैं कि कुछ थोड़े से रुपए या दो-चार मिनट का समय बचाने के लिए हम दुकानदार से बिल की मांग नहीं करते।

अपराध के तीन स्तर होते हैं। पहला खुद अपराधी :

वह व्यक्ति जो कानून तोड़ता है। दूसरा वह जो पहले से जानता है कि यह अपराध किया जाने वाला है और खामोश रहता है। तीसरा, जो जानता है कि अपराध किया गया है और चुप रहकर उसकी अनदेखी करता है । दूसरे और तीसरे व्यक्ति को भी अपराध में सहभागी माना जा सकता है। माना जाता है। तीनों ही जिम्मेदार होते हैं। ट्रैफिक नियमों को तोड़ने या टैक्स नहीं चुकाने को हममें से ज्यादातर लोग भले ही बड़ा अपराध न मानें, लेकिन इस आचरण में एक गंभीर बुराई छिपी है। वह है सामाजिक आचार-व्यवहार का टूटना।

कोई भी समाज सामाजिक व्यवस्था से बंधा होता है। व्यवस्था नियमों और कानूनों से चलती है। जब भी हममें से कोई नियम या कानून का उल्लंघन करता है तब वह अव्यवस्था को जन्म देता है। बहुत सारे लोग बहुत सारे नियमों और कानूनों को तोड़ते हैं और रात-दिन तोड़ते हैं, इसलिए व्यवस्था गहरे दुष्चक्र में धंसती जाती है और समाज अव्यवस्था की गर्त में चला जाता है।