फर्रुखाबाद परिक्रमा: भाभी की हार का बदला… और डॉ रजनी का आइना

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फिर लुट गया किसान बीच बाजार

राष्ट्रीय स्तर पर सर्वाधिक आलू उत्पादक जिले के रूप में चर्चित फर्रुखाबाद के आलू उत्पादन की किस्मत रूठी ही रहती है| हर चुनाव में हर नेता यहाँ पर आलू पर आधारित उधोग लगाने की बात करता है| परन्तु पांच दर्जन से अधिक शीतग्रहों के अतिरिक्त यहाँ है कुछ भी नहीं| हर पार्टी का प्रमुख नेता यहाँ शीतग्रह का मालिक है| कथित रूप से लगभग सभी में आलू उत्पादक का शोषण होता है| भाव, कटौती, लोन, बारदाना, तौल, जैसे बहुत हतकंडे हैं| हारता हर बार आलू उत्पादक ही है| इस बार भी यही हो रहा है| शीतग्रहों में लगभग चार लाख मैट्रिक टन आलू भंडारित है| निकासी मुश्किल से 15% हुयी है| भाव गिर गया है अधिक निकासी पर भाव और गिरेगा| नतीजतन नेताओं के कोरे आश्वासनों के बाद एक बार फिर किसानों के सपनों की होली जलेगी और जलसों, धरनों प्रदर्शनों में किसान एकता जिंदाबाद के जोरदार नारे लगेंगे|

चौक पर कत्ल: जहां बड़े और छोटे के लिहाज के अलावा  काई भेदभाव नहीं था

चौक की पटिया पर बैठे मुंशी हर दिल अजीज और मियाँ झान झरोखे के आंसू थम नहीं रहे थे| उदासी तो किराने बाजार से लेकर घुमना, लोहाई रोड, रेलवे रोड सहित पूरे व्यापारिक क्षेत्र में फ़ैली थी| चौक की पटिया के बाद नगर में बंगाली होटल और विक्रम होटल सर्वाधिक चर्चित और अखाड़ेबाजी के स्थान रहे| बंगाली होटल वर्षों पहले बंद हो चुका है| अब दीपक की दिन दहाड़े हुई ह्त्या ने विक्रम होटल पर भी ग्रहण लगा दिया है| मुंशी और मियाँ पटिया पर बैठे-बैठे पुरानी यादों में खो गए| मियाँ दुःख के अतिरेक में मुंशी के दोनों कंधे पकड़कर झिझोड़कर सुवकते हुए बोले मुंशी कैसा बुरा वक्त आ गया है| हँसी, दिल्लगी, चकल्लस, विचार विमर्श के अड्डे झगड़े फसाद, हत्याओं के गवाह बन रहे हैं| हमारा यह प्यारा दुलारा शहर और चौक के आसपास का इलाका देर रात तक गुलजार रहा करता था| आज देखो क्या हाल है सब एक-दूसरे की जान के दुश्मन हो गए हैं|

मुंशी रूमाल से आंसू पोंछते बोले मियाँ पुरानी बातों को याद कर कलेजा मुंह को आता है| अभी कल जैसी ही बात है लोग विक्रम होटल में बैठकर चाय की चुस्कियां लेते थे| चौक की पटिया पर आकर पान खाते थे| नेहरू रोड पर दुकानों की सीढियां हर जाति वर्ग और धर्म के लोगों की कफलियाँ मस्ती और कहकहों का बेहतरीन नजारा पेश करती थी| एक उत्सव जैसा माहौल बनता था जो देर शाम से शुरू होकर देर रात तक चलता था| खानपान का दौर भी चलता था| चर्चाओं, बहसों, दांवपेच, अफवाहों के दौर चलते रहते थे| परन्तु क्या मजाल है कि कहीं भी किसी प्रकार की बदतमीजी हो? हर लंबी बहस का समापन गजक मूंगफली पान बीडी सिगरेट चाय के दौर से होता था|

