एक्स-रे के बावजूद जिलाधिकारी के स्वास्थ्य को लेकर अटकलें जारी

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फर्रुखाबाद: जिलाधिकारी रिग्जिन सैम्फेल के स्वास्थ्य को लेकर अभी अटकलों का दौर जारी है। रविवार देर रात्रि उन्होंने नगर के एक निजी नर्सिंग होम में एक्स-रे कराया है। संबंधित नर्सिंग होम के चिकित्सक का कहना है कि जिलाधिकारी की स्थिति  पहले से बेहतर है, परंतु अभी कितना समय उनके ठीक होने में लगेगा यह कहना मुश्किल है।

विदित है कि विगत 20 अप्रैल को जिलाधिकारी रिग्जिन सैम्फेल लखनऊ जाते समय मार्ग दुर्घटना में घायल हो गये थे। दुर्घटनाम के उनके पैर की हड्डी में फ्रैक्चर हो गया था। एक सप्ताह बाद 27  अप्रैल को लखनऊ ट्रामा सेंटर से इलाज कराने के बाद लौटने के बाद से ही पैर में प्लास्टर के कारण जिलाधिकारी अभी चलने फिरने में असमर्थ हैं। जिलाधिकारी अपने आवास से ही सरकारी कामकाज निबटा रहे हैं। रविवार देर रात्रि लगभग साढ़े दस बजे जिलाधिकारी रिग्जिन सैम्फेल को नगर के एक गुमनाम से नर्सिंग होम में ले जाया गया। लगभग आधे घंटे बाद एक्स-रे कराने के बाद उनकों वापस उनके सरकारी आवास पहुंचा दिया गया। न्याय के चर्चित हुए फर्रुखाबाद की १४ लाख जनता में उनके स्वास्थ्य को लेकर काफी उत्सुकता है। बंगले पर भी उनके स्वास्थय मामले पर जानकारी पर कोई जबाब नहीं मिलता| गाहे बगाहे सरकारी कर्मी और जनता मीडिया के दफ्तरों में ही घंटी बजा रही है- डीएम साहब कब ठीक हो रहे है और जनता से मिलेंगे?

देर रात डीएम आवास से तीन गाडिओ का काफिला जब बेहद ही धीमी गति से फतेहगढ़ मुख्य मार्ग से गुजरा तो जेएनआई के खबरनबीस के कान खड़े हो गए| आगे सरकारी सुमो और पीछे एक जीप| इन दोनों के बीच में चल रही एम्बुलेंस की बेहद धीमी गति से शक पैदा हुआ कि कहीं कुछ गड़बड़ तो नहीं| क्यूंकि बड़े शहरो में धीमी गति से चलती लक्सरी गाडिओ के कई काण्ड आजकल मीडिया में चर्चित हो रहे है| लेकिन पूरे मामले की जानकारी के बाद संतोष हुआ कि सब ठीक है डीएम साहब चेकअप के लिए गए है| बुरा न माने खबरनबीस भी जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारी पूरी कर रहा था|

अरबो की लागत से बने सरकारी अस्पताल लोहिया चिकित्सालय में नहीं हुआ एक्स-रे
सवाल यह भी उठ रहा है कि करोड़ों रुपये की लागत से बने लोहिया अस्पताल और मोटा वेतन उठा रहे यहां के डाक्टरों पर क्या जिलाधिकारी को भी भरोसा नहीं है। यदि फिर भी किसी निजी नर्सिंग होम में ही उनका एक्स-रे कराया जाना आवश्यक था तो इस नर्सिंग होम जैसे स्थान को ही क्यों चुना गया। सोमवार को इस नर्सिंग होम को देख्नने पर पता चला कि लोहिया अस्पताल की स्थिति को रेलवे प्लेटफार्म की संज्ञा देना शायद उसके साथ पूरा न्याय नहीं होगा। क्योकि यहां तो मात्र 25X40 के एक हाल में एक दर्जन से अधिक मरीज किसी डारमेटरी की तरह ठुंसे हुए थे। हर मरीज के पास उसके परिजनों की भीड़ कमरे की उमस और गर्मी को नारकीय बना रहे थे। नर्सिंग होम के सामने अतिक्रमण कर रखा गया जनरेटर बंद था, जबकि पिछवाड़े धकधका रहे देसी छाप जनरेटर के कारण नर्सिंग होम में के भीतर वायु और ध्वनि प्रदूषण के कारण खड़ा होना तक मुश्किल था। इस मेले जैसी भीड़ के भीतर कई बार डाक्टर साहब को तलाशने का प्रयास जब विफल हो गया तो आखिर उनके बोर्ड पर लिखे मोबाइल नंबर से ही उनसे बात हो सकी।

जिस नर्सिंग होम में जिलाधिकारी रिग्जन सैम्फैल को एक्स-रे के लिये ले जाया गया था उसके संचालक डा. शर्मा ने बताया कि वह आर्थोपेडिक्स के विशेषज्ञ नहीं हैं। जिलाधिकारी को एक्स-रे के लिये लाया गया था, सो कर दिया गया था। शेष काम उनका इलाज कर रहे ट्रामा सेंटर के डाक्टरों का है। काफी कुरेदने के बाद पैथालाजिस्ट/ रेडियोलाजिस्ट की हैसियत से उनकी राय पूंछने पर डा. शर्मा ने बताया कि उनकी हालत अब पहले से बेहतर है। जाहिर सी बात है कि वो अभी वह पूरी तरह ठीक नहीं हैं| फिर भी प्रशासनिक सूत्र उनके जल्द ठीक हो जाने की आशा कर रहे हैं।