विज्ञान किट की खरीद में कमीशनबाजी का स्टिंग आपरेशन

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बीएसए के सामने एबीएसए की फजीहत, जांच के आदेश
फर्रुखाबाद: परिष्दीय पूर्वमाध्यमिक विद्यालयों में छात्रों के लिये गणित व विज्ञान किट की खरीद में कमीशनबाजी से त्रस्त एक अध्यापक ने ही एसडीआई/ सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी के खिलाफ स्टिंग आपरेशन कर दिया। शिक्षका नेता अपने साथ एसडीआई को लेकर बीएसए कार्यालय पहुंचे और बेसिक शिक्षा अधिकारी के सामने मोबाइल फोन पर हुई वार्ता की रिकार्डिंग सुनाई गयी। आक्रोशित शिक्षक नेताओं ने बीएसए के सामने ही जमकर खरी-खोटी कहीं। हड़बड़ाए बीएसए ने तत्काला डिप्टी बीएसए की अध्यक्षता में गठित समित से प्रकरण की जांच के बाद कार्रवाई का आश्वासन देकर अपनी जान छुड़ाई।

विदित है कि परिषदीय पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में छात्रों को गणित व विज्ञान विषयों की शिक्षा के लिये विभिन्न उपकरणों की एक एक किट उपलब्ध कराये जाने का प्राविधान है। इसके लिये संबंधित विद्यालयों के खातों में दस-दस हजार रुपये भेजे गये थे। यह धनराशि ग्राम शिक्षा समिति की सहमति और सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी के अनुमोदन से व्यय होनी थी। नियमानुसार इसके लिये तीन-तीन कुटेशन लिये जाने थे, व ग्राम शिक्षा समिति की बैठक में विचार के उपरांत खरीद का फैसला होना था। परंतु अधिकांश सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने ही स्वयं बेनामी फर्मों के नाम से घटिया किटों की आपूर्ति कर दी, और अनुमोदन के नाम पर मोटा कमीशन हड़प कर लिया। कुछ स्थानों पर शिक्षक नेता एबीएसए पर भारी पड़े तो आपूर्ति का ठेका उन्होंने ले लिया और एबीएसए/एसडीआई को उसका हिस्सा पहुंचा दिया गया। इस संबंध में लगभग प्रत्येक ब्लाक से शिकायतें आ रहीं थीं। परंतु बेसिक शिक्षा विभाग में तो मानो इस प्रकार के काले कारनामों को ऊपर से नीचे तक सभी की मौन स्वीकृति प्राप्त है। सो अध्यापको की शिकायतों पर कोई कार्रवाई हुई नहीं। थक हार कर कमालगंज के एक जागरूक अध्यापक ने इस मामले के भेडाफोड़ के लिये बाकायदा स्टिंग आपरेशन ही कर डाला।

अध्यापक तौफीक अहमद ने वसूली और घटिया आपूर्ति के भुक्त भोगी प्रधानाध्यापकों और संबंधित एसडीआई सर्वेश कुमार से मोबाइल फोन पर वार्ता की व इसे रिकार्ड कर लिया। गुरूवार को तौफीक अहमद ने शिक्षक नेताओं के सामने मामला रखा। शिक्षक नेता सर्वेश कुमार को अपने साथ लेकर बेसिक शिक्षा अधिकारी के सामने पहुंचे व रिकार्डिग सुनाई और घटिया आपूर्ति की किटों का सामान भी दिखाया। पूर्व माध्यमिक के जिला अध्यक्ष जोगराज सिंह, मंडलीय उपाध्यक्ष रामसेवक यादव, तौफीक खान, डा.शाकिर अली मंसूरी आदि नेताओं ने बीएसए डा.कौशल किशोर के समक्ष भड़ास निकाली। नेताओं ने आरोप लगाया कि इस सामान की कीमत एक हजार रुपये भी नहीं है। पर शिक्षक देवेश यादव के माध्यम से बेसिक शिक्षा अधिकारी के नाम पर सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी स्कूलों में यही किट पहुंचाकर पांच-पांच हजार रुपये प्रधानाध्यापकों से देने के लिए दबाव बना रहे हैं। आक्रोषित शिक्षक नेतांओ से घिरे बेसिक शिक्षा अधिकारी डा. कौशल किशोर ने जैसे तैसे प्रकरण की जांच डिप्टी बीएसए जगरूप संखवार की अध्यक्षता में एक समिति गठित से कराने का आश्वासन देकर पीछा छुड़ाया। कुल मिला कर मामला ठंडे बस्ते में जाता नजर आ रहा है।
मामला निबटाना हो तो डिप्टी साहब को दे दो!
फर्रुखाबाद: नाम से तो लगता है कि उप बेसिक शिक्षा अधिकारी का पद विभाग में बीएसए के बाद दूसरे नंबर के अधिकारी का होगा। परंतु वास्तव में स्थिति यह है कि डिप्टी साहब की विभाग के कुछ बाबू तक ढंग से नहीं सुनते हैं। बीएसए के पा जब भी कोई फसंत वाला काम आता है तो उसे वह बड़ी सफाई से डिप्टी साहब की ओर खिसका देते हैं। जाहे वह नि:शुल्क पाठ्यपुस्तकों का मामला हो, शिक्षकों के समायोजन का मामला हो या कोई सर आ पड़ी जांच का मामला हो।
इस पद पर जगरूप संखवार तैनात है। श्री संखवार विगत कई दशकों से जनपद में तैनात हैं। यही पर उनका एबीएसए से डिप्टी बीएसए पद पर प्रमोशन हो गया। विभाग का बच्चा-बच्चा उनसे अच्छी तरह परिचित है। श्री संखवार की हैसियत बीएसए की रबर स्टैंप से अधिक कुछ नहीं है। एक आध मामले में जब श्री संखवार ने कुछ ना नुकुर की तो मामला उनसे लेकर बीएसए ने किसी दूसरे एबीएसए को सौंप दिया। परंतु निर्णय वही हुआ जो बीएसए के अनुकूल था। विभाग में उनकी छवि यह हो गयी है कि जो मामला निबटाना हो उसे डिप्टी साहब को देदो।