मियाँ बोले इस महफ़िल में बड़े और छोटे के लिहाज के अलावा किसी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं था|स्वर्गीय विमल प्रसाद तिवारी की लंबी राजनैतिक चर्चाओं और फर्राटेदार अंग्रेजी स्वर्गीय दयाराम के अनुभवों, स्वर्गीय ब्रह्मदत्त द्विवेदी की नजीरो और तुरंती कविता, जगदीश बागला, लाला राम श्रीराम अग्रवाल, दादा चंद्र शेखर, हरे कृष्ण की अपनी टीम के साथ रामलीला और दुनिया जहान की बातें, दीवान यावर हुसैन, ब्रन्दावन टंडन, लाल जी टंडन, पन्नालाल, डॉ रामलाल वर्मा, अम्बरीश गुप्ता, दलाई लामा, हीरालाल अग्रवाल, अरुण प्रकाश तिवारी ददुआ, गोपाल अग्रवाल, ओमप्रकाश खन्ना, गंगाराम वर्मा, त्रिलोकी शुक्ला, अशोक कपूर, वागीश अग्निहोत्री, किशन लाल गुप्ता, रामजी अग्रवाल, रमेश टंडन, श्रवण कुमार चतुर्वेदी, कुञ्ज बिहारी सिंह, प्रकाश नारायण पाण्डेय, अनिल मिश्रा, राकेश चौहान, विनोद गुप्ता, द्वारिका दीक्षित, श्यामा गुप्ता, अनिल तिवारी आदि सैकड़ों लोग नगर के प्रतिदिन देर शाम से चलने वाले इस उत्सव के स्थायी भागीदार होते थे|
फतेहगढ़, कमालगंज, शमसाबाद, सहित दूर दराज से अपने कामधाम शादी समारोह में आने वाले लोग समय निकालकर इस उत्सव में एक साथ अनेक लोगों से मिलने की गरज से आते-जाते रहते थे| ट्रांसपोर्टर मुन्नू भैया, स्पोर्ट्स मैन रघुवीर सिंह, रामलीला के कुम्भकरण पुन्नीशुक्ला, मेकअप के फनकार पुरुषोत्तम शर्मा, राम प्रकाश कनौजिया, महेंद्र नाथ धवन, सतीश गुप्ता, श्याम प्रकाश दुबे, रमेश कटे फटे, शाह राधा रमन अग्रवाल, किसकी किसकी याद करें| यह कहते कहते मियाँ फिर फफक कर रो पड़े| केशरी साध, विजय फल साध राजमुकुट साध आदि सबके सब अब दिल्ली वासी हो गए|

मुंशी मियाँ को ढाढस बंधाते हुए बोले दीपक की ह्त्या ने हमारे शहर की तहजीव को कलंकित किया है| नोकझोंक बहस की बात चलती है| यह जाग्रत समाज की पहिचान है परन्तु बेख़ौफ़ फ़िल्मी अंदाज में विक्रम होटल के खुश मिजाज दीपक की ह्त्या ने सभी झकझोर दिया| दो दिनों तक चली सौदेबाजी के बाद हत्यारे की गिरफ्तारी हो गई है| परन्तु इस कांड में हत्यारे के परिवार की दो महिलाओं को दो दिन हिरासत में रखने के बाद नशीले पदार्थ बरामदगी में जेल भेजने की कहानी ने यह सावित कर दिया है कि पुलिस चाहे कुछ हो जाए अपनी शैली और कार्य प्रणाली में निकट भविष्य में कोई परिवर्तन के स्थान पर अपनी कारिस्तानियों से बाज आने वाली नहीं है| क्या कप्तान साहब बहादुर यह बताने का कष्ट करेंगें कि शहर के ह्रदय प्रदेश में हुए इस लोम हर्षक हत्याकांड की तर्ज पर  इस प्रकार की अन्य घटनाओं पर तेजी की जगह पुलिस चुप और शांत क्यों है|

भाभी जी ने आईना दिखाया !

नगर और जिले में महिला नेत्रियों के माध्यम से चलने वाले गैंगों, बिग्रेड, आर्मियों की भरमार है| जुल्म ज्यादती और सामाजिक सरोकारों को उठाने में कोई कमी नहीं रखना चाहता| परन्तु दीपक हत्याकांड के मुख आरोपी पंकज शुक्ला के परिवार की दो महिलाओं के साथ हुए पुलिसिया अत्याचार और बाद में कथित रूप से मादक पदार्थ रखने के आरोप में जेल भेजे जाने के मुद्दे पर इन सभी महिला संगठनों के सर्वे सर्वा जैसे कुछ हुआ ही न हो के अंदाज में खामोश हैं| क्या यह खामोशी हमारी कायरता नहीं है|

दीपक हत्याकांड के जिम्मेदार लोगों पर विधि सम्मत कड़ी से कड़ी कार्यवाही हो| परन्तु महिलाओं पर इस प्रकार की पुलिसिया ज्यादती के विरोध में खड़े होकर डॉ रजनी सरीन ने उन सब लोगों को आईना दिखाया है जो पुलिस की इस अमानवीय कार्रवाई के विरुद्ध अपने अपने कारणों से खामोश थे| देखना यह है कि क्या आने वाले दिनों में बात बात में राष्ट्रीय प्रांतीय नेताओं के पुतले जलाने वाले विभिन्न राजनैतक दलों के सूरमा तथा विभिन्न संगठनों की वीरांगनाएं पुलिस द्वारा किये गए इस अमानवीय उत्पीडन के विरुद्ध आबाज उठाने की हिम्मत जुटा पायेंगें|

