फर्रुखाबाद में शिक्षको की कमी- बोया पेड़ बबूल का आम कहाँ से होय

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फर्रुखाबाद; जनपद में शिक्षा संस्थानों की भले ही बाढ़ आ गयी हो मगर रोज खुल रही शिक्षा की दुकानों में खासकर उच्च शिक्षा संस्थानों में गुणवत्तापूर्वक शिक्षको की भारी कमी है| मानको के अनुरूप शिक्षक इन शिक्षा की दुकानों में लिखा पढ़ी में तो तैनात है मगर हकीकत में अधिकांश की डिग्रियां केवल लिखा पढ़ी के लिए है| भौतिक रूप से छात्रो को शिक्षा देने के लिए मानको वाले शिक्षक और प्रवक्ता उपलब्ध नहीं है| छात्रो और सरकार को धोखा देने का धंधा वर्षो से चल रहा है| शिक्षा माफियाओं ने धन कमाने की लालसा में नक़ल कराने की प्राथमिकता देकर गैर योग्यताधारी डिग्रीधारी तो तैयार कर दिए मगर अब योग्यता वाले शिक्षको के लिए तरस रहे है| इसे कहते है बोया पेड़ बबूल का, आम कहाँ से होय|

देश की जड़ो को खोखला करने में जनपद के शिक्षा माफियाओं ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी| ज्ञान किसी भी देश के विकास का सबसे मजबूत स्तम्भ होता है| अच्छे ज्ञान से सकारात्मक विकास की सम्भावनाएं बढ़ती है| अल्प ज्ञान से नकारात्मक सोच और विध्वंश बढ़ता है| नक़ल से पायी डिग्री को बगल में दबाये जब कोई युवा अपने को शिक्षित बेरोजगार होने का दावा करता है और आन्दोलन करता है तो सरकारे हिल जाती है| बड़े प्रतियोगी परीक्षाओं में ज्ञान के बल पर नौकरी हासिल करने वाले कभी बेकार के आन्दोलन करते नहीं देखे गए|

फर्रुखाबाद में पिछले कई साल से एमबीए और एमसीए की शिक्षा देने के बड़े बड़े बैनर खोले जा रहे है| मगर हकीकत में इन शिक्षा केन्द्रों में अपने बच्चो को शिक्षा के लिए भर्ती कराने से पहले इनके शिक्षको की भौतिक मौजूदगी और उनके बारे में जान लेना भी जरुरी है| ये आम नागरिक का लोकतान्त्रिक अधिकार है| शिक्षा संस्थान सौ दो सौ रुपये का बढ़िया चिकने और चमचमाती फोटो वाले प्रोसपैकटस तो झांपा बनाने के लिए छापता और बेचता है मगर उनमे अपने यहाँ मौजूद शिक्षको की पूरी सूची मय विस्तृत जानकारी उपलब्ध नहीं कराता? आखिर क्यूँ? क्या इन शिक्षा केन्द्रों में आप अपने बच्चो को बढ़िया बिल्डिंग और ठंडा पानी पिलाने के लिए भेजते है| बच्चा अच्छी बस में बैठ कर स्कूल जाए ये जरुरी नहीं, जरूरी ये है बच्चे को अच्छी, बेहतर और सबसे बढ़िया शिक्षा मिले|

जनपद फर्रुखाबाद की जड़े अच्छी शिक्षा के लिहाज से खोखली हो चली हैं| फर्रुखाबाद के इन नक़ल छाप शिक्षा मंदिरों में पढ़ने वाले छात्रो के बारे में कोई प्रतियोगी परीक्षा पास करने की खबरे अब बड़ी बात हो चली है| बड़े बड़े संस्थानों के खुलने का कतई ये मतलब मत निकालिए कि यहाँ कोई मदन मोहन मालवीय या राधाकृष्णन पैदा होने जा रहा है| छोटी कक्षा से लेकर शिक्षक बनाने की डिग्री बीएड, वकील बनाने की डिग्री एलएलबी और डॉक्टर बनाने की डिग्री भी परीक्षा कक्ष में विभिन्न तरीको से नक़ल कराकर उपलब्ध कराई जा रही है|

बेहद ही घटिया कारनामो में लिप्त शिक्षा माफिया भी ये सब बेबजह नहीं करते| अपनी गोट से पैसा लगाकर शिक्षा दान का मंदिर चलाना राजा महाराजो का काम था, बड़े उद्योगपतियो का काम था या शिक्षा के लिए समर्पित मदन मोहन मालवीय जैसे लोगो के लिए जिहोने पूरे देश से चंदा कर यूनिवर्सिटी खड़ी कर सरकार को सौप दी| अब कुछ कंगाल और मुश्किल से एक परिवार चलाने कि कुव्वत रखने वाला जब धन कमाने की लालसा से इन कामो में उतरेगा तो शिक्षा के मंदिर में शिक्षा का बलात्कार तो होना तय है| नगर में इन धंधो को कर रहे लोगो के इतिहास में जाइए तस्वीर साफ़ हो जाएगी| ऐसे लोग जब धन कमाने की लालसा में बच्चो को नक़ल कराएँगे तो क्या होगा| जब नक़ल छाप बच्चो की फ़ौज तैयार होगी तो आगे चल कर गुणवत्तापूर्वक शिक्षक आने वाली पीढ़ी के लिए कहाँ से मिलेंगे| मजबूरी में उन शिक्षको को बाहर से तलाश किया जाता है जिनके पास कॉलेज की मान्यता के लिए डिग्री होती है| इन शिक्षको की डिग्री किराए पर लगाकर शिक्षा संस्थानों की मान्यता तो ले ली जाती है मगर तमाम शिक्षक कभी पढ़ाने नहीं आते| एक एक शिक्षक कई कई जगह अपनी डिग्री लगाये है एक प्रदेश ही नहीं दूसरे प्रदेश में भी, तो वो भी कितनी जगह जायेगा| ये काम आपके आस पास हो रहा है| अगर इन सबको न रोका गया और न इसका विरोध हुआ तो आने वाले समय में आरक्षण की मांग कभी ख़त्म नहीं होगी| क्यूंकि बिना गुणवत्ता की शिक्षा लिए नौकरी पाने का एक मात्र यही उपाय बचता है|