वही हुआ जिसका डर था – अमृतपुर में  यादवी घमासान तय

समाजवादी पार्टी ने आगामी विधान सभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों की घोषणा क्या की जिले की राजनीति में तूफ़ान खडा हो गया| लंबी जद्दोजहद के बाद अमृतपुर विधान सभा क्षेत्र में यादवी घमासान की भूमिका तैयार हो गई है| मान मनौबल सांत्वना समीक्षा आदि की लंबी कथा के बाद बाबू सिंह यादव के पुत्र डॉ जितेन्द्र सिंह यादव ने सपा के घोषित प्रत्याशी नरेन्द्र सिंह यादव के विरुद्ध हर हाल में चुनाव मैदान में उतरने की घोषणा कर दी है|  उल्लेखनीय है कि डॉ जितेन्द्र यादव की भाभी जिला पंचायत सदस्य के चुनाव में विधायक नरेन्द्र सिंह यादव् की पत्नी को हरा चुकी है| इसके बाद विधायक नरेन्द्र सिंह यादव ने जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में डॉ जितेन्द्र यादव कीइन्हीं भाभी को पराजित करने के उद्देश्य से अपनी भाभी तक का वोट वसपा उम्मीदवार को कथित रूप से दिलवाया| आग बराबर लगी हुयी है|

कमालगंज विधान सभा क्षेत्र की वहाँ सपा प्रत्याशी जमालुद्दीन सिद्दीकी को अपने भतीजे और वर्तमान वसपा विधायक से जिला पंचायत तथा बलाक प्रमुख के चुनाव की तरह कितनी मदद मिलती है इसकी प्रतीक्षा करनी होगी| कायमगंज में प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव के चहेते माथुर सुरक्षित सीट से प्रत्याशी न बनाए जाने पर शान्त होकर बैठ गए हैं| उनके भाजपा में जाने की चर्चा चली फिर बंद हो गई| अजीत कठेरिया टिकट मिलते ही अपने धंधे पानी में लग गए| सदर सीट पर तूफ़ान आने के पहले की खामोशी है लोग खार खाए बैठे हैं|

और अंत में……………….. कौन होगा उत्तराधिकारी ?

साध्वी उमा भारती ने अपनी गंगा सफाई अभियान यात्रा में अपने आपको कल्याण सिंह की बेटी और उत्तराधिकारी क्या कहा मुकेश राजपूत के पेट में मरोड़ होने लगी| बोले उत्तराधिकारी बेटी नहीं बेटा ही होगा| कितनी घटिया सोंच है नेता कहे जाने वाले लोगों की| कभी उर्मिला राजपूत, उमा भारती, साक्षी जी महाराज की उंगली पकड़कर राजनीति सीखने वाले पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष मुकेश राजपूत इस समय जिले में कल्याण सिंह के सबसे बड़े सिपहसालार हैं| वह जिला पंचायत अध्यक्ष का पद महिला होने पर अपने उत्तराधिकारी के रूप में अपनी पत्नी सौभाग्यवती की ताजपोशी कर चुके हैं| पता नहीं अपने समाज के दिग्गज नेता के स्वयं घोषित रिश्ते और उत्तराधिकार पर उन्हें क्या और क्यों एतराज है| वैसे राजनेताओं की विश्वसनीयता अपने निम्न बिंदु पर है|

कई दलों का दामन थाम चुके एक पूर्व विधायक ने एक बार खुली जन सभा में कल्याण सिंह से कहा था बाबू जी| राजवीर ( कल्याण सिंह के पुत्र ) आपका साथ छोड़ सकते हैं| परन्तु आपका यह बेटा कभी आपका साथ नहीं छोडेगा| यह और बात है कि बातों के धनी नेता अपनी इस घोषणा के बाद अभी तक केवल तीन दलों की ( एक दल की तो एक साल में दो बार ) यात्रा ही कर पाए हैं| मिशन 2012 के लिए इनके विकल्प अभी खुले हुए हैं| लोग इन्हें उस्ताद कहते नहीं थकते| वह वास्तव में क्या हैं? उन्हें जिले और शहर के सभी लोग अच्छी तरह जानते हैं| जिला पंचायत रहते मुकेश राजपूत इन सज्जन के जाल में फंस गए थे| स्वयं सपा मुखिया मुलायम सिंह ने तब कल्याण सिंह से दोस्ती के खातिर इन्हें दल दल से बाहर निकाला था|  राजनीति में बिरादरी तलवार की धार है| वह काटती ही काटती है जोडती नहीं| विशेष रूप से जब जब एक ही जाति के कई दिग्गज एक ही साथ एक ही समय पर एक ही अखाड़े में हो|

जय हिंद…………………..

(लेखक वरिष्ट पत्रकार के साथ वकील व समाजवादी चिंतक है)

प्रस्तुति-

सतीश दीक्षित (एडवोकेट)
1/432, आवास विकास कालोनी फर्रुखाबाद

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